हनोई, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि आज हिंसा और संघर्ष से घिरी दुनिया में महात्मा गांधी की प्रासंगिकता बहुत बढ़ गयी है क्योंकि वह ना केवल राजनीतिक प्रेरणा हैं, बल्कि कूटनीति को भी प्रोत्साहन देते हैं।
वियतनाम के ‘हो ची मिन्ह सिटी’ में महात्मा गांधी की आवक्ष प्रतिमा के अनावरण समारोह में जयशंकर ने सत्य, अहिंसा, स्वतंत्रता और लोगों की आजादी में योगदान को लेकर भारत के अग्रणी स्वतंत्रता सेनानी की सराहना की।
उन्होंने कहा, ‘‘महात्मा गांधी निस्संदेह हमारे समकालीन विश्व की सबसे प्रतिष्ठित शख्सियतों में से एक हैं। सत्य, अहिंसा, स्वतंत्रता और लोगों की आजादी में उनके योगदान को संयुक्त राष्ट्र ने उनके जन्मदिन को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित करके मान्यता दी है।’’
चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर रविवार को वियतनाम पहुंचे जयशंकर ने कहा कि गांधी ने न केवल भारत को एकजुट किया बल्कि इस तरह की चाहत रखने वाले अन्य देशों, महाद्वीपों और लोगों को भी प्रेरित किया।
उन्होंने कहा, ‘‘महात्मा गांधी का योगदान इससे भी परे है। आज उनके विचार मानवीय गरिमा, सामाजिक मूल्यों, आध्यात्मिकता, पर्यावरण, स्थिरता, स्वच्छता और कई अन्य क्षेत्रों के लिए एक बहुत शक्तिशाली प्रेरणा हैं।’’
विदेश मंत्री ने कहा कि आज संघर्ष और हिंसा से घिरे विश्व में महात्मा गांधी की प्रासंगिकता बहुत अधिक है। उन्होंने कहा कि ऐसे में जब कि विश्व विरोधाभासों में तालमेल बैठाने, विभाजन की खाइयों को पाटने के लिए प्रयासरत है, महात्मा गांधी ना केवल राजनीतिक प्रेरणा देते हैं, बल्कि कूटनीति को भी प्रोत्साहित करते हैं।
जयशंकर ने कहा कि प्रतिमा का अनावरण एक प्रतीकात्मक क्षण है जो दोनों देशों के बीच दोस्ती को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि भारत-वियनाम की दोस्ती आपसी सम्मान और बेहतर दुनिया से जुड़ी साझा आकांक्षा पर आधारित है।
‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में उन्होंने कहा, ‘‘ हो ची मिन्ह सिटी के ताओ डान पार्क में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण का बड़ा महत्व है। स्वतंत्रता, आत्मनिर्भरता और मानव गरिमा का संदेश वियतनाम और भारत को एक-दूसरे के करीब लाया है। उपाध्यक्ष डूओंग एन्ह डुक के साथ उद्घाटन में भाग लेने का सौभाग्य मिला।’’
जयशंकर ने कहा कि पिछली शताब्दी की दो महान हस्तियों, महात्मा गांधी और राष्ट्रपति हो ची मिन्ह, के बीच संदेशों का आदान-प्रदान आजीवन होता रहा। उहोंने कहा कि वर्ष 1958 में भारत यात्रा के दौरान मीडिया में ‘हो ची मिन्ह’ को उद्धृत करते हुए कहा गया , ‘‘मैं और अन्य लोग क्रांतिकारी हो सकते हैं, लेकिन परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से हम महात्मा गांधी के शिष्य हैं। ना इससे अधिक और ना इससे कम।’’
जयशंकर ने कहा कि आज दोनों देशों की दोस्ती के दायरे में राजनीतिक संवाद, आर्थिक सहयोग, व्यापार एवं निवेश, रक्षा एवं सुरक्षा, विकास संबंधी सहयोग, संस्कृति और लोगों से लोगों के बीच का संबंध शामिल है।
जयशंकर वियनाम यात्रा पूरी करने के बाद 19 से 20 अक्टूबर तक सिंगापुर की यात्रा करेंगे।