सुरक्षा मंजूरी रद्द करते समय उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया: तुर्किये की कंपनी सेलेबी

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नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) हवाई अड्डे पर जमीनी रख-रखाव और माल ढुलाई परिचालन का कामकाज देखने वाली तुर्किये की कंपनियों ने दिल्ली उच्च न्यायालय से बुधवार को कहा कि विमानन नियामक ‘नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो’ (बीसीएएस) द्वारा उनकी सुरक्षा मंजूरी रद्द किया जाना उचित प्रक्रिया और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।

वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता के समक्ष दलील देते हुए कहा कि ‘सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ और ‘सेलेबी दिल्ली कार्गो टर्मिनल मैनेजमेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ पिछले 17 साल से यह कारोबार कर रही हैं और बीसीएएस का फैसला उनके लिए एक ‘‘झटका’’ है।

बीसीएएस ने सेलेबी की सुरक्षा मंजूरी 15 मई को रद्द कर दी थी। यह निर्णय तुर्किये द्वारा पाकिस्तान का समर्थन किए जाने और वहां के आतंकवादी ढांचों पर भारत के हमलों की आलोचना किए जाने के कुछ दिन बाद लिया गया। कंपनियों ने इस कदम को अदालत में चुनौती दी।

रोहतगी ने कंपनियों का पक्ष रखते हुए कहा कि इस मामले में सुनवाई की तत्काल आवश्यकता है, क्योंकि इसके परिणामस्वरूप हवाईअड्डा संचालक याचिकाकर्ताओं के साथ अपने अनुबंध रद्द कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं कह रहा हूं कि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। कोई नोटिस नहीं दिया गया, सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया गया। यह नियम 12 (विमान सुरक्षा नियमों) का उल्लंघन है।’’

रोहतगी ने तर्क दिया कि नियमों के अनुसार मंजूरी रद्द करने से पहले सुनवाई का अवसर देना ‘‘वैधानिक अनिवार्यता’’ है और प्राधिकारी कोई अपवाद नहीं बना सकते।

उन्होंने केंद्र द्वारा अपने निर्णय के समर्थन में 19 मई को सीलबंद लिफाफे में अदालत को कुछ ‘‘सूचनाएं’’ देने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं को ‘‘अंधेरे में’’ छोड़ दिया गया। उन्होंने मांग की कि मंजूरी रद्द किए जाने के कारणों को विधिवत दर्ज किया जाना चाहिए था।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे आरोपों के बारे में पता होना चाहिए।’’

रोहतगी ने कहा, ‘‘यदि समस्या यह है कि ये तुर्किये के लोग हैं, तो हम उन्हें बदल देंगे। मैं इससे अधिक क्या कह सकता हूं?’’

अदालत ने वकील से कहा कि वह अपने तर्क कानूनी दलीलों तक ही सीमित रखें।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आप फलां व्यक्तियों को बदल देंगे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।’’

केंद्र ने सेलेबी की याचिका का 19 मई को अदालत में विरोध किया था। केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता से कहा था कि यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में लिया गया है, क्योंकि ऐसी कुछ सूचनाएं मिली थीं कि वर्तमान स्थिति में याचिकाकर्ता कंपनियों की सेवाएं जारी रखना खतरनाक होगा।

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