निजी अस्पतालों के नियमन के लिए बनाया जाए प्राधिकार : आरएलएम नेता उपेन्द्र कुशवाहा
Focus News 19 March 2025 0
नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) राज्यसभा में बुधवार को भाजपा सहित सत्ता पक्ष के कई सदस्यों ने देश में पिछले दस वर्ष के दौरान मेडिकल शिक्षा में सीटों की संख्या बढ़ाये जाने के लिए सरकार की सराहना की, वही आरएलएम के एक सदस्य ने सुझाव दिया कि निजी अस्पतालों के नियमन के लिए एक प्राधिकार बनाया जाना चाहिए।
उच्च सदन में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा में भाग लेते हुए राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि गरीबों को बड़े स्तर पर लाभ देने वाली आयुष्मान योजना के लिए सरकार को जितना धन्यवाद दिया जाए, कम होगा।
उन्होंने कहा कि बिहार में बड़े रोग से ग्रसित लोगों के उपचार में कभी कभी जरूरत और उपलब्ध सुविधाओं में अंतर देखने को मिलता है, जिससे रोगी को दिल्ली जैसे बड़े शहरों में जाने के लिए विवश होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि पटना में अभी जो एम्स चल रहा है, उसमें सभी विभाग नहीं हैं।
कुशवाहा ने कहा कि पटना के एम्स में सभी विभाग जल्द शुरू किए जाएं और उनकी सेवाएं मानकों के अनुरूप हों। उन्होंने बिहार में सासाराम या उसके आसपास एक अन्य एम्स खोलने का भी सुझाव दिया।
उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री को सुझाव दिया कि निजी अस्पतालों के नियमन के लिए कोई प्राधिकार बनाया जाना चाहिए ताकि इन अस्पतालों में लोगों को सही ढंग से उपचार मिल सके। उन्होंने कहा कि कई बार निजी अस्पताल में उपचार करने वाले रोगियों की शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं होती है।
चर्चा में भाग लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के भुवनेश्वर कालिता ने कहा कि पिछले दस साल में मेडिकल शिक्षा पर बहुत अधिक ध्यान दिया गया है।
उन्होंने कहा कि यदि पूर्ववर्ती संप्रग शासनकाल और वर्तमान के राजग शासनकाल की तुलना की जाए तो 2014 में देश में 387 मेडिकल कॉलेज थे, जो अब बढ़कर 780 हो गये हैं। उन्होंने कहा कि पहले एम्स की चर्चा होने पर केवल दिल्ली के एम्स की बात होती थी। उन्होंने दोनों सरकार के शासनकाल में देश में एम्स की संख्या की तुलना करते हुए कहा कि 2014 में सात एम्स हुआ करते थे जिनकी संख्या 2025 में बढ़कर 23 हो गयी है।
कालिता ने कहा कि आज देश में जो 780 मेडिकल कॉलेज हैं, उनमें 431 सरकारी क्षेत्र में और 349 निजी क्षेत्र में हैं।
उन्होंने कहा कि 2014 में एमबीबीएस की सीट संख्या 51,348 हुआ करती थी। यह संख्या 2025 में बढ़कर 1,18,137 सीट हो गयी है। इसी प्रकार स्नातकोत्तर मेडिकल शिक्षा में 2014 में सीटों की संख्या 33,185 हुआ करती थी जो अब बढ़कर 73,157 हो गयी हैं।
कालिता ने कहा कि आज मेडिकल शिक्षा में स्नातक एवं परास्नातक की डिग्री लेकर शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक लोग आ रहे हैं तथा मेडिकल कॉलेज को भी अधिक संकाय सदस्य मिल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जन औषधि केंद्रों से आम आदमी को काफी राहत मिल रही है। उन्होंने कहा कि इन केंद्रों पर मिलने वाली दवाओं का मूल्य न केवल बहुत कम होता है बल्कि उनकी गुणवत्ता भी बहुत अच्छी होती है।
चर्चा में भाग लेते हुए जनता दल (यू) के संजय कुमार झा ने कहा कि बिहार में अस्पताल तो थे पर उनमें डॉक्टरों की कमी रहती थी। उन्होंने कहा कि मेडिकल शिक्षा में सीटों की संख्या बढ़ाने से इस क्षेत्र की तस्वीर बदलने में मदद मिलेगी क्योंकि देश के बच्चे चिकित्सा शिक्षा लेने के लिए यूक्रेन जैसे देशों में जाते हैं।
उन्होंने केंद्र सरकार को इस बात के लिए धन्यवाद दिया कि बिहार देश का ऐसा राज्य है जहां पटना के अलावा दूसरे शहर दरभंगा में एम्स बनाने की अनुमति दी गयी है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल पीएमसीएच (पटना मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल) बनवा रही है, जिसका पहला चरण पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि यह 5,462 बिस्तरों वाला अस्पताल होगा।
झा ने कहा कि आयुष्मान भारत परियोजना के दायरे में विस्तार कर 12 करोड़ परिवारों को जोड़ा गया है जिसमें से 4.5 करोड़ लोग 70 वर्ष से अधिक आयु के हैं। उन्होंने कहा कि इन 12 करोड़ परिवारों में 49 प्रतिशत कार्ड महिलाओं के नाम पर जारी किये गये हैं।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार आयुष्मान योजना के तहत क्रांतिकारी काम किया जा रहा है।
जद(यू) सदस्य ने स्वास्थ्य मंत्री को सुझाव दिया कि जिस अनुपात में मेडिकल शिक्षा में स्नातक स्तर पर सीटें बढ़ायी गयी हैं, उसी अनुपात में स्नातकोत्तर सीटें भी बढ़ायी जानी चाहिए ताकि इन लोगों को रोजगार में सहूलियत मिल सके। उन्होंने कहा कि आज एमडी और विशेषज्ञ चिकित्सकों की मांग बहुत बढ़ गयी है।