नयी दिल्ली, 28 अप्रैल (भाषा) भारत और फ्रांस ने सोमवार को भारतीय नौसेना के लिए लगभग 64,000 करोड़ रुपये की लागत से राफेल लड़ाकू विमानों के 26 नौसैनिक संस्करण खरीदने के वास्ते एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस समझौते में राफेल विमान के ढांचे के लिए उत्पादन सुविधा स्थापित करने के साथ-साथ भारत में विमान के इंजन, सेंसर और हथियारों के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहालिंग सुविधाओं की स्थापना का प्रावधान है।
बयान में कहा गया कि इस समझौते से भारत में स्वदेशी हथियारों के एकीकरण के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में भी मदद मिलेगी।
इन विमानों की आपूर्ति 2030 तक पूरी हो जाएगी, जिसके चालक दल को फ्रांस और भारत में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन द्वारा निर्मित, राफेल-मरीन लड़ाकू विमान समुद्री क्षेत्र में पूर्ण रूप से संचालन में सक्षम है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) द्वारा खरीद को मंजूरी दिए जाने के तीन सप्ताह बाद इस बड़े सौदे पर मुहर लगी।
संदर्भ शर्तों के अनुसार, अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के लगभग पांच वर्ष बाद जेट विमानों की आपूर्ति शुरू होनी होगी।
जुलाई 2023 में रक्षा मंत्रालय ने कई दौर के विचार-विमर्श और मूल्यांकन परीक्षणों के बाद इस बड़े अधिग्रहण के लिए प्रारंभिक मंजूरी दे दी थी।
इस सौदे के तहत भारतीय नौसेना को राफेल (मरीन) लड़ाकू विमानों के निर्माता दसॉ एविएशन से हथियार प्रणाली और कलपुर्जे सहित संबंधित सहायक उपकरण भी मिलेंगे।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि राफेल-मरीन और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) द्वारा संचालित राफेल में समानताएं हैं।
उसने एक बयान में कहा, “राफेल-मरीन की खरीद से भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना दोनों के लिए विमान प्रशिक्षण और रक्षा सामग्री को अनुकूलित करने के साथ-साथ संयुक्त परिचालन क्षमता में भी काफी वृद्धि होगी।”
इसमें कहा गया, “इन विमानों के शामिल होने से भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोतों की मारक क्षमता में काफी वृद्धि होगी।”
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस के सशस्त्र बल मंत्री सेबेस्टियन लेकॉर्नू ने अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए। भारत और फ्रांस के अधिकारियों ने समझौते, विमान पैकेज आपूर्ति प्रोटोकॉल और हथियार पैकेज आपूर्ति प्रोटोकॉल की हस्ताक्षरित प्रतियों का आदान-प्रदान किया।