पंजाब में एसवाईएल नहर के वास्ते जमीन सर्वेक्षण के लिए केंद्रीय टीम को अनुमति नहीं: वित्त मंत्री चीमा

चंडीगढ़,  पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने शनिवार को कहा कि राज्य में सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के लिए किसी भी केंद्रीय टीम को जमीन का सर्वेक्षण करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान चीमा से जब पूछा गया कि क्या पंजाब सरकार को सर्वेक्षण करने के लिए केंद्रीय टीम के संभावित दौरे के बारे में कोई सूचना मिली है? इस पर आम आदमी पार्टी (आप) के नेता ने कहा, ‘‘हमें इस संबंध में अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है।’’

उन्होंने कहा कि अगर कोई केंद्रीय टीम राज्य में आती है तो पंजाब सरकार उस दौरे का कड़ा विरोध करेगी और सर्वेक्षण की अनुमति नहीं देगी।

चीमा की प्रतिक्रिया ऐसे वक्त आई है जब शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने शुक्रवार को दावा किया कि केंद्र की सर्वेक्षण टीम एक नवंबर को पंजाब पहुंचेगी।



चंदूमाजरा ने कहा था, ‘‘हमें पता चला है कि केंद्रीय सर्वेक्षण टीम के एक नवंबर को पंजाब आने की उम्मीद है।’’

रावी और ब्यास नदियों से पानी के प्रभावी आवंटन को लेकर एसवाईएल नहर की परिकल्पना की गई थी। इस परियोजना में 214 किलोमीटर लंबी नहर की परिकल्पना की गई है, जिसमें से 122 किलोमीटर का हिस्सा पंजाब में और शेष 92 किलोमीटर का हिस्सा हरियाणा में बनाया जाना है। हरियाणा ने अपने क्षेत्र में परियोजना पूरी कर ली है, लेकिन पंजाब जिसने 1982 में काम शुरू किया था, उसने बाद में इसे रोक दिया।

इस बीच, राज्य के जल संसाधन विभाग ने स्पष्ट किया कि वह लोगों को नहर के बारे में जागरूक करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। यह स्पष्टीकरण सोशल मीडिया पर प्रसारित उस संदेश के बाद आया है जिसमें कहा गया कि पंजाब सरकार नहर के लिए एक सर्वेक्षण शुरू कर रही है। यह संदेश जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा जारी 12 अक्टूबर के पत्र पर आधारित था।



विपक्षी दल के नेता इस मुद्दे पर भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार पर पंजाब के हितों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए हमला कर रहे हैं।

उच्चतम न्यायालय ने चार अक्टूबर को केंद्र से कहा था कि वह पंजाब में जमीन के उस हिस्से का सर्वेक्षण करे, जो राज्य में एसवाईएल नहर के निर्माण के लिए आवंटित किया गया था और किस हद तक निर्माण किया गया है, इसका आकलन करे। इस मुद्दे पर कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल ने पिछले कुछ दिनों में विरोध प्रदर्शन किया है।