
कई लोगों की यह सोच है कि अच्छी सेहत का मतलब है अच्छा डीलडौल हो। अक्सर लोग यह सोचते हैं कि तन्दुरूस्ती केवल अच्छे खाने-पीने से ही मिलती है लेकिन यह विचार गलत है। अच्छी सेहत का मतलब है पूर्ण स्वास्थ्य, पूर्ण स्वास्थ्य अर्थात् शारीरिक, मानसिक तथा आत्मिक स्वास्थ्य। यह सब आपको तभी हासिल हो सकता है जब आप कुछ महत्त्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें:-
पौष्टिक आहार: हर मां यही कोशिश करती है कि जो भी खाना बन रहा है वह पौष्टिक हो, दिनभर का खाना एक संतुलित आहार हो जिसमें सभी प्रकार के विटामिन्स, मिनरल, प्रोटीन इत्यादि का सही मिश्रण हो। आजकल के बच्चों को फास्ट फूड जैसे बरगर, पिज्जा इत्यादि खाने का बहुत शौक हो गया है। यह सब आप शौकिया तौर पर जरूर ले सकते हैं पर यह रोज का आम खाना तो नहीं हो सकता।
महिलाएं पहले से ज्यादा समझदार भी हो गयी हैं। पढ़े-लिखे होने का यह फायदा हुआ है कि उन्हें कई बातों की जानकारी और ज्ञान बढ़ गया है, इसलिए वे एक आम भोजन को भी तरह-तरह के नये व्यंजन सीख कर भी दिलचस्प बना सकती हैं। थोड़ा-सा सोच विचार करके और आम सब्जियों के नये प्रकार के व्यंजन बनाकर वे अपने बच्चों को खुश भी रख सकती हैं और उनकी पौष्टिकता का भी ध्यान रख सकती हैं।
फुर्तीले रहना: यदि आप दफ्तर में और घर पर भी काम करते हैं और आप दिन में कभी-कभी आठ या दस घंटों तक भी काम में जुटे रहते हैं। इसका यह मतलब नहीं कि आपके शरीर को वह व्यायाम मिला है, जिसकी उसको जरूरत है। फुर्तीला व तन्दुरूस्त रहने के लिए आपको किसी खेलकूद जैसे तैरना, बैडमिन्टन खेलना या फिर सैर करना जैसी हल्की लेकिन जरूरी कसरतें भी करनी चाहिये। यह करने से आप न केवल फुर्तीले रहेंगे आपके जोड़ों में दर्द, आपका रक्तचाप, आपकी चयापचय क्रिया, सब चीजों में अंतर पड़ेगा और आपको लाभ होगा।
आत्मिक तथा मानसिक स्वास्थ्य अगर आप अपनी जिन्दगी में तनाव का पैदा होना और इसका असर कम कर सकें तो आपकी तन्दुरूस्ती में बहुत फर्क आएगा। यदि आप अशान्त हैं या परेशान हैं तो जरूर अपनी ओर ध्यान दें न कि आस पास के हालातों पर। अपना मानसिक संतुलन बनाये रखने के लिए आपको कोई भी शौक पैदा करना चाहिए जैसे कि बुनाई, कढ़ाई, संगीत इत्यादि।
इसके अलावा यह भी बहुत जरूरी है कि जब आप तनाव महसूस करते हैं तो आप किसी निकटतम सहेली या दोस्त के साथ कहीं घूमने निकल जाएं जैसे पिक्चर देखने या शापिंग या फिर किसी अलग वातावरण वाली जगह जैसे कि बगीचा या रेस्टोरेण्ट इत्यादि। यह ध्यान में रखें कि यदि आप तनाव में रहते हैं तो आपका मानसिक तथा आत्मिक स्वास्थ्य बिगड़ जाता है इसलिए इस समय अपनी ओर ध्यान देना बहुत जरूरी हो जाता है।
यदि आप इन तीन आधारशिलाओं को न भूलें तो आप न केवल स्वस्थ रहेंगे, बल्कि कई छोटी मोटी बीमारियों से भी छुटकारा पायेंगे। (स्वास्थ्य दर्पण)
