सुनीता विलियम्स: इतिहास रच देने वाली भारतीय मूल की अंतरिक्षयात्री

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नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स यूं तो पहले भी दो बार अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन जा चुकी हैं लेकिन शायद ही उन्होंने यह कल्पना की होगी कि तीसरी बार अंतरिक्ष में जाने के बाद उन्हें वापसी के लिए लंबा इंतजार करना होगा और यह घटना इतिहास के पन्नों में दर्ज होगी।

नासा के अंतरिक्षयात्री बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स नौ महीने अंतरिक्ष में रहने के बाद भारतीय समयानुसार बुधवार तड़के पृथ्वी पर लौट आए।

सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर ने दो अन्य अंतरिक्षयात्रियों के साथ स्पेसएक्स यान पर सवार होकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को अलविदा कहा।

भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स की यह तीसरी अंतरिक्ष उड़ान थी और उन्होंने अंतरिक्ष में कुल 608 दिन बिताए हैं।

पूर्व अमेरिकी नौसैन्य कप्तान विलियम्स (59) का जन्म 19 सितंबर 1965 को यूक्लिड, ओहियो में हुआ था। उनके पिता दीपक पांड्या गुजरात के मेहसाणा जिले के झूलासन से थे तथा मां उर्सुलाइन बोनी पांड्या स्लोवेनिया से हैं।

अपनी बहु-सांस्कृतिक जड़ों पर गर्व करते हुए विलियम्स अपने साथ अंतरिक्ष में अपनी विरासत के प्रतीक ले जा चुकी हैं, जिनमें समोसे, स्लोवेनियाई ध्वज और भगवान गणेश की मूर्ति शामिल हैं।

पिछले वर्ष जून में बुच विल्मोर के साथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए अपने तीसरे मिशन पर रवाना हुईं विलियम्स ने एक महिला द्वारा अंतरिक्ष में सर्वाधिक चहलकदमी किए जाने का रिकॉर्ड बनाकर इतिहास रच दिया। उनका यह तीसरा मिशन 286 दिन का रहा।

विलियम्स के नाम संबंधित मिशन क्रम में अब 62 घंटे और नौ मिनट का अतिरिक्त सक्रिय समय दर्ज है, जिससे उन्होंने पूर्व अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन के 60 घंटे और 21 मिनट के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है।

सुनीता विलियम्स को बचपन से ही विज्ञान में रुचि थी, लेकिन उनका सपना पशु चिकित्सक बनना था। उनके भाई जय का अमेरिकी नौसेना अकादमी में चयन हुआ था और वहां जाने के बाद सुनीता ने नौसेना अधिकारी बनने का सपना देखा।

यह वह समय था जब महशूर अभिनेता टॉम क्रूज अभिनीत ‘टॉप गन’ धूम मचा रही थी। जब विलियम्स को नौसेना विमानन प्रशिक्षण कमान में शामिल होने का अवसर मिला तो वह लड़ाकू विमान उड़ाना चाहती थीं लेकिन उन्हें हेलीकॉप्टर का विकल्प चुनना पड़ा।

वह 1989 में नौसेना एविएटर बनीं और उन्होंने नॉरफ़ॉक, वर्जीनिया में ‘हेलिकॉप्टर कॉम्बैट सपोर्ट स्क्वाड्रन 8’ में सेवा दी, इसके अलावा उनकी तैनाती ‘डेजर्ट शील्ड’ और ‘ऑपरेशन प्रोवाइड कम्फर्ट’ के समर्थन में भूमध्य सागर, लाल सागर और फारस की खाड़ी में भी की गई।

विलियम्स ने सैनिकों और मानवीय सहायता के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा उनके नेतृत्व कौशल और विषम परिस्थितियों में कार्य करने की क्षमता ने उन्हें भविष्य के अंतरिक्ष यात्री के रूप में अग्रसर किया।

विलियम्स को 1998 में नासा ने अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना और उन्होंने ‘जॉनसन स्पेस सेंटर’ में प्रशिक्षण लिया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी के साथ भी काम किया।

वह नौ दिसंबर 2006 को ‘अंतरिक्ष शटल डिस्कवरी’ पर सवार होकर अपने पहले मिशन पर रवाना हुईं और आईएसएस अभियान 14 और 15 में शामिल होकर 195 दिनों के लिए कक्षा में रहीं।

विलियम्स 17 जुलाई 2012 को रूसी अंतरिक्ष यान सोयूज पर सवार होकर अंतरिक्ष स्टेशन पर चार महीने के प्रवास के बाद वापस आईं और 19 नवंबर को पृथ्वी पर लौट आईं।

वह 16 अप्रैल 2007 को अंतरिक्ष में मैराथन दौड़ने वाली पहली व्यक्ति बनीं। उन्होंने अंतरिक्ष स्टेशन पर ट्रेडमिल पर बोस्टन मैराथन चार घंटे और 24 मिनट में पूरी की।

वह 2012 में अपनी दूसरी अंतरिक्ष उड़ान के दौरान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का नेतृत्व करने वाली एकमात्र दूसरी महिला बनीं। उन्होंने स्टेशन के संचालन की देखरेख की, कक्षा में एक ट्रायथलॉन पूरा किया, और अंतरिक्ष में चहलकदमी के दौरान सूर्य को आभासी तौर पर ‘‘स्पर्श’’ करती हुई एक तस्वीर भी खींची।

विलियम्स ने अपने अंतरिक्ष मिशन के तुरंत बाद 2007 और 2013 सहित कम से कम तीन बार भारत का दौरा किया है और उन्हें 2008 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विलियम्स को एक पत्र लिखकर उन्हें भारत की बेटी बताया था और देश आने का निमंत्रण दिया था।

उनके पति माइकल जे. विलियम्स संघीय पुलिस अधिकारी हैं।

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