बेंगलुरु, 18 अप्रैल (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शुक्रवार को दावा किया कि बृहस्पतिवार शाम को मंत्रिमंडल की हुई विशेष बैठक में सामाजिक एवं शैक्षिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पर कोई विरोध नहीं हुआ। इस सर्वेक्षण रिर्पोट को ‘जाति जनगणना’ के नाम से जाना जाता है।
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि चर्चा के दौरान मंत्रियों के बीच कोई तीखी बहस नहीं हुई, जैसा कि मीडिया के एक वर्ग द्वारा खबर दी गई है।
सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘कल इस (जाति जनगणना रिपोर्ट) पर मंत्रिमंडल में चर्चा हुई जो अधूरी रही और चर्चा दूसरे दिन के लिए टाल दी गई। इस विषय पर मंत्रिमंडल की अगली बैठक में चर्चा की जाएगी। किसी ने इसका विरोध नहीं किया है।’’
उन्होंने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘मीडिया में आई यह खबरें झूठी हैं कि कुछ मंत्रियों के बीच तीखी बहस हुई थी।’’
उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने भी मंत्रिमंडल की बैठक में किसी भी तरह की नोक-झोंक से इनकार किया है।
कुमार ने यहां अलग से संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘हमने विचार साझा किए, बस इतना ही। ऊंची आवाज में बोलना या दलील देने जैसा कुछ नहीं हुआ। सुझाव दिए गए। इसके अलावा कुछ भी तय नहीं हुआ।’’
विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने बैठक के बाद बृहस्पतिवार को बताया कि मंत्रिमंडल ने सर्वेक्षण के लिए प्रयुक्त मापदंडों पर चर्चा की तथा वरिष्ठ अधिकारियों से अधिक जानकारी और तकनीकी ब्योरा मांगा। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल दो मई को एक बार फिर सर्वेक्षण रिपोर्ट पर चर्चा करेगा और उस पर निर्णय लेगा।
सूत्रों के मुताबिक कुछ मंत्रियों ने सर्वेक्षण रिपोर्ट पर अपनी आपत्तियां दर्ज कीं तथा कई क्षेत्रों से व्यक्त की गई चिंताओं का हवाला देते हुए कहा कि यह अवैज्ञानिक और पुरानी है तथा इसमें कम गणना की गई है। उन्होंने बताया कि इसके बाद मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सभी मंत्रियों से लिखित या मौखिक रूप से अपनी राय देने को कहा।
सूत्रों ने बताया कि ऐसी खबरें थीं कि सर्वेक्षण रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान कुछ मंत्रियों ने ‘‘नाराजगी भरे लहजे’’ में बात की और इस पर अपनी आपत्ति जताई, लेकिन मंत्रिमंडल की बैठक में मौजूद अन्य मंत्रियों ने इसकी पुष्टि नहीं की।