उद्यमिता एवं परोपकार की विरासत छोड़ गए लॉर्ड स्वराज पॉल, 94 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

e43edsx

नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) जालंधर की गलियों से ब्रिटेन तक का सफर तय करने वाले लॉर्ड स्वराज पॉल अपने पीछे उद्यमिता एवं परोपकारी कामों की समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं।

ब्रिटेन स्थित कपारो उद्योग समूह के संस्थापक लॉर्ड पॉल हाल ही में बीमार पड़ गए थे जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्होंने 21 अगस्त की शाम को अपने परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में अंतिम सांस ली। वह 94 वर्ष के थे।

प्यारे लाल के घर में 18 फरवरी, 1931 को जन्मे लॉर्ड पॉल अपने जीवन के शुरुआती दिनों में ही व्यवसाय से परिचित थे। लॉर्ड पॉल के पिता बाल्टियों और अन्य कृषि उपकरणों सहित इस्पात के सामान बनाने के लिए एक छोटा सा ढलाईखाना चलाते थे।

लॉर्ड पॉल ने इस अनुभव का इस्तेमाल करते हुए ब्रिटेन में कपारो ग्रुप की स्थापना की जो एक विविध कारोबार इकाई है। यह मुख्य रूप से मूल्यवर्धित इस्पात और विशिष्ट इंजीनियरिंग उत्पादों के डिजाइन, निर्माण, विपणन एवं वितरण में लगी है।

जालंधर में हाई स्कूल की शिक्षा और 1949 में पंजाब विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की उपाधि हासिल करने के बाद लॉर्ड पॉल मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल करने के लिए अमेरिका चले गए।

एमआईटी में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह भारत लौट आए और अपने पारिवारिक व्यवसाय एपीजे सुरेंद्र ग्रुप (जो भारत के सबसे पुराने व्यापारिक समूहों में से एक है) में शामिल हो गए। वह 1966 में अपनी बेटी अंबिका का ‘ल्यूकेमिया’ का इलाज कराने के लिए ब्रिटेन में जा बसे। दुर्भाग्यवश चार साल की उम्र में उनकी बेटी का निधन हो गया।

बाद में उन्होंने एक धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में अंबिका पॉल फाउंडेशन की स्थापना की, जिसने शिक्षा एवं स्वास्थ्य पहल के माध्यम से दुनिया भर में बच्चों एवं युवाओं के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए लाखों रुपये दान किए। लंदन स्थित अंबिका पॉल चिल्ड्रन्स जू इस फाउंडेशन के प्रमुख लाभार्थियों में से एक है।

लॉर्ड पॉल ने 1968 में लंदन में मुख्यालय के साथ कपारो की नींव रखी और यह कंपनी आगे चलकर ब्रिटेन की सबसे बड़ी इस्पात रूपांतरण और वितरण कंपनियों में से एक बन गई। आज इसका संचालन ब्रिटेन, भारत, अमेरिका, कनाडा और संयुक्त अरब अमीरात में है। इसका कारोबार एक अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है।

पॉल के बेटे आकाश पॉल कपारो इंडिया के चेयरमैन एवं कपारो समूह के निदेशक हैं।

लॉर्ड पॉल को व्यवसाय में सफलता मिली लेकिन उनके जीवन में कई दुखभरे पल आएं। छोटी सी उम्र में बेटी अंबिका को खोने के अलावा, उन्होंने अपने बेटे अंगद पॉल को 2015 में और अपनी पत्नी अरुणा को 2022 में खो दिया। अंगद उस समय कपारो समूह के सीईओ थे।

व्यक्तिगत क्षति ने उन्हें और अधिक परोपकारी कार्य करने के लिए प्रेरित किया। अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद अंबिका पॉल फाउंडेशन का नाम बदलकर अरुणा एंड अंबिका पॉल फाउंडेशन कर दिया गया ताकि उनके द्वारा फाउंडेशन के अनेक कार्यों में दिए सहयोग एवं योगदान को पहचान दी जा सके।

फरवरी, 2023 में लंदन के ऐतिहासिक इंडियन जिमखाना क्लब में लेडी अरुणा स्वराज पॉल हॉल का उद्घाटन भी किया।

स्वराज पॉल ने भारत और ब्रिटेन के बीच बेहतर समझ को बढ़ावा देने के लिए 1975 में इंडो-ब्रिटिश एसोसिएशन की स्थापना की और इसके चेयरमैन रहे। 1978 में उन्हें ब्रिटिश महारानी ने नाइट की उपाधि से सम्मानित किया और वि मैरीलेबोन के लॉर्ड पॉल और हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य बने। अक्टूबर, 2009 में उन्होंने प्रिवी काउंसलर के रूप में शपथ ली।

हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य लॉर्ड पॉल को 1983 में भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

भारतीय व्यापार परिदृश्य में, लॉर्ड पॉल को 80 के दशक के आरंभ में एस्कॉर्ट्स ग्रुप और डीसीएम ग्रुप पर कब्जा करने के उनके आक्रामक प्रयासों के लिए भी याद किया जाता है, जिसके लिए कानूनी लड़ाई के बाद तत्कालीन सरकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता पड़ी थी।

वह वार्षिक ‘संडे टाइम्स रिच लिस्ट’ में नियमित रूप से शामिल रहे। इस वर्ष वह अनुमानित दो अरब जीबीपी (ग्रेट ब्रिटिश पाउंड) की संपत्ति के साथ 81वें स्थान पर थे।

हाल के महीनों में खराब स्वास्थ्य के बावजूद वह लगातार हाउस ऑफ लॉर्ड्स आते रहे। ब्रिटेन में प्रवासी भारतीयों के एक सक्रिय सदस्य के रूप में उनके निधन से एक ऐसी शून्यता उत्पन्न हो गई है जिसे भरना मुश्किल होगा।