
बुजुर्गों को घर में जिस जगह में सबसे ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है, वह है घर का बाथरूम। निस्संदेह रोड एक्सीडेंट्स से भी ज्यादा एक्सीडेंट बाथरूम में ही घटित होते हैं। बुढ़ापे में चोट लगना ज्यादा खतरनाक इसलिए माना जाता है क्योंकि इस समय में लगी चोटें ठीक होनी कठिन हो जाती है, ठीक होने में समय भी ज्यादा लगता है।
बुढ़ापे में गिरने पर हिप फ्रैक्चर, डैमेज्ड रीढ़ की हड्डी या कलाइयों का फ्रैक्चर बहुत कॉमन घटनाएं हैं लेकिन उन बुजुर्गों की मुसीबतें तो और भी ज्यादा हैं जिनकी मांसपेशियां कमजोर हैं और जो लड़खड़ाहट के चलते अपने को बैलेंस नहीं कर पाते, जिनकी नजर और रिफलेक्सेज कमजोर हो गए हों, गलत फूड हैबिट्स के कारण जिनकी हड्डियों में ताकत न हो, उनके लिए मामूली सी चोट भी खतरनाक साबित हो सकती है।
बुजुर्ग लोग गिरने पर ज्यादातर सर पर ही चोट खाते हैं। इस तरह के केवल 30 से 35 प्रतिशत एक्सीडेंट ही रोड एक्सीडेंट होते हैं।
छोटी मोटी चोटें, गिरने फिसलने के हादसे बुजुर्गों की किस्मत बन जाते हैं जो अक्सर घरों के बाथरूम, सीढि़यों घर में ऊपर नीचे का डिजाइन और कम रोशनी इत्यादि के चलते होते ही रहते हैं।
चिंता की बात यह है कि सीनियर सिटिजंस की माइनर चोटें भी आसानी से ठीक नहीं हो पाती। 60 से ऊपर के व्यक्तियों में डॉक्टर्स के अनुसार हिप फ्रैक्चर और स्पाइन इंजरी के चलते कार्यशीलता की कमी और गहरा तनाव होने से जीवन की आशा में कमी आ जाती है।
बुजुर्ग लोग चोटों और फ्रैक्चर्स से रिकवरी जल्दी नहीं कर पाते। महीनों बिस्तर से बंधे चल फिर नहीं पाते जिससे वे डिप्रेशन में आ जाते हैं। यही नहीं, उनकी अन्य हैल्थ प्रॉब्लम्स जैसे डायबीटिज, इनफैक्शंस भी बढ़ जाते हैं।
अपोलो हास्पिटल में ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के कंसलटेंट डा॰ यतींद्र खरबंदा भी कहते हैं कि मल्टीपल फ्रैक्चर्स के पेशेंट्स में जीवन आशा कम हो जाती है।
बावजूद इसके बहुत कम मकानों को सुरक्षा की दृष्टि से डिजाइन किया जाता है। फैशन और दिखावे को ही ज्यादा महत्व देते हुए चिकने फर्श बनवाये जाते हैं फिर चाहे घर के बुजुर्गों के लिये वो कितने ही खतरनाक क्यों न साबित हों। इतनी दूरअंदेशी से देखने का कष्ट ही नहीं किया जाता।
बाथरूम में ‘ग्रेब रेल्स’ का होना जरूरी है। इसी तरह पानी की निकासी भी सही ढंग से होने का इंतजाम होना चाहिए।
कुछ साधारण डिजाइन रूल्स को फॉलो करके गिरने की दुर्घटनाओं से काफी हद तक बचा जा सकता है जैसे बुजुर्गों के कमरे में प्रकाश की व्यवस्था सही हो, बिजली के स्विच तक पहुंच आसान हो, बिजली के लूज वायर न फैले हों, लो फर्नीचर न हो, सीढि़यों और बाथरूम में प्रॉपर रेलिंग्स लगी हों।
बुजुर्गों की सेहत का लगातार ध्यान रखना जरूरी है।
आर्थराइटिस, दृष्टिकोण, कम सुनना सेडेटिव्ज और साइकोट्रोपिक ड्रग्स की डोज का लगातार वॉच रखते हुए स्पेशलिस्ट से इलाज कराना जरूरी है।
संतुलित आहार और एक्टिव लाइफस्टाइल उनके लिए फायदेमंद होंगे।
हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर आहार लेना चाहिए। हमारे शरीर को एक ग्राम कैल्शियम की रोज जरूरत होती है। अक्सर हमारे रोजमर्रा के भोजन से ये प्राप्त नहीं हो पाते, इसलिए न्यूट्रीशियस भोजन, खासकर दूध और दूध से बने उत्पाद और डॉक्टर द्वारा सुझाए गए अन्य सप्लीमेंट्स मददगार होंगे।
बोन हैल्थ पर एक ताजा बोन स्टडी के अनुसार 50 और इससे ऊपर के हर तीन व्यक्तियों में एक को ओॅस्टियोेपोरोसिस या खतरनाक रूप से हड्डियों में कम ताकत की स्थिति पाई जाती है।
हैल्दी फूड हेबिट्स एक्टिव, लाइफ स्टाइल और रेग्युलर एक्सरसाइज शुरू से रखी जाए तो वो बाद में पे करती हैं।
सावधानियों से जहां मदद मिलती है परिवार के जवान सदस्यों द्वारा की जाने वाली डाइरेक्ट सुपरविजन का कोई मुकाबला ही नहीं। उनकी देखरेख के अंतर्गत ही बुजुर्गों का जीवन सुखी रह सकता है। प्रस्तुत है फॉल और फ्रैक्चर्स से बचने के लिए कुछ टिप्स:-
ऽ सीढि़यों पर रोशनी और फुल लैंथ हैडरेल्स हों।
ऽ बुजुर्गो के बाथटब के पास स्लिप रजिस्टेंट रग बिछा हो।
ऽ बाथटब के चारों तरफ पकड़ने के लिए ग्रेब बार्स हों।
ऽ बाथरूम में सामान की भीड़ न हो।
ऽ बिजली के टेलीफोन के वायर रास्ते में न हों।
ऽ उनकी डायट हैल्दी हो, खासकर दूध या दूध से बनी चीजें जरूर लें।
ऽ जरूरत पड़ने पर उन्हें छड़ी या वॉकर की मदद से चलने को प्रेरित करें।
ऽ उनकी आंखों का टैस्ट करायें। धुंधली दृष्टि होने पर एक्सीडेंट्स हो सकते हैं।
ऽ बोन लॉस से बचने के लिए उन्हें रैग्युलर एक्सरसाइज के लिये प्रेरित करें। घूमना बढि़या एक्सरसाइज है।
ऽ उन्हें कुछ देर सूर्य की रोशनी लेने दें।
ऽ उनकी मेडिकल प्रॉब्लम्स के लिए डॉक्टर्स से कंसल्ट करें।