नींद न आना सिर दर्द या पैर दर्द की तरह किसी अन्य रोग का ही लक्षण है। नींद न आने के कुछ विशेष कारण होते हैं। इलाज करने से पहले इसके कारणों को जानना आवश्यक होता है। ये कारण रोगी की शारीरिक क्रियाओं में उसकी आदतों में, उसकी मानसिकता में और उसके द्वारा प्रयोग की जा रही दवाओं में ढूंढे जा सकते हैं।
किसी व्यक्ति की अनिद्रा के संबंध में विचार करने से पहले यह जान लेना आवश्यक है कि अनिद्रा किस श्रेणी की है। प्रायः प्रत्येक व्यक्ति कभी न कभी परिस्थितिवश अनिद्रा का शिकार होता है इसलिये डॉक्टर एवं निद्रा विशेषज्ञ अनिद्रा को तीन श्रेणियों में विभाजित करते हैं साधारण अनिद्रा, गंभीर अनिद्रा तथा अत्यन्त गंभीर अनिद्रा।
साधारण अनिद्रा का कारण सफर की थकावट, दर्द, लड़ाई-झगड़ा आदि हो सकता है। यह अनिद्रा अधिकतम एक सप्ताह तक की होती है। गंभीर अनिद्रा के कारण अधिक समय तक प्रभाव छोड़ने वाले होते हैं। यह अनिद्रा कई सप्ताह तक बनी रह सकती है। गंभीर अनिद्रा के मूल में किसी प्रियजन का विछोह, संबंध विच्छेद, आवासीय स्थान का बदलना, परीक्षा आदि कारण हो सकते हैं। अत्यन्त गंभीर किस्म की अनिद्रा महीनों और सालों तक बनी रहती है क्योंकि यह दुःस्साध्य रोग का रूप धारण कर लेती है।
निद्रा अनुसंधानी विशेषज्ञों का अनुमान है कि मस्तिष्क में निद्रा और जागरण की क्रिया को नियंत्रित करने हेतु दो व्यवस्थाएं हैं। जागृति की अवस्था में निद्रा लाने वाली व्यवस्था अपना कार्य स्थगित कर देती है। जब मनुष्य अनिद्रा रोग से ग्रस्त होता है तब उसकी निद्रा और जागरण की क्रियाएं मस्तिष्क के नियंत्राण से बाहर हो जाती हैं। ऐसी अवस्था में निद्रा व्यवस्था की अपेक्षा जागरण व्यवस्था अधिक सक्रिय हो जाती है। व्यवस्था का अनियंत्रित होना ही अनिद्रा का मुख्य कारण होता है न कि रोगी में शारीरिक या मानसिक क्रिया-प्रतिक्रियाओं का होना। व्यक्ति के शरीर में उत्पन्न क्रियाओं को चार भागों में बांटा जा सकता है।
अस्वस्थता
शारीरिक अस्वस्थता जैसे सिर-दर्द, पेट दर्द, गठिया दर्द, दमा होने से श्वास में अवरोध, गर्भावस्था आदि के कारण अनिद्रा की शिकायत हो सकती है। मानसिक अस्वस्थता जैसे परीक्षा की चिन्ता, कर्ज चुकाने की चिन्ता, लड़की की शादी, तलाक से उत्पन्न परिस्थिति, जान-मान का खतरा आदि कारणों से भी अनिद्रा की शिकायत हो सकती है।दवायें
सर्वेक्षण करने पर यह प्रमाण मिलते हैं कि अधिक दवाओं का प्रयोग करने से भी नींद कम आती है। नींद की गोलियां भी उधार की नींद दे पाती हैं। शराब, गर्भ-निरोधक गोलियां, हृदय रोग की दवाई आदि से अनिद्रा की शिकायत होती है या हो सकती है।
सोने से पूर्व की आदतें
कुछ लोगों को कुछ विशेष वातावरण में ही नींद आती है। यदि वातावरण प्रतिकूल मिले तो वे रात भर जगते ही रहते हैं जैसे कुछ को रोशनी में नींद नहीं आती। कुछ जमीन पर नहीं सो सकते। कुछ को चाय आदि पीने से अनिद्रा की शिकायत रहती है।नकारात्मक प्रभाव
कुछ लोगों के सोने और जागने का कोई निश्चित समय नहीं होता। अतः निद्रा और जागरण का चक्र अनिश्चित होने से भी अनिद्रा का रोग हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति अनिद्रा से पीड़ित है तो उसे अनिद्रा के मूल कारणों को समझना चाहिए। अनिद्रा से पीड़ित व्यक्ति सामान्यः निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं।सुझाव
यदि आप रात को अच्छी तरह से नहीं सो पाये तो सुबह मत सोइये। दूसरी रात निश्चित समय पर सोयें और निश्चित समय पर प्रातः जागें। इससे निद्रा और जागरण का चक्र अपना समय निश्चित कर लेगा।
यदि आप तनाव के कारण नहीं सो पा रहे हैं तो शरीर की मांसपेशियों को धीरे-धीरे तानिये, फिर शरीर को ढीला छोड़ दें। मन को शांत करने वाले दृश्यों की कल्पना कीजिये।
यदि आप रात में जग जायें तो शरीर को ढीला छोड़ कर सोने का प्रयास करें। यदि तब भी नींद न आये तो पढ़िये अथवा मंद संगीत सुनिये। नींद आ जायेगी।
बीड़ी, सिगरेट तथा शराब पीना बंद कर देना चिहए। सोने से पहले कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन न करें जैसे चाय, काफी, सिगरेट, चाकलेट आदि।
चिंताएं दूर करने का प्रयास कीजिये।
स्वास्थ्य हेतु व्यायाम करना चाहिए। सोने से पहले व्यायाम न करें।
यदि उपरोक्त कोशिशों के बाद भी आप को अनिद्रा से छुटकारा न मिले तो आप निद्रा विशेषज्ञ से सम्पर्क स्थापित करें।