जीवन भी एक अजीब बाजीगरी है उस परम पिता की। वह पता नहीं कब-कहां-किससे कौन सा कांड करा बैठे। कब किसी साधक को दुष्ट बना दे, कब किस दुष्ट को महात्मा बना दे कब किस संपन्न व्यक्ति को अपना घर-परिवार छोड़कर साधु बनाकर तीर्थों के चक्कर कटा दे?
शायद परम पिता के यहां कोई सुपर कम्प्यूटर है जो हर प्राणी का हिसाब किताब रखता है। परमपिता के पास कोई प्रोग्रामर भी है जो कम्प्यूटर को प्रोग्राम फीड कर देता है। परम पिता की क्या इच्छा है। कब कहां किससे क्या कराना है-सब कुछ फीड कर देता है। समाचार पढ़ा कि बुंदेलखंड क्षेत्रा में एक भगत ने चूहामार दवाई पीकर अपनी जान दे दी। कारण-हनुमान जी द्वारा दर्शन न देना। शायद सुपर कम्प्यूटर प्रोग्रामर ने उस साधक के प्रोग्राम में यही फीड कर दिया था वरना वह साधक अपना धैर्य न छोड़ता। वह मूर्ख दर्शन पाने की जिद न करता। उसने शायद पढ़ा नहीं था तुलसी बाबा द्वारा लिखी चौपाई।
’जन्म जनम मुनि जनत कराई, अंत राम कहि आवत नाईं। जन्म जन्मांतर गुजर जाते हैं, मगर अंत समय में राम का नाम भी कहना नहीं आता। अंत समय में माया जकड़ लेती है, पुत्रा-पुत्रा कामिनी-कंचन का मोह पीछा नहीं छोड़ता। कष्ट से मुक्ति की कामना में ही टिकट कट जाता है। कभी-कभी तो सालों-साल खाट पर निर्जीव होकर सड़ना पड़ता है। जिंदा हैं मगर हिल नहीं सकते, सोचते तो हैं मगर कह नहीं सकते, देखते तो हैं मगर व्यक्त नहीं कर सकते, इच्छा तो है मगर ग्रहण नहीं कर सकते। बस इंजेक्शनों के सहारे अच्छे संस्कार जनित पुण्यों के कारण मिले तीमारदारों के कारण जिंदा हैं।
पुण्य कर्म का फल है अच्छी संतान प्राप्त होना। अच्छी संतान ही इस शारीरिक अशक्तता के समय सेवा करती है नहीं तो पड़े रहो, घर के बाहर की कोठरी में। खों-खों करते रहो, घर की छत को घूरते रहो। जब किसी की इच्छा होगी बदल देगा आपकी गंदी चादर। मन जब होगा किसी का, डाल देगा एक चम्मच पानी मुंह में। मन होगा जब किसी का तो कर देगा आपके कमरे में रोशनी।
अब इस बदहाल में प्राणी राम का नाम ले, भक्ति भाव धारण करे या मात्रा अपने कष्टों को दूर करने वाली मृत्यु की कामना। आदमी तड़पता है, मृत्यु की भीख मांगता है मगर मृत्यु नहीं आती।
इसीलिए मानव को प्रयास करना चाहिये कोई कर्म इतना खराब न हो जाये जिसकी सजा हो खाट पर सड़कर मिलने वाली मृत्यु। मृत्यु अटल सत्य है, आयेगी जरूर। यदि नित्य प्रातः उठकर मृत्यु का ध्यान करेंगे तो पापवृत्ति से बचने का प्रयास भी करेंगे ही, तभी बच सकेंगे इस यंत्राणा से।