पहले खाए जाओ, फिर पछताए जाओ

डटकर खाने पीने की परम्परा सी चल पड़ी है। छोटी-बड़ी सफलता मिलने एवं खुशी होने पर लोग खाने एवं खिलाने के लिए तैयार मिल जाते हैं। भूख नहीं, भूखे नहीं, फिर भी लोग डटकर खाने के लिए तैयार रहते हैं। पार्टियां देना, लेना आम हो गया है। खाए जाओ, खाए जाओ की खतरनाक संस्कृति बढ़ रही है। लोग मस्तिष्क शून्य होकर भोजन करने के लिए तत्पर रहते हैं।


पार्टी व समूह में लोग डटकर खा रहे हैं। बेमेल व बेवजह भोजन कर रहे हैं। घरों में टी वी देखते खाने की आदत पड़ गई है। खाने की विपरीत रीत सी चलने लगी है। रात को जब दिन के सापेक्ष में काम खाना चाहिए, तभी लोग पार्टी, समूह में या टी वी के सामने डटकर या ठूंस-ठूंस कर खा रहे हैं। इस माइंडलेस ईटिंग से मोटापा व बीमारियों की मुसीबतें बढ़ रही हैं। आधुनिक आजीविका एवं व्यस्त जीवनचर्या ने खानपान के स्वरूप एवं समय को बदल दिया है जो ऐसी मुसीबतों को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रहा है।


मस्तिष्क शून्य खानपान

पार्टी, समूह या टी वी के सम्मुख खाने के कारण हमारा ध्यान भी पार्टी, समूह या टी वी की ओर होता है और हम बेध्यानी में खाते जाते हैं। कैसा खा रहे हैं? कितना खा रहे हैं, या किसके साथ क्या खा रहे हैं, यह सब भूल जाते हैं। स्वाद या खाने के आमंत्राण एवं खाने की चीजों को देख हम उसके वशीभूत हो सब कुछ खाने पर टूट पड़ते हैं। ऐसे में लोग जरूरत से ज्यादा खाते हैं।
बेमेल खानपान
आमंत्राण को देख हम जो खाते हैं।  किसके साथ या किसके बाद क्या खाना चाहिए या क्या नहीं खाना चाहिए, यह हम भूल जाते हैं। परिणामतः सब बेमेल हो जाता है। खाने वाले को खाने के स्वाद का या उससे तृप्ति का आनंद जरूर आता है किन्तु स्नैक्स, खाना, कॉफी, कोल्ड डिं्रक्स, आइसक्रीम सब चीजें पेट में एक साथ मिलकर जब बखेड़ा खड़ा करती हैं। तब हमें बाद में होश आता है एवं गड़बड़ी का पता चलता है।


खाए जाओ का खामियाजा

खाए जाओ की उक्ति का दुष्परिणाम खाने वाले को खाने के बाद ही पता चलता है। पार्टी या समूह में लोग स्नैक्स एवं भोजन की चीजें एक साथ खा जाते हैं। कोल्ड ड्रिंक्स, आइसक्रीम, चाय, काफी सब डकार जाते हैं। यह कब्ज, अपच, पेट दर्द, अम्लता, पेट में जलन, मोटापा, हृदय रोग और साथ में अन्य रोगों का कारण बनता है।


खाए जाओ, खाए जाओ के बाद पछताए जाओ की स्थिति निर्मित होती है। इस खाए जाओ के कुछ दुष्परिणाम जल्द पता चल जाते हैं तो कुछ बाद में पता चलते हैं। पहले पहल तो शरीर बहुत कुछ झेल जाता है, टाल जाता है फिर बाद में जब बड़ी परेशानियां सामने आती हैं, तब हम जानते हैं और जागते हैं। तब तक कुछ बीमारियों को शरीर में घर बनाने का मौका मिल जाता है।


निष्कर्ष, निदान और सावधानियां

आप पार्टी में शामिल जरूर हों पर पूरी पार्टी या समूह भोजन के दौरान आप होश बनाए रखिए। खाने के आमंत्राण एवं पेश की गई चीजों पर विवेकपूर्ण निर्णय लीजिए। टेबल पर रखी गई या पार्टी में परोसी गई खाने-पीने की चीजों को पहले देखिए, फिर तय कीजिए कि स्वाद के लिए खायेंगे या सेहत के लिए।


सदैव प्लेट छोटी लें। चम्मच छोटा लें। प्लेट में कम मात्रा में अपने स्वाद की चीज या सेहत की वस्तु रखें और उसे चम्मच से थोड़ा-थोड़ा करके आराम से खाइए। यदि सूप है तो उसे खाने से पहले एक कटोरी या कप सूप ले लें। फिर कुछ देर के अंतराल में अपनी मनपसंद या सेहतमंद चीज कम मात्रा में प्लेट में रखकर चम्मच से थोड़ा-थोड़ा करके खाएं। ऐसा करेंगे तो स्वाद की चीजों से जल्द आप तृप्त हो जायेंगे और ज्यादा खाने से बच जायेंगे।
सेहत के लिए सलाद, फल, जूस पर ध्यान दें। अंकुरित चीजें हैं तो उन्हें लें पर आराम से थोड़ा-थोड़ा खाएं। खाना कुछ भी खाएं पर अंत में चाय, काफी, कोल्डड्रिंक्स या आइसक्रीम कभी न लें। जिसे भी लेने की इच्छा हो, कम मात्रा में लें एवं बड़े आराम से फुरसतिया अंदाज में खाएं। खाते समय बातें कम करें। हमेशा कम मात्रा में पोषक चीजें खाएं। तेज मसाला, ग्रेवी, कोल्ड ड्रिंक्स, आइसक्रीम से तौबा करें या न्यून मात्रा में ले। किसी के आग्रह पर विवेकपूर्ण निर्णय लें। सेहत की कुंजी आपके हाथ में है।