हम बिहार में अपनी गलतियों से सीख रहे हैं, दलितों का सशक्तीकरण अब सर्वोच्च प्राथमिकता : राहुल गांधी

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पटना, सात अप्रैल (भाषा) कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी “बिहार में अपनी गलतियों से सबक ले रही है”, जहां पार्टी दलितों के सशक्तीकरण के जरिए सर्वांगीण विकास लाने में पिछड़ गयी थी।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राज्य की राजधानी में एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। यह सम्मेलन राज्य में महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले हो रहा है जिसमें कांग्रेस, राजद और वाम दलों के साथ गठबंधन करके, मजबूत सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से मुकाबला करेगी।

‘संविधान सुरक्षा सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए गांधी ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक ऐसी व्यवस्था बना दी है, जिसमें देश को पांच प्रतिशत आबादी चला रही है और 10-15 लोग पूरे कॉरपोरेट जगत को नियंत्रित कर रहे हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा, “कांग्रेस में मैं यह स्वीकार करने वाला पहला व्यक्ति हूं कि हमने बिहार में उस उत्साह के साथ काम नहीं किया, जैसा हमें करना चाहिए था। लेकिन हम अपनी गलतियों से सीखकर आगे बढ़ेंगे। हमारी पार्टी और जिस गठबंधन का हम हिस्सा हैं, वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए प्रयास करेगा।”

राज्य में 1990 के दशक की मंडल लहर के साथ उनकी पार्टी का पतन शुरू हुआ था।

उन्होंने कहा, “हमने हाल ही में कुछ ऐसा किया जो भले ही बहुत अच्छा न रहा हो लेकिन फिर भी महत्वपूर्ण था। हमने जिला कांग्रेस समितियों का पुनर्गठन किया। पहले इनमें से दो तिहाई का नेतृत्व उच्च जातियों के पास था। अब इनमें से दो तिहाई का नेतृत्व वंचित जातियों के पास है। यह संगठन के लिए (राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन) खरगे जी और मेरे द्वारा दिए गए स्पष्ट निर्देशों के अनुरूप है।”

गांधी ने दावा किया कि बिहार स्वतंत्रता संग्राम से लेकर महान राजनीतिक परिवर्तनों की भूमि रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान में राजग की राजनीति अरबपतियों के हितों का पोषण कर रही है। उन्होंने कहा, “हमें पूरा विश्वास है कि बिहार एक बार फिर बदलाव का उत्प्रेरक बनेगा।”

चार महीने में राज्य के अपने तीसरे दौरे पर आए राहुल गांधी इससे पहले लगभग 150 किलोमीटर दूर बेगूसराय गए थे, जहां उन्होंने “पलायन रोको, नौकरी दो पद-यात्रा” में भाग लिया था। यह पदयात्रा बिहार की बेरोजगारी और पलायन की समस्या को उजागर करने के लिए पार्टी की छात्र और युवा शाखाओं की एक पहल थी।

गांधी ने बेगूसराय में जनता को संबोधित नहीं किया, जो पार्टी की युवा शाखा के राष्ट्रीय प्रभारी कन्हैया कुमार का गृह जिला भी है।

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के साथ हालांकि वहां हजारों युवा समर्थक भी शामिल हुए, जिनमें से कई ने सफेद टी-शर्ट पहन रखी थी, जैसी कि राहुल कुछ साल पहले संपन्न “भारत जोड़ो यात्रा” के बाद से पहनते रहे हैं।

लोकसभा में बेगूसराय का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह नेता प्रतिपक्ष की शहर में मौजूदगी से नाराज दिखे।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता ने पटना में संवाददाताओं से कहा, “राहुल गांधी को जनता के मन से अपने पलायन की चिंता करनी चाहिए।”

प्रदेश की राजधानी में आयोजित संविधान सुरक्षा सम्मेलन में गांधी ने अपने करीब 40 मिनट लंबे संबोधन में कहा कि संविधान “केवल 70 वर्ष पुरानी पुस्तक नहीं है, बल्कि यह हजारों वर्ष पुरानी विचारधारा है, जो बुद्ध के समय से चली आ रही है, कबीर और गुरु नानक के युग से जारी है, तथा अंततः इसने बाबासाहेब आंबेडकर को प्रेरित किया।”

कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री मोदी का मजाक उड़ाते हुए कहा कि “चुनाव के बाद वे संविधान के सामने झुक गए, क्योंकि उन्हें एहसास हो गया था कि भाजपा को 400 से अधिक सीटें दिलाने का उनका दावा उल्टा साबित हो गया और लोग उन्हें संविधान के साथ छेड़छाड़ नहीं करने देंगे”।

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और इसकी पितृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विनायक दामोदर सावरकर से प्रेरणा लेती हैं, जो “सत्य का सामना नहीं कर सकते थे”, जबकि महात्मा गांधी और प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू “दोनों ही बुद्ध की तरह सत्य से प्रेम करते थे”।

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि देश भर में जाति जनगणना की जरूरत है, “ठीक उसी तरह जैसे शरीर के किसी हिस्से में चोट का आकलन करने के लिए एक्स-रे की जरूरत होती है”, लेकिन भाजपा-संघ इसका विरोध कर रहे हैं।

गांधी ने कहा, “लेकिन उन्हें जाति जनगणना करानी होगी। उन्हें वंचित जातियों के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा के झूठे अवरोध को भी हटाना होगा। मैंने संसद में प्रधानमंत्री से कहा है कि अगर उनकी सरकार इसमें आनाकानी करती है तो हम जरूरी कदम उठाएंगे।”

कांग्रेस नेता ने अपने भाषण में कई किस्से सुनाए, जिसमें उन्होंने योग्य मेडिकल और इंजीनियरिंग स्नातकों और एक कुशल जूता निर्माता के साथ बातचीत को याद किया, जिनके बारे में उन्होंने कहा कि इन सभी को “सिस्टम के कारण” अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने में कठिनाई हो रही थी।

गांधी ने आरोप लगाया, “व्यवस्था ऐसी है कि पूरा देश मात्र पांच प्रतिशत आबादी द्वारा चलाया जा रहा है और 10-15 लोग पूरे कॉरपोरेट जगत को नियंत्रित कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, सुरक्षा गार्ड, घरेलू नौकर आदि जैसी छोटी-मोटी नौकरियों में वंचित जातियों का अनुपात बहुत अधिक है। हालात यहां तक ​​पहुंच गए हैं कि ऊंची जातियों के गरीबों को भी अच्छी नौकरी मिलना मुश्किल हो रहा है।”

उन्होंने तेलंगाना में कांग्रेस सरकार की भी सराहना की, जिसने जातियों के सर्वेक्षण के माध्यम से वंचितों के सशक्तीकरण की दिशा में कदम उठाया तथा उसके बाद आरक्षण में वृद्धि की।

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