कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने फिर की मेकेदातु जलाशय की पैरवी

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बेंगलुरु, 22 अगस्त (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शुक्रवार को कावेरी नदी पर मेकेदातु में एक संतुलन जलाशय की फिर पैरवी करते हुए कहा कि उनका राज्य तमिलनाडु को अपनी बाध्यता से ज्यादा पानी छोड़ता है।

बेंगलुरु दक्षिण ज़िले (पूर्व में रामनगर जिले) में उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के गृह नगर कनकपुरा में कर्नाटक-तमिलनाडु सीमा पर संतुलन जलाशय के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्नाटक पड़ोसी राज्य को स्वीकार्य स्तर से ज्यादा पानी छोड़ रहा है।

सिद्धरमैया ने मानसून सत्र के आखिरी दिन विधानसभा में कहा, ‘‘हमें सामान्य बारिश के दौरान तमिलनाडु को 177.25 टीएमसी पानी छोड़ना होता है, लेकिन हमने तय सीमा से ज्यादा पानी छोड़ा है। यही वजह है कि हम मेकेदातु में एक संतुलन जलाशय पर जोर दे रहे हैं।’’

उन्होंने बताया कि कर्नाटक को इस जलाशय की जरूरत है क्योंकि इस साल जैसी स्थिति में, जब राज्य ने ज्यादा पानी छोड़ा है, तो वह संतुलन जलाशय में अतिरिक्त पानी जमा कर सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि तमिलनाडु इसका विरोध क्यों कर रहा है। उसे केवल 177.25 टीएमसी पानी का हक है। शीर्ष अदालत ने भी यही कहा है। अगर हम मेकेदातु जलाशय बना पाते हैं, तो हम 67 टीएमसी पानी रख सकते हैं। इससे हमारी पीने के पानी की जरूरत पूरी हो सकती है और सूखे के दौरान भी इसे छोड़ा जा सकता है।’’

उन्होंने कहा कि संतुलन जलाशय बनने से कोई नुकसान नहीं है। उन्होंने तमिलनाडु के अपने समकक्ष से इसका विरोध न करने का अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस साल अच्छी बारिश के कारण जलाशय लबालब भरे हुए हैं और राज्य कावेरी, तुंगभद्रा एवं कृष्णा नदियों के जलाशयों से ज्यादा पानी छोड़ रहा है।

तमिलनाडु ने हमेशा मेकेदातु जलाशय का विरोध किया है और कहा है कि इससे उसके लोगों, खासकर कृषक समुदाय के साथ अन्याय होगा।