अमेरिकी शुल्क से निपटने के लिए भारत बेहतर स्थिति में: आईटीसी चेयरमैन पुरी

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नयी दिल्ली, 15 अप्रैल (भाषा) आईटीसी के चेयरमैन संजीव पुरी ने कहा है कि अमेरिकी शुल्क से उत्पन्न बाधाओं से निपटने के लिए भारत बेहतर स्थिति में है।

उन्होंने मंगलवार को कहा, ‘‘इसकी मुख्य वजह यह है कि भारत की अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत काफी तेजी से आगे बढ़ रही है और समझौते पर हस्ताक्षर की संभावना बन रही है।’’

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत कई देशों पर जवाबी शुल्क की घोषणा की है। हालांकि, चीन के अलावा बाकी देशों पर इसे तीन महीने के लिए टाल दिया गया है। अभी केवल चीन पर 145 प्रतिशत का शुल्क लागू है।

हालांकि, अमेरिका को निर्यात पर 10 प्रतिशत का मूल शुल्क जारी रहेगा। अन्य जवाबी शुल्क अब नौ जुलाई से लागू होंगे।

घरेलू उद्योग पर इन शुल्क के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर पुरी ने कहा कि यह बताना मुश्किल है कि इसका क्या प्रभाव होगा, लेकिन भारत की स्थिति इस मामले में काफी बेहतर होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘ यह कहना मुश्किल है कि इसमें क्या बदलाव आएगा, लेकिन मेरा अपना मानना ​​है कि अंत में भारत की स्थिति काफी बेहतर होगी। हम कई मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर हस्ताक्षर की संभावना देख रहे हैं, जिनकी उद्योग जगत काफी समय से प्रतीक्षा कर रहा है। उम्मीद है कि इस वर्ष ऐसा हो जाएगा, चाहे वह यूरोपीय संघ हो, ब्रिटेन हो या फिर निश्चित रूप से अमेरिका जिसके के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत काफी तेजी से आगे बढ़ रही है।

भारत और अमेरिका मार्च से द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर बातचीत कर रहे हैं। दोनों पक्षों ने इस साल सितंबर-अक्टूबर तक समझौते के पहले चरण को पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसका उद्देश्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना से अधिक बढ़ाकर 500 अरब अमेरिकी डॉलर करना है।

अंतरराष्ट्रीय भाषा में व्यापार समझौतों को मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए), सीईसीए, (व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता), सीईपीए (व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता) या द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के तौर पर वर्णित किया जाता है।

इन समझौतों में दो व्यापारिक साझेदार अपने बीच व्यापार की जाने वाली अधिकतम वस्तुओं पर आयात शुल्क को या तो काफी हद तक कम कर देते हैं या खत्म कर देते हैं।

पुरी ने कहा कि यद्यपि भारत की उपभोग-आधारित अर्थव्यवस्था को कुछ अल्पकालिक अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता के साथ ही डिजिटलीकरण तथा भविष्य के लिए तैयार खंड के पास बहुत कुछ देने को है।

आईटीसी पर शुल्क के प्रभाव के संबंध में पुरी ने कहा कि यह भी ‘अधिक घरेलू-केंद्रित उद्योग’ है और अमेरिकी शुल्क के कारण इसपर कुछ असर पड़ सकता है।

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