नयी दिल्ली, 26 मार्च (भाषा) राज्यसभा में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत बहुत कम बजट आवंटित किये जाने का आरोप लगाते हुए सुझाव दिया कि इसके तहत गर्भवती महिलाओं को दिये जाने वाले आर्थिक लाभ की पूरी राशि प्रदान की जानी चाहिए।
शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत महिलाओं को मातृत्व लाभ प्रदान नहीं किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि संसद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सितंबर 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को पारित किया था।
उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का आधार था। उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत अनौपचारिक क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं को छह हजार रूपये प्रदान किए जाने थे। उन्होंने कहा कि 2017 में शुरू की गयी प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में इस अधिकार को प्रदान किए जाने की बात कही गयी थी किंतु इसके तहत ऐसी महिलाओं को मात्र 5000 रूपये देने का प्रावधान किया गया। इसमें दूसरे बच्चे के होने पर भी ऐसी सहायता देने की बात थी बशर्ते वह शिशु बच्ची हो।
गांधी ने कहा कि 2022-23 में किए गए एक विश्लेषण के अनुसार 68 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत पहले बच्चे के जन्म के अवसर पर पहली किस्त प्रदान की गयी। उन्होंने कहा कि किंतु इसके अगले ही वर्ष इसमें बहुत अधिक गिरावट आयी और यह मात्र 12 प्रतिशत ही रह गयी।
उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि ऐसा क्यों होने दिया गया? उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 के तहत मातृत्व लाभ को पूरी तरह से लागू करने के लिए वार्षिक तौर पर 12,000 करोड़ रूपये के बजट की आवश्यकता पड़ेगी।
कांग्रेस नेता ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि बजट दस्तावेजों में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत किए गए आवंटन का अलग से उल्लेख नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय के तहत इसके लिए एक कार्यक्रम है, ‘सामर्थ्य’, जिसके लिए वर्ष 2025-26 में बजटीय आवटन कुल 2,521 करोड़ रूपये का है।
उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के लिए बहुत कम बजट प्रदान किया जा रहा है।