बाल कहानी – विनाश कालेण्ण्ण् विपरीत बुद्धि

सोहनपुर के राजा सोहनसिंह थे और मंत्री बुद्धिनाथ थे। नाम के अनुसार बुद्धिनाथ बहुत बुद्धिमान थे। उनके कहने पर सोहनसिंह हर कार्य करते। राज्य में प्रजा बहुत सुखी थी। सोहनसिंह के गुण गाते नहीं थकती। वे कहते. यह सब हमारे मंत्रीजी की नेक सलाह का परिणाम है। प्रजा कहती. जहां बुद्धि का वास होता हैए वहां विनाश नहीं होता है। भगवान से हम यही प्रार्थना करते हैं कि आपको और मंत्रीजी को लंबी उमर दे। राजा और मंत्री हंस देते।


एक बार बुद्धिनाथ की तबियत बिगड़ गई। राजवैद्य इलाज करने लगेए लेकिन दिनोंदिन तबियत बिगड़ती गई और एक दिन बुद्धिनाथ की मृत्यु हो गई। सोहनसिंह और प्रजा का रो.रोकर बुरा हाल हो गया। बहुत दिन तक सोहनसिंह का राज्य के काम में मन नहीं लगा। एक दिन रानी बोली. स्वामी! अगर आप भी हिम्मत हार जाएंगेए तो प्रजा का क्या होगाघ् राज्य के किसी अच्छे व्यक्ति को मंत्री बना लीजिए। रानी की बात मानकर सोहनसिंह ने चतुरसिंह नामक व्यक्ति को मंत्री बना लिया। नाम के अनुसार चतुरसिंह ने अपनी चतुराई से सोहनसिंह को अपने वश में करके राज्य की प्रजा को दुरूख देना शुरू कर दिया। कोई भी व्यक्ति राजा के पास समस्या लेकर आता। चतुरसिंह के कहने पर वे उसे डपटकर बाहर कर देते। प्रजा बहुत दुरूखी हो गई।


एक दिन सभी ने मिलकर विचार किया। यह सब नए मंत्री के कहने में आकर राजा कर रहे हैं। मंत्री को सबक सिखाना चाहिए। चतुरसिंह को सारी बात मालूम हुई। उसने राजा सोहनसिंह को मारने का उपाय सोच लिया। बहाने से उन्हें जंगल ले गया। सुनसान जगह देखकर राजा को मारना चाहा। इतने में ही राज्य के बहुत से व्यक्ति आए।
 उन्होंने चतुरसिंह को पकड़ा और राजा से बोले. विनाश काले बुद्धि विपरीत होए यानी जब विनाश होने को होता है अच्छों.अच्छों की बुद्धि विपरीत सोचने लगती है। यही हमारे मंत्रीजी के साथ हुआ।


 सोहनसिंह गुस्से में चतुरसिंह से बोले. मंत्रीजी हमें तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी। अरेए हमारे पहले वाले मंत्रीजी ने तो राज्य और राज्य की प्रजा को कोई कष्ट नहीं होए इसके लिए हमेशा नेक सलाह दी और राज्य का विकास ही किया पर आपने तो राज्य और राज्य की प्रजा को कष्ट होए इनका विनाश हो यही सोचा। देख रहे होए आज खुद ही अपने बनाए जाल में फंस गए हो। चलो अब तुम्हें सजा मिलेगी।


चतुरसिंह को बंदीघर में बंद किया गया। प्रजा के कहने पर नया मंत्री रख लिया। इसके बाद राज्य और राज्य की जनता सुखी हो गई। कभी.कभी रानी मजाक में कहती.