नयी दिल्ली, जिंदल स्टेनलेस (जेएसएल) ‘महाराष्ट्र को लेकर गंभीर’ है और अपने प्रस्तावित 40,000 करोड़ रुपये के स्टेनलेस स्टील विनिर्माण संयंत्र के लिए भूमि अधिग्रहण को राज्य सरकार के साथ बातचीत कर रही है। कंपनी के प्रबंध निदेशक अभ्युदय जिंदल ने यह जानकारी दी है।
वर्तमान में जिंदल स्टेनलेस के हिसार (हरियाणा) और जाजपुर (ओडिशा) के दो संयंत्रों की क्षमता 30 लाख टन सालाना की है। कंपनी का इरादा अपनी क्षमता को वित्त वर्ष 2026-27 तक बढ़ाकर 42 लाख टन करने का है।
अभ्युदय जिंदल ने पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘हम इस निवेश को लेकर बहुत गंभीर हैं। फिलहाल हम भूमि अधिग्रहण के लिए राज्य सरकार के साथ चर्चा कर रहे हैं।’’
उन्होंने इस साल मार्च में महाराष्ट्र सरकार के साथ हुए समझौते की जानकारी मांगने पर यह बात कही।
चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए पूंजीगत व्यय पर जिंदल ने कहा कि इसे 2,700 करोड़ रुपये तय किया गया है, जिसमें वित्त वर्ष 2024-25 का 1,000 करोड़ रुपये का शेष भी शामिल है।
वित्त वर्ष 2024-25 में कंपनी का पूंजीगत व्यय का लक्ष्य 5,500 करोड़ रुपये था, लेकिन यह 4,500 करोड़ रुपये रहा। इसके चलते शेष राशि को चालू वित्त वर्ष के पूंजीगत व्यय में जोड़ दिया गया है।
भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार करार (एफटीए) पर उन्होंने कहा कि इसका सीधा प्रभाव नहीं हो सकता है, लेकिन ग्राहकों के माध्यम से यह कंपनी की वृद्धि पर अप्रत्यक्ष रूप से असर डाल सकता है।
जिंदल ने आगे कहा कि अभी तक जेएसएल नए बाजारों की तलाश नहीं कर रही है और निर्यात के लिए अमेरिका और यूरोप पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि मार्च तिमाही के दौरान, निर्यात मांग एक बार फिर बढ़ने लगी, जिसे क्षमता उपयोग में तेजी लाकर पूरा किया गया। यह अनुमान है कि अल्पावधि और मध्यम अवधि में सुधार जारी रहेगा, खासकर अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे गुणवत्ता के प्रति सजग बाजारों में, क्योंकि ‘पुराने ग्राहक वापस लौटने लगे हैं।’
आयात पर जिंदल ने कहा कि चीनी और वियतनामी आयात भारत के स्टेनलेस स्टील उद्योग को चुनौती देते रहे हैं। यह कुल आयात का 70 प्रतिशत से अधिक है। उन्होंने कहा कि कम मूल्य का स्टेनलेस स्टील वियतमान सहित आसियान देशों के माध्यम से भारत लाया जाता है।
कंपनी को मिली सूचना के अनुसार, राज्य मंत्रिमंडल उपसमिति की बैठक में जेएसएल के निवेश प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गई है। 40,000 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश वाली इस परियोजना को अगले 10 साल में विकसित किया जाना है। इससे 15,000 से अधिक रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
प्रस्तावित स्टेनलेस स्टील संयंत्र की कुल मेल्टिंग क्षमता 40 साल टन सालाना की होगी और इसका निर्माण चरणों में किया जाएगा। इसके पहले चरण के अगले चार साल में परिचालन में आने की उम्मीद है।
जेएसएल हाइड्रोजन, परमाणु ऊर्जा, रक्षा, परिवहन और बुनियादी ढांचा जैसे उभरते क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों के लिए विशेष ग्रेड का उत्पादन भी करेगी।