सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं भारत और चीन

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नयी दिल्ली, नौ अप्रैल (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत और चीन अपने संबंधों के मामले में “सकारात्मक दिशा” में बढ़ रहे हैं और रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए काम करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हम सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।”

गलवान घाटी में झड़प के बाद भारत-चीन संबंध 1962 के युद्ध के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे। कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं के बाद, दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया था।

न्यूज 18 राइजिंग भारत समिट में जयशंकर ने कहा, “यह (संबंध) पिछली बार की तुलना में स्पष्ट रूप से बेहतर है। मुझे लगता है कि विशेष रूप से देपसांग-डेमचोक से सैनिकों की वापसी महत्वपूर्ण थी।”

पिछले साल अक्टूबर में, दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में टकराव के अंतिम दो बिंदुओं देपसांग और डेमचोक के लिए एक समझौते को अंतिम रूप दिया था।

समझौते को अंतिम रूप दिए जाने के कुछ दिनों बाद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कजान में बातचीत की और संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कई फैसले लिए। जयशंकर ने कहा कि सीमा पर समस्याएं कुछ हद तक बनी हुई हैं, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में वहां सैन्य बल का जमावड़ा लगा है। उन्होंने कहा, “लेकिन इस अवधि के दौरान कई अन्य चीजें भी हुईं, जिनमें से कुछ स्थिति का परिणाम थीं; कुछ वास्तव में कोविड काल से उपजी थीं। उदाहरण के लिए, कोविड के दौरान हमारी सीधी उड़ानें बंद हो गईं, उन्हें फिर से शुरू नहीं किया गया।”

उन्होंने कहा, “कोविड के दौरान कैलाश मानसरोवर यात्रा बंद हो गई। यह फिर से शुरू नहीं हुई। मुझे लगता है कि अभी काम किया जाना बाकी है। हम इस पर काम कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “हम इस पर विचार कर रहे हैं क्योंकि आखिरकार हमने हमेशा यही माना है कि 2020 और 2024 के बीच जो स्थिति हमने देखी, वह किसी भी देश के हित में नहीं थी।”

उन्होंने कहा, “यह हमारे संबंधों के हित में नहीं था। और मुझे लगता है कि अब यह बात समझ आ गयी है।”

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