
सुभाष आनंद
पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आई.एस.आई जिस प्रकार एक के बाद एक नशे की खेपे भारतीय सीमा में भेज रही है ,उससे लगता है कि वह भारतीय पंजाब की युवा पीढ़ी को नशेड़ी बनाने में लगी हुई है। सीमावर्ती क्षेत्रों में जिस प्रकार ड्रोन उड़ाने भर रहे हैं यह भारतीय सुरक्षा बलों के लिए भी बड़ी चिंता का विषय है। अमृतसर, फिरोजपुर और फाजिल्का के सरहदी क्षेत्रों में सीमा सुरक्षा बलों को पंजाब पुलिस के साथ मिलकर तलाशी अभियान के दौरान बड़ी सफलताएं मिल रही है। आए दिन इन क्षेत्रों में हेरोइन की बड़ी खेपें बरामद हो रही है, यह बरामदगी किसी से छुपी नहीं है।
पंजाब में पिछले 15 वर्षों से नशा एक बड़ी समस्या बना हुआ है, जिसे दूर करने के लिए सही योजना पर काम करने की जरूरत है । पंजाब में पुरुष ही नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर महिलाएं भी नशा कर रही है । 35 से 40 हज़ार के लगभग पंजाबी सिंथेटिक ड्रग्स ले रहे हैं । 30 लाख के लगभग पंजाबी लोग विभिन्न प्रकार के नशों का शिकार है। 20 लाख लोग शराब का सेवन करते हैं ,देखने में आया है कि पंजाब में मेडिकल नशा भी बड़े स्तर पर पैर पसार रहा है, इसके अतिरिक्त इंजेक्शन से भी काफी ज्यादा ड्रग लिया जा रहा है।
केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि हेरोइन तस्करी में असली शैतान पाकिस्तान ही है, भारत हर वक्त यह कहता आया है कि पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी पाकिस्तानी तस्करों को हेरोइन की खेपें भारत में भेजने के लिए पूरा समर्थन देती है। सूत्रों से पता चला है कि अफगानिस्तान में बड़े स्तर पर अफीम की खेती होती है ,अफीम की खड़ी फसल को पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आई. एस. आई खरीद लेती है और पाकिस्तान ले आती है ,क्योंकि अफगानिस्तान में कोई ऐसी फैक्ट्री नहीं है जो अफीम को हेरोइन में बदल सके।
सूत्रों से पता चला है कि पाकिस्तान में कई छोटे बड़े कारखाने मौजूद हैं ,जहां अफीम को परिष्कृत कर उसे हेरोइन में बदला जाता है, यह सारा काम पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आई.एस.आई की देखरेख में किया जाता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अफगानी तालिबानों के पास इतनी महारत नहीं है कि वह अफीम को परिष्कृत करके उसे हेरोइन में तब्दील कर सके। तालिबान को तो अफीम की खेती और तस्करी के लिए जिम्मेवार ठहराया जा सकता है लेकिन हेरोइन बनाना उनके बस की बात नहीं है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अफ़ग़ानिस्तान में अफीम की कुल पैदावार का 50 प्रतिशत पाकिस्तान खरीदता है। अफीम को हेरोइन में बदलने के लिए एसटिक एनहाइड्राइड का प्रयोग किया जाता है। जो प्रायः भारत से स्मगल होकर पाकिस्तान जाता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारत-पाक सीमा पर बसे बड़े-बड़े फॉर्म हाउसों में यह ड्रोन लैंड करते हैं या फिर ड्रोनों द्वारा नशे के पैकेट फेंककर उन्हें अपनी भाषा में सूचित कर दिया जाता है। जहां से मजदूर लोग जो कोरियर का काम करते हैं, उन्हें सुरक्षित जगह पर पहुंचाते हैं।
15 वर्ष पहले सीमा से सटे गांवों के किसान आम किसान होते थे ,लेकिन अब यह लोग नशे के धंधे में लगकर करोड़पति बन गए हैं और उनका रहन-सहन भी बदल गया है। अब पुलिस की कार्रवाई से यह लोग भयभीत दिखाई दे रहे हैं। हेरोइन से भरे उड़ने वाले ड्रोनों के पीछे बड़े गिरोहों का हाथ लगता है जिसको प्रत्यक्ष या फिर अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी का मूक समर्थन प्राप्त होता है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी सारे पंजाबियों को नशेड़ी बनाने में तुली हुई है, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था जिस प्रकार पतन की तरफ जा रही है उसको भरने के लिए ड्रग्स तस्करी पर पाकिस्तानी फौज की निर्भरता बढ़ती जा रही है। इन लोगों ने लालच देकर कई महिलाओं को भी ड्रग्स की तस्करी में लगा लिया है। महिलाएं भी बड़े पैमाने पर हेरोइन का सेवन कर रही है। पंजाब में 100 शीर्ष ड्रग माफिया सरगनाओं की पहचान कर ली गई है। जिन पर किसी भी समय पुलिस द्वारा कार्रवाई की जा सकती है ।
देश में 16 करोड लोग शराब का नशा करते हैं, देश में 3.1 करोड़ लोग भांग चरस लेते हैं। वहीं सूंघ कर या चिलम के द्वारा नशा करने वालों की संख्या 1.8 करोड़ है। उत्तेजना पैदा करने वाली दवा लेने वालों की संख्या 2.26 करोड़ है लेकिन हेरोइन लेने वालों की संख्या 2.8 करोड़ से भी ऊपर है। देश के महानगरों में 100 से भी ज्यादा रेव पार्टियां प्रतिदिन हो रही है। पंजाब के 67 फ़ीसदी ग्रामीण परिवारों में कम से कम एक सदस्य नशे का शिकार है। पंजाब में हर पांचवा व्यक्ति नशा ले रहा है। देश में 15 प्रतिशत नशा ही पकड़ा जा रहा है जबकि 85 प्रतिशत नशा बाजारों में बिक रहा है।