नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) ब्रिटेन ने पहली बार दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत अपनी सार्वजनिक खरीद प्रणाली में भारतीय कंपनियों के साथ बिना किसी भेदभाव के व्यवहार करने पर सहमति जताई है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
दोनों देशों ने छह मई को एफटीए के लिए बातचीत पूरी होने की घोषणा की। इसे अगले साल लागू किया जाएगा।
अधिकारी ने कहा, “पहली बार, ब्रिटेन ने अपनी सार्वजनिक खरीद प्रणाली में ब्रिटेन की सामाजिक मूल्य व्यवस्था के अंतर्गत हमारे आपूर्तिकर्ताओं को गैर-भेदभावपूर्ण व्यवहार प्रदान करने के लिए बाध्यकारी प्रतिबद्धता पर सहमति व्यक्त की।”
ब्रिटेन के सामाजिक मूल्य कानून के तहत, ब्रिटिश सरकारी विभागों को सार्वजनिक सेवाओं के अनुबंधों के संबंध में सार्वजनिक प्राधिकरणों से आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय कल्याण को ध्यान में रखने की अपेक्षा होती है।
ब्रिटेन की सरकार के अनुसार, यह व्यापार समझौता ब्रिटिश कंपनियों को भारत के सार्वजनिक खरीद बाजार तक ‘अद्वितीय और अभूतपूर्व’ पहुंच प्रदान करेगा। इसमें प्रति वर्ष कम से कम 38 अरब पाउंड मूल्य की लगभग 40,000 निविदाएं शामिल हैं।
दूसरी ओर, भारत ने ब्रिटिश कंपनियों को केवल गैर-संवेदनशील क्षेत्रों में सार्वजनिक खरीद में भाग लेने की अनुमति देने पर सहमति जताई है।
हालांकि, ब्रिटेन की कंपनियों को राज्य सरकार की संस्थाओं और स्थानीय निकायों द्वारा खरीद में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी।
अधिकाीर ने कहा, “ब्रिटेन स्थित आपूर्तिकर्ताओं को सार्वजनिक खरीद के तहत द्वितीय श्रेणी के स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं के रूप में सहमत सीमा (200 करोड़ रुपये से अधिक) से ऊपर की घरेलू निविदाओं के लिए बोली लगाने की अनुमति दी जाएगी।”
भारत की ‘मेक इन इंडिया’ (भारत में विनिर्माण करो) नीति के साथ-साथ मध्यम और लघु उद्यमों के लिए भी प्रावधान किया गया है।