आईपीएस बनने का सपना अभी जिंदा है, एक बार यूपीएससी परीक्षा जरूर दूंगी : हॉकी स्टार ज्योति

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नयी दिल्ली, 21 मई (भाषा) बचपन से आईपीएस बनने का सपना उनके मन में पल रहा था लेकिन मां के कहने पर पहली बार हॉकी स्टिक उठाई और फिर खेल ही जुनून बन गया। हालांकि भारतीय महिला टीम की स्टार डिफेंडर ज्योति ने अभी भी अपने उस सपने को मरने नहीं दिया है।

हरियाणा के सोनीपत की इस खिलाड़ी का कहना है कि वह एक बार यूपीएससी का इम्तिहान जरूर देंगी ।

बचपन में ही अपने पिता को खो चुकी ज्योति का सफर आसान नहीं रहा और एक समय ऐसा भी था जब उनकी मां के पास उनकी स्कूल की फीस भरने तक के पैसे नहीं थे। लेकिन चुनौतियों को ही अपनी ताकत बनाकर ज्योति ने सफलता की सीढ़ियां चढ़ी।

26 वर्ष की इस खिलाड़ी ने ‘भाषा’ से बातचीत में कहा ,‘‘ मैं हॉकी नहीं खेलना चाहती थी। मैं पढ़ाई करके आईपीएस बनना चाहती थी। अभी भी यह सपना मेरे मन में है कि पढ़ाई पूरी करके एक दिन आईपीएस बनूं।’’

फिलहाल एशियाई खेलों और अगले साल होने वाले विश्व कप पर फोकस कर रही ज्योति ने कहा,‘‘ जब मैं हॉकी खेलना छोडूंगी तो एक बार ट्राय जरूर करूंगी कि यूपीएससी की परीक्षा दूं ।’’

उन्होंने बताया ,‘‘ मैं पढ़ाई में बहुत अच्छी थी और मेरा बिल्कुल मन नहीं था खेलने का। कोच प्रीतम सिवाच (भारत की पूर्व खिलाड़ी) ने मेरी मां से मुझे हॉकी खेलने भेजने के लिये कहा और जब मैंने खेलना शुरू किया तो हॉकी में मन रम गया।’’

यह पूछने पर कि यूपीएससी की तैयारी के लिये समय मिलता है, ज्योति ने कहा ,‘‘ हमारा शेड्यूल बहुत टाइट होता है। शनिवार और रविवार को ही मौका मिलता है और मैं कोशिश करती हूं कि रोज अखबार पढूं ताकि अपडेट रहूं।’’

एक निजी यूनिवर्सिटी के आनलाइन कोर्स में एमबीए में दाखिला लेने वाली ज्योति ने बताया,‘‘ मैंने बीए के पांच सेमिस्टर पूरे कर लिये थे लेकिन नौकरी मिलने पर छोड़ना पड़ा। अभी आईओसी में मार्केटिंग डिविजन में हूं और एमबीए में दाखिला लिया ताकि भविष्य में काम आये ।’’

उन्होंने कहा कि फिलहाल तो पूरा फोकस हॉकी पर है और विश्व कप में पदक जीतना सपना है जिसके लिये कोच हरेंद्र सिंह के मार्गदर्शन में वह पूरी मेहनत कर रही हैं ।

बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल 2022, एशिया कप 2022 में कांस्य, एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी 2023 और 2024 में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा रही ज्योति ने कहा ,‘‘हमारा अगला लक्ष्य एशिया कप है लेकिन नजरें अगले साल होने वाले विश्व कप पर लगी हैं। उसमें जरूर पदक लेना चाहेंगे। एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करना चाहेंगे।’’

भारत की पूर्व कप्तान रानी रामपाल को आदर्श मानने वाली ज्योति की मां अब नहीं हैं लेकिन उन्हें खुशी है कि मां ने उन्हें भारत के लिये खेलते देखा।

वायुसेना में कार्यरत अपने भाई, भाभी और दादी के साथ रहने वाली इस खिलाड़ी ने कहा,‘‘ मेरी मां ने मुझे देश के लिये खेलते देखा। उनकी कमी तो खलती है लेकिन मैंने उसी को अपनी प्रेरणा और ताकत बना लिया है।’’

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