नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) से एक याचिका में उठाए गए उन मुद्दों की जांच करने को कहा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि खनन गतिविधि को सुविधाजनक बनाने के लिए हरियाणा में कलेसर वन्यजीव अभयारण्य के पास यमुना नदी पर तटबंध बनाया गया था।
सीईसी का गठन शीर्ष अदालत के मई 2002 के आदेश के अनुसार अदालत के निर्देशों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए किया गया था। अतिक्रमण हटाने, कार्य योजनाओं को लागू करने, प्रतिपूरक वनरोपण, पौधारोपण और अन्य संरक्षण मुद्दों के संबंध में ये निर्देश दिए गए थे।
यह मामला न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया था।
आवेदक की ओर से पेश अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने पीठ को बताया कि वन्यजीव अभयारण्य के पास नदी पर तटबंध बनाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप नदी का प्रवाह हरियाणा से उत्तर प्रदेश की ओर हो गया।
उन्होंने दावा किया कि यह अनियंत्रित खनन गतिविधि को सुविधाजनक बनाने के लिए किया गया था।
पीठ ने 29 अप्रैल को पारित अपने आदेश में कहा, ‘‘इसलिए, हम पाते हैं कि यह उचित होगा कि केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) मुद्दों की जांच करे और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे।’’
शीर्ष अदालत ने आवेदक के वकील से कहा कि वे हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों के लिए पेश होने वाले वकीलों को आवेदन की एक प्रति प्रदान करें ताकि वे याचिका में किए गए कथनों पर अपनी टिप्पणी दे सकें।
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई मई के अंतिम सप्ताह में करना तय किया। कलेसर वन्यजीव अभयारण्य हरियाणा में यमुनानगर के पूर्वी भाग में स्थित है।