दूर रखें रोगों को सौंफ

सौंफ के नाम से तो सभी परिचित हैं। हर रसोई में पाई जाने वाली सौंफ चाय बनाने से लेकर, खाना खाने के बाद मुख शोधक के रुप में प्रतिदिन काम लाई जाती है। प्रतिदिन प्रयोग में आने वाले मसालों में इसका विशिष्ट स्थान है।.

 

सौंफ का प्रयोग

सौंफ का प्रयोग अचार के मसाले में किया जाता है।
पान खाने वाले पान में सौंफ को विशेष स्थान देते हैं।
मुख शुद्धि के रूप में सौंफ का प्रयोग किया जाता है।
ठंडाई आदि बनाते समय सौंफ का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाता है।
आम की चटनी और चाय आदि में सौंफ का प्रयोग सुगन्धि हेतु किया जाता है।

 

औषधि के रूप में सौंफ

सौंफ पेट के रोगियों के लिए रामबाण औषधि है। सौंफ नेत्रा रोग नाशक, कफनाशक, बुद्धिवर्द्धक पाचक के रूप में बहुत लाभदायक मानी जाती है।
नेत्रा ज्योति में वृद्धि हेतु सौंफ, बादाम और मिश्री समान भाग में पीस लें। एक चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ दो माह तक लें। लगातार सेवन से आंखों की कमजोरी दूर होती है।
गले में खारिश होने पर सौंफ को मुंह में चबाते रहने से बैठा गला साफ हो जाता है।
सौंफ रक्त वर्ण को साफ करने वाली है एवं चर्मरोग नाशक है।


गर्मी के दिनों में ठंडाई में सौंफ मिलाकर पीजिए। इससे गर्मी शांत होगी और दिल मिचलाना बंद हो जाएगा।


पेट दर्द होने पर भुनी हुई सौंफ चबाइए। तुरन्त आराम मिलेगा
पेट में वायु प्रकोप होने पर दाल तथा सब्जी में सौंफ का छौंक कुछ दिनों तक प्रयोग में लाएं।
खट्टी डकारें आने पर थोड़ी सी सौंफ पानी में उबालकर मिश्री डालकर पीजिए। दो तीन बार प्रयोग से आराम मिल जायेगा।


कब्ज होने पर रात्रि में सोते समय गुनगुने पानी के साथ। चम्मच सौंफ का चूर्ण लें। 7-8 दिन तक लगातार लेते रहें। पुनः जब कब्ज हो, चूर्ण लें।