आधुनिक युग ने मनुष्य की जिंदगी को व्यस्त एवं तनाव पूर्ण बना दिया है। महानगरों और शहरों में रहने वालों का जीवन मशीन बनकर रह गया है। इस व्यस्तता के कारण अवकाश का समय ही नहीं मिल पाता है। कार्य की अधिकता एवं उससे अधिक उसकी चिन्ता मानसिक तनाव पैदा करती है।
मानसिक तनाव का हमारे स्वास्थ्य से गहरा संबंध है। हम उतने ही प्रसन्नचित्त तथा स्वस्थ रहेंगे जितना कम मानसिक तनाव होगा। इसके विपरीत मानसिक तनाव बढऩे पर प्रसन्नता एवं स्वास्थ्य कम होता जायेगा और चिन्ता का होना हमारे स्वास्थ्य के लिए घातक है।
जब मानसिक तनाव काफी समय तक बना रहता है तो शरीर नाना प्रकार की बीमारियों का शिकार होने लगता है स्मरण शक्ति क्षीण हो जाती है। लोग भुलक्कड़ हो जाते हैं। मानसिक तनाव से होने वाली बीमारियों में अनिद्राए रक्तचापए अल्सरए बुखारए पेट संबंधी रोगए बालों का झडऩाए बालों का सफेद हो जानाए चिड़चिड़ापनए ब्रेनहेमरेजए पागलपन इत्यादि प्रमुख है। पुरुषों में नपुंसकताए शीघ्रपतन का एक कारण मानसिक तनाव भी है। इसके कारण स्त्रियों में मासिक धर्म भी प्रभावित हो सकता है। कहा जाता है कि इसका असर गर्भावस्था में भावी पीढ़ी पर भी पड़ता है। प्रायरू यह देखा गया है कि जो स्त्रियां गर्भावस्था के दौरान तनाव से पीडि़त रहती हैं उनके बच्चा चिड़चिड़े होते हैं। इस प्रकार देखा जाये तो मानसिक तनाव बहुत सी बीमारियों के लिए जिम्मेदार है।
तनाव दूर करने के लिए कुछ आसान तरीके इस प्रकार हैं। इनके अनुसार अपनी दिनचर्या व्यवस्थित करें।
प्रातरूकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर सैर के लिए जाइए। हल्की फुल्की दौड़ या जागिंग भी कर सकते हैं। सोकर उठने पर ब्रश करने के बाद एक गिलास ठंडा पानी पियें। शौच इत्यादि से निवृत्त होकर व्यायाम या आसन करें। यह पाया गया है कि कुछ विशिष्ट आसनों के प्रयोग से मानसिक तनाव को कम किया जदा सकता है। जैसे सूर्य नमस्कारए भुजंगासनए योगमुद्राए सुखासनए हलासनए पदमासन तथा शवासन इत्यादि। मानसिक तनाव कम करने के लिए प्राणायाम तथा षटकर्म भी विशेष लाभकारी है। इससे मानसिक तथा शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है। आत्मविश्वास पैदा होगा जिससे हम किसी समस्या या तनाव ग्रस्त अवस्था का सामना अश्छी प्रकार से कर सकेंगे।
आसन या प्राणायाम करने के लिए किसी योग्य प्राकृतिक एवं योग चिकित्सक से परामर्श करके कुछ दिन उनके निर्देशन में अभ्यास कर लें।
यह देखा गया है कि अधिक मानसिक तनाव में नीद नहीं आती है। नींद लेने के लिए पैरों के लिए गरम स्नान सर्वोत्तम प्राकृतिक उपाय है। सोने के पूर्व बाल्टी या टब में -.4 भाग गुनगुना अथवा गरम पानी भर लें। पानी इतना गरम हो जिसे सहा जा सके। किसी तख्त या चारपाई पर बैठें तथा पैर पानी में रख दें। करीब 15.20 मिनट के बाद पैर निकाल लें तथा तौलिया से पोंछकर साफ कर लें। फिर शान्त चित्त होकर लेट जायें। थोड़ी देर बाद नींद आ जायेगी।
कार्य की अधिकता मनुष्य को विचलित तथा बेचैन कर देती है। इसलिए हमेशा कार्य का निर्धारण उसकी उपयोगिता एवं प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए। जिस कार्य को जिस समय किया जाना आवश्यक होए उसी समय कर लेना चाहिए। कार्य में परिवर्तन आराम का आभास देता है। एक ही प्रकार के कार्य करने वालों की अपेक्षा विविध प्रकार के कार्य करने वाले अधिक चुस्त व फुर्तीले होते हैं। अतरू एक ही प्रकार का कार्य निरन्तर न करें। एक समय पर एक ही कार्य करने की आदत डालें। प्रतिदिन के कार्यक्रमों को नोट करें। पारिवारिक उलझनों तथा व्यक्तिगत समस्याओं को अपने स्तर से दूर करने का प्रयास करें। चिंता करने से कोई लाभ नहीं है। आर्थिक कठिनाइयों के होने पर कठोर परिश्रम करके धन अर्जित करें। हाथ पर हाथ धर कर बैठना अथवा चिन्ता में डूबे रहना उचित नहीं। हर समय विचारों में खोये रहना ठीक नहीं है। शांत चित्त रहे। चिन्तामुक्त तथा प्रसन्न चित्त लोगों से दोस्ती बढ़ावें। यदि आप गम्भीर प्रकृति के हैं तो प्रसन्न रहने तथा हंसने की आदत बनाने का प्रयास करें। अनावश्यक रूप से किसी बात को लेकर परेशान न हों। छोटी.छोटी बातों को लेकर आत्मनियंत्रण न खोयें। धैर्य तथा संयम से काम लें। जीवन के व्यस्त क्षणों में मनोरंजन के लिए समय निकालें। अपने परिवार तथा मित्रजनों के साथ घुलें मिले। पिकनिक पर जायें। पत्र.पत्रिकाएं पढ़ें। शारीरिक श्रम जरूर करें।
तनाव से हमारे भोजन का भी संबंध हैं। भोजन स्वाद के लिए न खायें बल्कि उसकी पौष्टिकता को ध्यान में रखकर लें। खाने में मौसमी फलए हरी पत्तेदार सब्जियांए सलादए नींबू इत्यादि की उचित मात्रा होनी आवश्यक है। मिर्च मसालेदार तथा उत्तेजक चीजों के सेवन से बचें। प्रत्येक दिन थोड़ी देर एकान्त में बैठकर अपने दिनभर के कार्यों के बारे में सोचें। विश्लेषण करें जिससे पुनरू मानसिक तनाव की स्थिति न आने पाये।
मानसिक तनाव से बचने के लिए कुछ निषेध भी हैं। इनका पालन भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है जैसे तनाव दूर करने के लिए बीड़ीए सिगरेटए तम्बाकूए शराबए गांजा या अन्य प्रकार के मादक द्रव्यों का प्रयोग न करें। नींद न आने की स्थिति में नींद की गोलियां या अन्य किसी ट्रक्यूलाइजर का प्रयोग न करें। अन्धविश्वासोंए आशंकाओं तथा काल्पनिक डरों को मन में स्थान न दें। उससे भयभीत न हो और न ही उनको लेकर तनाव ग्रस्त हों।