राहुल गांधी ने मोदी सरकार को जाति जनगणना की घोषणा के लिए मजबूर किया: गुजरात कांग्रेस

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अहमदाबाद,  कांग्रेस की गुजरात इकाई के नेताओं ने अगली जनगणना में जाति गणना को शामिल करने के केंद्र सरकार के फैसले का शुक्रवार को स्वागत किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार को यह निर्णय लेने के लिए “मजबूर करने” का श्रेय पार्टी नेता राहुल गांधी को जाता है।

कांग्रेस की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक, पार्टी की नगर इकाई के अध्यक्ष हिम्मत सिंह पटेल और राज्य विधानसभा में विपक्ष के उपनेता शैलेश परमार के नेतृत्व में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता पालदी क्षेत्र में राजीव गांधी भवन में राहुल गांधी का आभार जताने के लिए एकत्र हुए।

केंद्र सरकार ने बुधवार को घोषणा की थी कि जाति गणना अगली जनगणना का हिस्सा होगी। राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीपीए) ने यह फैसला किया था।

पटेल ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए 2023 में कश्मीर से कन्याकुमारी तक आयोजित अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी ने सबसे पहले देश में जाति जनगणना की मांग उठाई थी।

उन्होंने कहा, “राहुल गांधी ने हमेशा जाति जनगणना का समर्थन किया है, क्योंकि कांग्रेस देश में सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमने पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले भी यही मांग उठाई थी। नतीजतन, भाजपा सरकार अब अगली जनगणना में जाति गणना को शामिल करने के लिए मजबूर है।”

पटेल ने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी सामाजिक न्याय से जुड़ी नीतियों को लागू करने से हमेशा कतराते रहे और विपक्षी दलों पर जाति जनगणना की मांग करके समाज को बांटने की कोशिश करने का आरोप लगाते रहे।

उन्होंने कहा, “जाति जनगणना के बिना सामाजिक कल्याण योजनाओं को लागू करने का कोई मतलब नहीं है। केंद्र का यह फैसला राहुल गांधी के अथक संघर्ष, प्रतिबद्धता और दूरदर्शिता का नतीजा है। सभी पिछड़े और दलित वर्ग राहुल के योगदान के लिए हमेशा उनके आभारी रहेंगे।”

वहीं, कांग्रेस नेता शैलेश परमार ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि राहुल गांधी ने मोदी सरकार को जाति जनगणना की घोषणा करने के लिए मजबूर किया।

उन्होंने कहा, “संविधान के अनुसार जाति जनगणना कराना सरकार का कर्तव्य है। हर जाति की सही जनसंख्या जाने बिना उनके लिए न्याय सुनिश्चित करना असंभव है। सरकार को पारदर्शिता के साथ जनगणना करानी चाहिए और इस बाबत समयसीमा निर्धारित करनी चाहिए।”

 

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