नयी दिल्ली, 19 मई (भाषा) कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोमवार को आरोप लगाया कि पर्यावरण मंजूरी से संबंधित उच्चतम न्यायालय का हालिया निर्णय मोदी सरकार के लिए एक ‘‘गंभीर अभियोग’’ है, जिसकी पर्यावरण संरक्षण के मामले में घरेलू नीति उसके वैश्विक रुख से बिलकुल अलग है।
उच्चतम न्यायालय ने बीते शुक्रवार को कहा था कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार मौलिक अधिकार का हिस्सा है। इसने मानदंडों का उल्लंघन करने वाली परियोजनाओं को पूर्वव्यापी प्रभाव से या बाद की अवधि में पर्यावरणीय मंजूरी देने वाले केंद्र के कार्यालय ज्ञापन को भी खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने वनशक्ति संगठन की याचिका पर अपने फैसले में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था, ‘‘केंद्र सरकार, प्रत्येक नागरिक की तरह, पर्यावरण की रक्षा करने का संवैधानिक दायित्व रखती है।’’
पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘सतत विकास के सिद्धांतों और परिपाटियों की पुष्टि करते हुए एक ऐतिहासिक फैसले में माननीय उच्चतम न्यायालय ने 16 मई, 2025 को मोदी सरकार के उन कदमों को रद्द कर दिया, जो पूर्व प्रभाव से पर्यावरणीय मंजूरी देने में सक्षम थे। इसने ऐसी मंजूरी को अतार्किक और अवैध घोषित कर दिया।’’
उनके अनुसार, उच्चतम न्यायालय ने माना कि मोदी सरकार द्वारा जारी 2017 की अधिसूचना का एकमात्र उद्देश्य उन उल्लंघनकर्ताओं को बचाना था, जिन्होंने जानबूझकर पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत पर्यावरण मंजूरी की अनिवार्य आवश्यकता को पूरा नहीं किया था।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह निर्णय मोदी सरकार के लिए एक ‘‘गंभीर अभियोग’’ है।
रमेश ने यह दावा भी किया कि इस सरकार की पर्यावरण संरक्षण के मामले में घरेलू नीति उसके वैश्विक रुख से बिलकुल अलग है।