विदेश में खाद्य तेलों के दाम में मजबूती से बीते सप्ताह आयातित तेल कीमतों में सुधार

2023_9image_14_36_432861218oil

नयी दिल्ली, 24 अगस्त (भाषा) विगत सप्ताह विदेशी बाजारों में खाद्य तेल कीमतों में मजबूती के रुख के बीच घरेलू बाजार में आयातित तेल, विशेषकर सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के दाम सुधार के साथ बंद हुए।

छिटपुट त्योहारी मांग के बावजूद ऊंचे दाम पर लिवाली प्रभावित रहने से सरसों तेल-तिलहन तथा बेहद कमजोर कामकाज के बीच बिनौला तेल कीमतों में अपने विगत सप्ताहांत के मुकाबले गिरावट देखी गई। सुस्त कामकाज के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पूर्व सप्ताहांत के स्तर पर स्थिर बने रहे।

बाजार सूत्रों ने कहा कि विगत सप्ताहांत के कारोबारी सत्रों में आयातित तेलों के भाव में मजबूती देखी गई। सोयाबीन डीगम के दाम भी आखिरी कारोबारी सत्रों में मजबूत रहे हैं। पाम-पामोलीन का भाव ऊंचा बोला जा रहा है और इन तेलों के भाव सोयाबीन के आसपास हो गये हैं। जाहिर है कि इस ऊंचे दाम पर पाम-पामोलीन खपेगा नहीं केवल भाव ऊंचा बना रह सकता है। इन परिस्थितिययों में सोयाबीन तेल-तिलहन और पाम-पामोलीन के दाम में मजबूती देखी गई।

उन्होंने कहा कि सरसों के दाम, आयातित तेलों के मुकाबले पर्याप्त अधिक हैं और सरकार ने सितंबर में 40,000 टन रेपसीड का आयात करने की अनुमति दी है। दाम ऊंचा होने से सरसों का उठाव प्रभावित हो रहा है। छिटपुट त्योहारी मांग के बावजूद ऊंचे दाम पर लिवाली प्रभावित रहने से समीक्षाधीन सप्ताह में सरसों तेल-तिलहन के दाम में गिरावट देखी गई।

बेहद सुस्त कामकाज के बीच बिनौला तेल के दाम में भी गिरावट आई।

सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन डीगम के दाम में पर्याप्त सुधार हुआ है, लेकिन बैंकों में ऋण साखपत्र (एलसी) को चलाते रहने के लिए आयातक अपनी लागत से कम दाम (3-3.5 प्रतिशत नीचे) पर इसे बेच रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इसी तरह, पक्की घानी सरसों तेल पेराई मिलों को पेराई करने में नुकसान उठाना पड़ रहा है क्योंकि उन्हें थोक में टैंकरों में अपना माल बेचना पड़ता है। जबकि कच्ची घानी की बड़ी तेल मिलों को ऐसा कोई नुकसान नहीं है क्योंकि वे खुदरा में बेचकर अपना घाटा पूरा करने की स्थिति में होते हैं।

सूत्रों ने कहा कि कपास, सोयाबीन, मूंगफली की नयी फसल अक्टूबर में आ जायेगी जिसके खपने का इंतजाम करना होगा। इन फसलों का नया बढ़ा हुआ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू होगा। ध्यान देने की बात यह है कि पहले के कम एमएसपी वाले फसल को खपने में दिक्कत आ रही है तो बढ़े हुए नये एमएसपी वाले इन फसलों के लिए कौन सा इंतजाम किया जायेगा?

बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 50 रुपये की गिरावट के साथ 7,225-7,275 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का थोक भाव 250 रुपये की गिरावट के साथ 15,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 30-30 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 2,610-2,710 रुपये और 2,610-2,745 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

दूसरी ओर, समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के थोक भाव क्रमश: 5-5 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,830-4,880 रुपये और 4,530-4,630 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

सोयाबीन दिल्ली का दाम 100 रुपये की बढ़त के साथ 13,600 रुपये, सोयाबीन इंदौर तेल का दाम 50 रुपये बढ़कर 13,100 रुपये और सोयाबीन डीगम तेल का दाम 150 रुपये की मजबूती के साथ 10,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में सुस्त कामकाज के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम स्थिर बने रहे। मूंगफली तिलहन 5,700-6,075 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात का थोक दाम 13,500 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का थोक दाम 2,210-2,510 रुपये प्रति टिन पर स्थिर बना रहा।

सीपीओ तेल का दाम 50 रुपये के सुधार के साथ 11,850 रुपये प्रति क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 50 रुपये के सुधार के साथ 13,450 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव भी 100 रुपये के सुधार के साथ 12,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

बाजार में गिरावट के आम रुख के अनुरूप समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल भी 300 रुपये की गिरावट के साथ 13,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।