भारत-सऊदी अरब संबंधों में असीम संभावनाएं हैं: प्रधानमंत्री मोदी

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नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सऊदी अरब को भारत के सबसे मूल्यवान साझेदारों में से एक बताया और इसे एक विश्वसनीय मित्र एवं सहयोगी करार देते हुए कहा कि वर्तमान समय उनके संबंधों के लिए आशाजनक समय है, जिसमें ‘असीमित संभावनाएं’ हैं।

सऊदी अरब की अपनी दो दिवसीय यात्रा से पहले अरब न्यूज को दिए साक्षात्कार में मोदी ने कहा, ‘‘भारत और सऊदी अरब न सिर्फ अपने लिए बल्कि पूरे विश्व की शांति, प्रगति तथा समृद्धि के लिए एक साथ आगे बढ़ते रहेंगे।’’

मोदी ने कहा कि दोनों देश द्विपक्षीय निवेश संधि पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत और जीसीसी (खाड़ी सहयोग परिषद) के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते में भारत और सऊदी अरब तथा पूरे क्षेत्र के बीच आर्थिक संबंधों को बदलने की क्षमता हैं।

उन्होंने इस साझेदारी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए सऊदी नेतृत्व की प्रशंसा की और निमंत्रण के लिए सऊदी अरब के शहजादे (क्राउन प्रिंस) मोहम्मद बिन सलमान को धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘सऊदी अरब, भारत के सबसे मूल्यवान साझेदारों में से एक है जो एक समुद्री पड़ोसी, एक विश्वसनीय मित्र और एक रणनीतिक सहयोगी है।’’

मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध मानसूनी हवाओं की तरह बहुत पुराने हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध न केवल वैश्विक चुनौतियों से बचे रहे हैं, बल्कि संबंधों में मजबूती भी आई है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा संबंध नया नहीं है। यह सदियों पुराने सभ्यतागत आदान-प्रदान पर आधारित है। विचारों से लेकर व्यापार तक, हमारे दो महान देशों के बीच निरंतर प्रवाह रहा है।’’

मोदी ने कहा कि 2014 में उनके पदभार संभालने के बाद से उनके संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं और 2019 में रणनीतिक साझेदारी परिषद का गठन एक प्रमुख मील का पत्थर है।

उन्होंने कहा, ‘‘तब से हमारे बीच सहयोग कई क्षेत्रों में विस्तारित हुआ है और मैं आपको बता दूं कि यह तो बस शुरुआत है। हमारी साझेदारी में असीम संभावनाएं हैं।’’

शहजादे मोहम्मद बिन सलमान के साथ अपने व्यक्तिगत तालमेल के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा कि उन्होंने अपनी अंतर्दृष्टि, दूरदर्शी दृष्टिकोण और अपने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के जुनून से उन पर गहरी छाप छोड़ी है।

मोदी ने कहा कि उन्हें सऊदी दृष्टिकोण 2030 और भारत के विकसित भारत दृष्टिकोण 2047 के बीच समानताएं नजर आईं। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय निवेश बढ़ रहा है।

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