नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय पांच साल के प्रतिबंध के आदेश के खिलाफ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की याचिका की स्वीकार्यता को लेकर 14 जुलाई को केंद्र का पक्ष सुनेगा।
पीएफआई ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम न्यायाधिकरण के 21 मार्च, 2024 के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें पीएफआई पर पांच साल का प्रतिबंध लगाने के केंद्र के 27 सितंबर, 2022 के फैसले की पुष्टि की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसके समक्ष उठाए गए मुद्दों पर विचार करने की आवश्यकता है।
पीठ ने कहा, ‘‘अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू (केंद्र का प्रतिनिधित्व करते हुए) ने याचिका की स्वीकार्यता पर सवाल उठाए हैं। सुनवाई की अगली तारीख पर स्वीकार्यता के मुद्दे पर विचार किया जाएगा और फैसला किया जाएगा।’’
केंद्र सरकार ने आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकवादी संगठनों के साथ कथित संबंधों और देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश के कारण पीएफआई पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया था।
पीएफआई के वकील ने पीठ को बताया कि याचिका 14 बार सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जा चुकी है, लेकिन मामले में अब तक औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया गया।
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से केंद्र को नोटिस जारी करने और जवाब दाखिल करने का निर्देश देने का आग्रह किया।
राजू ने हालांकि कहा कि दूसरे पक्ष के वकील के अनुरोध पर नोटिस जारी नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि याचिका स्वीकार्य नहीं है क्योंकि न्यायाधिकरण का नेतृत्व उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश कर रहे हैं और इसलिए आदेश को भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत चुनौती नहीं दी जा सकती।