सोंठ एक औषधि भी है
सुदर्शन चौधरी
सोंठ अदरक का सूखा हुआ दूसरा रूप है। सोंठ स्वाद में चरपरा होता है। यह कफ नाशक, वीर्यवर्धक, उदर विकार के लिए उत्तम माना जाता है। अदरक और सोंठ के गुण में एक समान होते हैं।
जहां अदरक का प्रयोग अचार और सब्जी के मसाले में किया जाता है वहीं सोंठ का प्रयोग कुछ व्यंजनों तथा औषधि के रूप में किया जाता है। आइए जानिए सोंठ हमारे किन किन रोगों को दूर भागने में मदद करता है।
हिचकी लगने पर सोंठ और छोटी हरड़ को पानी में घिस कर उस गाढ़े घोल को गुनगुने पानी के साथ लेने से हिचकी बंद हो जाती है।
मन्दाग्नि में सोंठ के चूर्ण को आधे चम्मच गुड़ में मिला कर खाना खाने के बाद कुछ दिन नियमित लेने से लाभ होता है।
आधे सिर के दर्द में सोंठ को पानी में घिसकर माथे पर लेप करने से आधा सीसी का दर्द दूर होता है।
सर्दियों की खांसी में गुड़ को थोड़ा पिघला कर सोंठ चूर्ण डाल कर दिन में दो तीन बार धीरे-धीरे चाटने से खांसी में आराम मिलता है।
अपच के कारण से पेट में आंव बनने लगती है जो मल के साथ बाहर निकलती है। ऐसे में पाव भर दूध में आधा चम्मच सोंठ डालकर खूब उबालें। जब दूध पक जाए, उतार कर ठंडा सोते समय कर 3-4 दिन तक पीने से आंव ठीक हो जाता है।
कमर दर्द, और कूल्हों के दर्द में सोंठ को मोटा कूट कर 2 कप पानी में उबाल कर काढ़ा बना लें। जब पानी आधा कप रह जाए उसे ठंडा कर 2 चम्मच अरण्डी का तेल डाल कर सोने से पहले पिएं। सभी प्रकार के दर्द में लाभ होगा।
जब गर्मी में अदरक अधिक महंगा हो जाए तो सोंठ के चूर्ण को मसाले में प्रयोग किया जा सकता है।
पौष्टिक आहार: हर मां यही कोशिश करती है कि जो भी खाना बन रहा है वह पौष्टिक हो, दिनभर का खाना एक संतुलित आहार हो जिसमें सभी प्रकार के विटामिन्स, मिनरल, प्रोटीन इत्यादि का सही मिश्रण हो। आजकल के बच्चों को फास्ट फूड जैसे बरगर, पिज्जा इत्यादि खाने का बहुत शौक हो गया है। यह सब आप शौकिया तौर पर जरूर ले सकते हैं पर यह रोज का आम खाना तो नहीं हो सकता।
महिलाएं पहले से ज्यादा समझदार भी हो गयी हैं। पढ़े-लिखे होने का यह फायदा हुआ है कि उन्हें कई बातों की जानकारी और ज्ञान बढ़ गया है, इसलिए वे एक आम भोजन को भी तरह-तरह के नये व्यंजन सीख कर भी दिलचस्प बना सकती हैं। थोड़ा-सा सोच विचार करके और आम सब्जियों के नये प्रकार के व्यंजन बनाकर वे अपने बच्चों को खुश भी रख सकती हैं और उनकी पौष्टिकता का भी ध्यान रख सकती हैं।
फुर्तीले रहना: यदि आप दफ्तर में और घर पर भी काम करते हैं और आप दिन में कभी-कभी आठ या दस घंटों तक भी काम में जुटे रहते हैं। इसका यह मतलब नहीं कि आपके शरीर को वह व्यायाम मिला है, जिसकी उसको जरूरत है। फुर्तीला व तन्दुरूस्त रहने के लिए आपको किसी खेलकूद जैसे तैरना, बैडमिन्टन खेलना या फिर सैर करना जैसी हल्की लेकिन जरूरी कसरतें भी करनी चाहिये। यह करने से आप न केवल फुर्तीले रहेंगे आपके जोड़ों में दर्द, आपका रक्तचाप, आपकी चयापचय क्रिया, सब चीजों में अंतर पड़ेगा और आपको लाभ होगा।
