नयी दिल्ली, ‘ओपन फॉर बिजनेस सिटी रेटिंग्स 2025’ के अनुसार, भारत के प्रमुख शहरी केंद्रों ने ‘एलजीबीटीक्यू प्लस’ के समावेश में मध्यम स्तर की लेकिन आशाजनक प्रगति की है।
यह संस्था इस समुदाय के समावेश और आर्थिक प्रतिस्पर्धात्मकता के आधार पर वैश्विक स्तर पर 149 शहरों का मूल्यांकन करती है।
मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद को इस मामले में ‘सी’ रेटिंग मिली है, जो उन्हें ‘आंशिक रूप से व्यवसाय के लिए खुला’ के रूप में वर्गीकृत करती है।
यह रेटिंग उन्हें एशिया-प्रशांत क्षेत्र के कई अन्य शहरों से आगे रखती है, भले ही राष्ट्रीय नीतियां ‘एलजीबीटीक्यू प्लस’ के अधिकारों को आगे बढ़ाने में ‘सुस्त’ बनी हुई हैं।
रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारत की प्रगति काफी हद तक कई सक्रिय राज्य-स्तरीय पहलों और निजी क्षेत्र के नेतृत्व द्वारा प्रेरित हुई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ ऐतिहासिक न्यायिक निर्णयों ने अधिक समावेश के लिए माहौल तैयार किया है, जिनमें न्यायालयों में ट्रांसजेंडर लोगों के लिए अलग शौचालयों संबंधी उच्चतम न्यायालय का आदेश और मद्रास उच्च न्यायालय का 2025 का फैसला जिसमें कहा गया है कि ‘समलैंगिकता एक विकार नहीं है’ शामिल हैं।
अन्य ऐसे फैसलों में ‘एलजीबीटीक्यू प्लस’ लोगों के पुलिस उत्पीड़न पर अंकुश लगाने के लिए तमिलनाडु का 2022 का निर्देश और 2024 में जारी किया गया शिक्षा समानता सूचकांक शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉर्पोरेट क्षेत्र में टाटा स्टील और महिंद्रा जैसी कंपनियों ने इस समुदाय के कर्मचारियों के लिए विशेष भर्ती कार्यक्रम और कर्मचारी संसाधन समूह शुरू किए हैं।
रिपोर्ट में डेलॉइट के एक सर्वेक्षण के हवाले से कहा गया है कि ‘एलजीबीटीक्यू प्लस’ समुदाय के कर्मियों द्वारा अपनी पहचान का खुलासा करने में सहजता के मामले में भारतीय कार्यस्थलों ने वैश्विक औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है।
इसमें कहा गया है कि इस प्रगति के बावजूद राष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाइयां पिछड़ गई हैं। समलैंगिक विवाह को वैध बनाने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का 2023 का फैसला इस संदर्भ में एक झटका था।
रिपोर्ट कहती है, ‘‘समावेशी शहर प्रतिभाओं को आकर्षित करते हैं और नवाचार बढ़ाते हैं।’’
इसमें कहा गया है कि इस समुदाय के उच्च समावेश वाले शहरों ने मानव पूंजी प्रदर्शन के मामले में चार गुना और उद्यमशीलता के लिहाज से ढाई गुना अच्छा काम किया।
प्राइड सर्कल, रेन्बो बाजार और फेमवर्क्स एंटरटेनमेंट के सह-संस्थापक श्रीनी रामास्वामी ने कहा, ‘‘चुनौतियां बनी हुई हैं, लेकिन ये प्रगति अधिक समावेशी भविष्य के लिए उम्मीद को बढ़ाने वाली है।’’
रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि समावेशी शहरी नीति न केवल एक नैतिक अनिवार्यता है, बल्कि एक श्रेष्ठ आर्थिक कदम भी है।