नयी दिल्ली, 28 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय को सोमवार को सूचित किया गया कि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) नेता वी सेंथिल बालाजी ने तमिलनाडु सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और राज्यपाल ने उनका त्यागपत्र स्वीकार कर लिया है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से न्यायालय में पेश राजभवन प्रेस विज्ञप्ति का संज्ञान लिया।
इस बीच, शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई पूरी होने तक बालाजी को मंत्री पद पर बने रहने से प्रतिबंधित करने के अनुरोध वाली प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
पीठ ने कहा, “हमें एक प्रेस विज्ञप्ति सौंपी गई है, जिसमें लिखा है कि उन्होंने (बालाजी) इस्तीफा दे दिया है, जिसे माननीय राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया है। इसलिए अब इस याचिका पर विचार करने का कोई मतलब नहीं है।”
उच्चतम न्यायालय ने 23 अप्रैल को बालाजी को “पद और आजादी के बीच में से किसी एक को” चुनने का विकल्प दिया था। उसने द्रमुक नेता को चेतावनी दी थी कि अगर उन्होंने तमिलनाडु सरकार में मंत्री पद नहीं छोड़ा, तो उनकी जमानत रद्द कर दी जाएगी।
शीर्ष अदालत ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि ‘नौकरी के लिए नकदी घोटाले’ से जुड़े धन शोधन मामले में जमानत मिलने के कुछ दिन बाद ही बालाजी को तमिलनाडु के कैबिनेट मंत्री के रूप में बहाल कर दिया गया था।
न्यायालय ने 15 महीने से अधिक समय से जेल में बंद बालाजी (48) को पिछले साल 26 सितंबर को यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि मुकदमे के निकट भविष्य में निपटने की कोई संभावना नहीं है।
इसके बाद 29 सितंबर को तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने बालाजी को मंत्री पद की शपथ दिलाई थी और उन्हें वही प्रमुख विभाग (बिजली, गैर-परंपरागत ऊर्जा विकास, निषेध एवं आबकारी) सौंपे गए थे, जो स्टालिन मंत्रिमंडल में पहले भी उनके पास थे।
करूर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले बालाजी को 14 जून 2023 को ‘नौकरी के लिए नकदी घोटाले’ से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया गया था।
ईडी का आरोप है कि 2011 से 2015 के बीच पिछली अन्नाद्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री के रूप में बालाजी के कार्यकाल के दौरान राज्य परिवहन विभाग में हुई भर्तियों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ था।