आत्मिक तथा मानसिक स्वास्थ्य अगर आप अपनी जिन्दगी में तनाव का पैदा होना और इसका असर कम कर सकें तो आपकी तन्दुरूस्ती में बहुत फर्क आएगा। यदि आप अशान्त हैं या परेशान हैं तो जरूर अपनी ओर ध्यान दें न कि आस पास के हालातों पर। अपना मानसिक संतुलन बनाये रखने के लिए आपको कोई भी शौक पैदा करना चाहिए जैसे कि बुनाई, कढ़ाई, संगीत इत्यादि।
इसके अलावा यह भी बहुत जरूरी है कि जब आप तनाव महसूस करते हैं तो आप किसी निकटतम सहेली या दोस्त के साथ कहीं घूमने निकल जाएं जैसे पिक्चर देखने या शापिंग या फिर किसी अलग वातावरण वाली जगह जैसे कि बगीचा या रेस्टोरेण्ट इत्यादि। यह ध्यान में रखें कि यदि आप तनाव में रहते हैं तो आपका मानसिक तथा आत्मिक स्वास्थ्य बिगड़ जाता है इसलिए इस समय अपनी ओर ध्यान देना बहुत जरूरी हो जाता है।
यदि आप इन तीन आधारशिलाओं को न भूलें तो आप न केवल स्वस्थ रहेंगे, बल्कि कई छोटी मोटी बीमारियों से भी छुटकारा पायेंगे। (स्वास्थ्य दर्पण)
सोंठ एक औषधि भी है
सुदर्शन चौधरी
सोंठ अदरक का सूखा हुआ दूसरा रूप है। सोंठ स्वाद में चरपरा होता है। यह कफ नाशक, वीर्यवर्धक, उदर विकार के लिए उत्तम माना जाता है। अदरक और सोंठ के गुण में एक समान होते हैं।
जहां अदरक का प्रयोग अचार और सब्जी के मसाले में किया जाता है वहीं सोंठ का प्रयोग कुछ व्यंजनों तथा औषधि के रूप में किया जाता है। आइए जानिए सोंठ हमारे किन किन रोगों को दूर भागने में मदद करता है।
हिचकी लगने पर सोंठ और छोटी हरड़ को पानी में घिस कर उस गाढ़े घोल को गुनगुने पानी के साथ लेने से हिचकी बंद हो जाती है।
मन्दाग्नि में सोंठ के चूर्ण को आधे चम्मच गुड़ में मिला कर खाना खाने के बाद कुछ दिन नियमित लेने से लाभ होता है।
आधे सिर के दर्द में सोंठ को पानी में घिसकर माथे पर लेप करने से आधा सीसी का दर्द दूर होता है।
सर्दियों की खांसी में गुड़ को थोड़ा पिघला कर सोंठ चूर्ण डाल कर दिन में दो तीन बार धीरे-धीरे चाटने से खांसी में आराम मिलता है।
अपच के कारण से पेट में आंव बनने लगती है जो मल के साथ बाहर निकलती है। ऐसे में पाव भर दूध में आधा चम्मच सोंठ डालकर खूब उबालें। जब दूध पक जाए, उतार कर ठंडा सोते समय कर 3-4 दिन तक पीने से आंव ठीक हो जाता है।
कमर दर्द, और कूल्हों के दर्द में सोंठ को मोटा कूट कर 2 कप पानी में उबाल कर काढ़ा बना लें। जब पानी आधा कप रह जाए उसे ठंडा कर 2 चम्मच अरण्डी का तेल डाल कर सोने से पहले पिएं। सभी प्रकार के दर्द में लाभ होगा।
जब गर्मी में अदरक अधिक महंगा हो जाए तो सोंठ के चूर्ण को मसाले में प्रयोग किया जा सकता है।