पीएमएलए के तहत कार्रवाई में 2014 के बाद आई तेजी; दोषसिद्धि दर 93 प्रतिशत से अधिक: ईडी निदेशक

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नयी दिल्ली,  प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक राहुल नवीन ने बृहस्पतिवार को कहा कि धन शोधन निरोधक कानून (पीएमएलए) 2014 से पहले ‘‘काफी हद तक अप्रभावी’’ था।

उन्होंने कहा कि इन मामलों के निर्णय में देरी के लिए देश की न्यायिक प्रणाली में ‘‘सामान्य देरी’’ और ऐसी जांच की अंतर्निहित जटिलता को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

नवीन ने यह भी कहा कि ईडी के मामलों में ‘‘सराहनीय दोषसिद्धि’’ दर 93.6 प्रतिशत है, क्योंकि अब तक अदालतों द्वारा तय किए गए 47 मामलों में से केवल तीन मामलों में ही आरोपी बरी हुए हैं।

नवीन ने ‘ईडी दिवस’ के अवसर पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘वह ‘‘स्पष्ट रूप से स्वीकार करते हैं’’ कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत शुरू की गई कई जांचें ‘‘बहुत लंबे समय’’ से लंबित थीं, और इस वर्ष उनका ध्यान जांच पूरी करने और ‘‘अंतिम’’ आरोपपत्र तेजी से दाखिल करने के प्रयासों पर होगा।

पीएमएलए को 2003 में अधिसूचित किया गया था लेकिन यह एक जुलाई 2005 को प्रभावी हुआ था। नवीन ने कहा कि प्रारंभिक वर्षों में यह ‘‘काफी हद तक अप्रभावी’’ था तथा प्रति वर्ष 200 से भी कम मामले दर्ज किए गए और वे भी ज्यादातर मादक पदार्थ से संबंधित अपराधों तक ही ‘‘सीमित’’ थे।

उन्होंने कहा कि मार्च 2014 तक ईडी द्वारा अपराध से जुड़ी कुल जब्त संपत्ति का मूल्य केवल 5,171 करोड़ रुपये था, जबकि पहला आरोपपत्र 2012 में दाखिल किया गया था।

नवीन ने कहा, ‘‘हालांकि, 2014 के बाद प्रवर्तन गतिविधि में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2014 से 2024 तक पीएमएलए के तहत 5,113 नई जांच शुरू की गई , जो प्रति वर्ष औसतन 500 (मामलों) से अधिक हैं।’’

ईडी के निदेशक ने कहा, ‘‘इस गति को आगे बढ़ाते हुए, हम संतोष व्यक्त कर सकते हैं कि वित्त वर्ष 2024-25 में पीएमएलए के तहत दर्ज 775 नये मामलों में जांच शुरू की गईं, 333 अभियोजन शिकायतें दर्ज की गईं और उल्लेखनीय रूप से 34 व्यक्तियों को दोषी ठहराया गया।’’

उन्होंने बताया कि पिछले वित्त वर्ष में एजेंसी ने 30,036 करोड़ रुपये मूल्य के 461 अनंतिम कुर्की आदेश जारी किए। ईडी प्रमुख ने कहा कि इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में कुर्की की संख्या में 44 प्रतिशत की वृद्धि हुई और उनके कुल मूल्य में 141 प्रतिशत की ‘‘असाधारण’’ वृद्धि हुई।

उन्होंने बताया कि 31 मार्च, 2025 तक अनंतिम कुर्की के तहत संपत्तियों का कुल मूल्य 1,54,594 करोड़ रुपये था।

नवीन ने पिछले वर्ष किए गए कार्यों का लेखाजोखा पेश करते हुए कहा कि ईडी ने 333 आरोपपत्र दायर किए, जिससे मार्च 2025 तक विभिन्न चरणों में चल रहे मामलों की कुल संख्या 1,739 हो गई।

ईडी प्रमुख ने कहा, ‘‘इन मामलों के निर्णय में देरी के लिए न्यायिक प्रणाली में सामान्य देरी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, लेकिन इसका कारण धन शोधन जांच की अंतर्निहित जटिलता और संबंधित अपराध के मुकदमे के साथ प्रक्रियागत संबंध भी हैं।’’

विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दलों ने प्रवर्तन निदेशालय पर ‘‘खराब’’ दोषसिद्धि दर का आरोप लगाया है। इस बारे में नवीन ने कहा कि यह ‘‘बहुत संतोषजनक’’ है कि जिन मामलों में अदालतें किसी फैसले पर पहुंची हैं, उनके परिणामों ने ‘‘हमारे प्रवर्तन कार्यों की ताकत का भरपूर समर्थन किया है’’।

उन्होंने कहा कि अब तक निस्तारित 47 मामलों में से केवल तीन मामलों में आरोपियों पर दोष सिद्ध नहीं हुआ। इस प्रकार 93.6 प्रतिशत की ‘‘सराहनीय’’ दोषसिद्धि दर प्राप्त की गई है।

नवीन ने कहा, ‘‘हम स्पष्ट रूप से स्वीकार करते हैं कि कई पीएमएलए जांचें बहुत लंबे समय से लंबित हैं, और इस वर्ष विशेष तौर पर हमारा ध्यान इन मामलों की जांच को पूरा करने और विशेष अदालतों के समक्ष अंतिम अभियोजन शिकायत और आपराधिक संपत्ति की जब्ती के लिए प्रार्थना दायर करने पर होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम समझते हैं कि लंबे समय से लंबित जांच से कोई मदद नहीं मिलती बल्कि इससे आलोचना होती है।’’

नवीन ने यह भी कहा कि वित्तीय अपराधों के पीड़ितों को उनकी संपत्ति लौटाने या बहाल करने की प्रक्रिया में ‘‘तेजी’’ आएगी।

उन्होंने कहा कि यद्यपि आपराधिक गतिविधियों से अर्जित इन परिसंपत्तियों को अनंतिम कुर्की और जब्ती के माध्यम से सुरक्षित कर लिया गया है, लेकिन इनका एक बड़ा हिस्सा तब तक ‘‘अनुत्पादक’’ बना रहता है, जब तक कि अदालतों द्वारा अंतिम जब्ती नहीं कर ली जाती, जो एक समय लेने वाली प्रक्रिया है।

नवीन ने कहा, ‘‘मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि अदालतों की मंजूरी से वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 30 मामलों में 15,261 करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति की गई और इस प्रक्रिया में तेजी आने की संभावना है।’’

नवीन ने बताया कि ईडी ने अब तक 24 लोगों को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने के लिए आवेदन दायर किए हैं, जिनमें से 14 को भगोड़ा घोषित किया जा चुका है। शराब कारोबारी विजय माल्या और हीरा कारोबारी नीरव मोदी उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया है।

ईडी की स्थापना के 69 वर्ष बृहस्पतिवार को पूरे हुए। वर्ष 1956 में इसी दिन ईडी की स्थापना की गई थी।

 

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