भारतीय सशस्त्र बल पाकिस्तान की किसी भी दुस्साहस का जवाब देने को पूरी तरह तैयार: सैन्य अधिकारी

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नयी दिल्ली, सात मई (भाषा) भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लगभग 25 मिनट के अभियान में नौ आतंकवादी ठिकानों को विश्वसनीय खुफिया जानकारी और सीमापार आतंकवादी गतिविधियों में उनकी भूमिका का पता लगने के आधार पर नष्ट कर दिया। यह जानकारी सैन्य अधिकारियों ने बुधवार को दी।

विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत यह हमला मंगलवार देर रात 1:05 बजे से 1:30 बजे तक किया गया और इसे पहलगाम आतंकवादी हमले के पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय दिलाने के लिए किया गया।

एक कुशल हेलीकॉप्टर पायलट सिंह ने कहा, ‘‘भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में काफी संयम दिखाया है। हालांकि, भारतीय सशस्त्र बल स्थिति को बिगाड़ने वाले किसी भी पाकिस्तानी दुस्साहस का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।’’

‘ऑपरेशन सिंदूर’ की जानकारी देते हुए महिला अधिकारियों ने कहा कि आतंकवादी शिविरों पर हमले अत्यंत सटीक क्षमता के साथ किए गए, जिसमें हथियारों का सावधानीपूर्वक चयन किया गया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि कोई अतिरिक्त क्षति न हो।

विंग कमांडर सिंह ने कहा, ‘‘प्रत्येक लक्ष्य में प्रभाव का बिंदु एक विशिष्ट इमारत या इमारतों का समूह था।’’

विंग कमांडर सिंह ने अंग्रेजी में बात की, जबकि कर्नल कुरैशी ने हिंदी में जानकारी दी।

विंग कमांडर सिंह ने कहा, ‘‘सभी लक्ष्यों को ​​दक्षता के साथ नष्ट किया गया और इसके परिणाम इस आपरेशन की योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने में भारतीय सशस्त्र बलों की पेशेवर अंदाज की पुष्टि करते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया। अब तक किसी भी तरह के नुकसान की कोई जानकारी नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि नौ आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया गया और उन्हें सफलतापूर्वक नष्ट किया गया।

विंग कमांडर सिंह ने कहा कि पिछले तीन दशकों में पाकिस्तान ने आतंकी आधारभूत ढांचे का व्यवस्थित तरीके से निर्माण किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह भर्ती और प्रशिक्षण केंद्रों, प्रशिक्षण और आतंकी शिविरों का एक जटिल जाल है। ये शिविर पाकिस्तान के साथ-साथ पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर (पीओजेके), दोनों में स्थित थे।’’

उन्होंने कहा कि लक्ष्यों का चयन विश्वसनीय खुफिया सूचनाओं और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने में इन स्थलों की भूमिका के आधार पर किया गया था।

विंग कमांडर सिंह ने कहा, ‘‘इन ठिकानों का चयन इस तरह से किया गया ताकि नागरिक प्रतिष्ठानों को कोई क्षति नहीं पहुंचे और किसी आम नागरिक की जान ना जाये।’’

दोनों अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए शिविरों का विवरण इस प्रकार है:

पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर (पीओजेके) में-

(1) सवाई नाला कैंप, मुजफ्फराबाद — यह पीओजेके में स्थित है, जो तंगधार सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) से 30 किलोमीटर दूर है और यह लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र था। 20 अक्टूबर, 2024 को सोनमर्ग में नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमला, 24 अक्टूबर, 2024 को गुलमर्ग में और 22 अप्रैल को पहलगाम हमला सवाई नाला में बने इस आतंकी मॉड्यूल द्वारा किया गया था।

(2) सैयदना बिलाल शिविर, मुजफ्फराबाद – जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी संगठन का एक शिविर था। इस शिविर का उपयोग नियंत्रण रेखा के पार कश्मीर क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आतंकवादियों को हथियार, विस्फोटक और जंगल में जीवित रहने की तकनीक का प्रशिक्षण देने के लिए किया जाता था।

(3) गुलपुर शिविर, कोटली- नियंत्रण रेखा (एलओसी) से 30 किलोमीटर दूर स्थित है। यह राजौरी-पुंछ में सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों का अड्डा था।

बीस अप्रैल, 2023 को पुंछ में हुए हमलों और 9 जून, 2024 को बस में यात्रा कर रहे निर्दोष तीर्थयात्रियों पर हमले में शामिल आतंकवादियों को गुलपुर में प्रशिक्षित किया गया था। मिली जानकारी से पुष्टि हुई है कि 26/11 का मास्टरमाइंड जकी-उर-रहमान लखवी अक्सर इस शिविर में आकर भड़काऊ भाषण देता था।

(4) अब्बास शिविर, कोटली -राजौरी के सामने एलओसी से करीब 13 किलोमीटर दूर स्थित था, इसे लश्कर के आत्मघाती हमलावरों के प्रशिक्षण केंद्र के रूप में जाना जाता था। इस शिविर में करीब 50 आतंकवादियों के लिए प्रमुख आतंकवादी प्रशिक्षण बुनियादी ढांचा था।

(5) बरनाला शिविर, भीमबेर – राजौरी-पुंछ सेक्टर के सामने एलओसी से 9 किलोमीटर दूर स्थित इस शिविर का इस्तेमाल आतंकवादियों को हथियार चलाने, आईईडी बनाने और जंगल में जीवित रहने की तकनीक सिखाने के लिए किया जाता था।

पाकिस्तान में:

(6) सरजाल शिविर, सियालकोट – सांबा-कठुआ के सामने अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीब छह किलोमीटर दूर स्थित था। मार्च 2025 में जम्मू कश्मीर पुलिस के चार जवानों की हत्या करने वाले आतंकवादियों को इसी शिविर से प्रशिक्षित किया गया था।

(7) मेहमूना जोया शिविर, सियालकोट- अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीब 12 किलोमीटर दूर, सियालकोट के पास स्थित था, यह हिजबुल मुजाहिदीन का एक प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र था।

इस शिविर का इस्तेमाल कठुआ और जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद को फिर से खड़ा करने के लिए नियंत्रण केंद्र के रूप में किया जा रहा था। पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हमले सहित बड़े आतंकवादी हमलों की योजना और निर्देशन इसी शिविर से किया गया था।

(8) मरकज तैयबा, मुरीदके – अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित यह हाफिज सैयद के नेतृत्व वाले लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय था। यहां प्रशिक्षित आतंकवादी 2008 में मुंबई हमलों सहित कई हमलों से जुड़े रहे हैं।

मुंबई हमले के बाद जिंदा पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब ने मुरीदके में प्रशिक्षण प्राप्त करने की बात कबूल की थी। जानकारी के अनुसार, यह पता चला था कि डेविड कोलमैन हेडली ने भी इस शिविर में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

(9) मरकज सुभान, बहावलपुर- अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित, जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय था। इस शिविर का इस्तेमाल जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों की भर्ती और उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए किया जाता था। मसूद अजहर सहित आतंकवादी सरगना इस शिविर में अक्सर आते थे और इस शिविर से आतंकवादियों को निर्देश देते थे

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