एक रामबाण औषधि है प्रातः भ्रमण

0
https-media-gettyimages-com-id-1425203502-photo-happy-and-joggers
शरीर स्वस्थ हो तो मन भी प्रसन्न रहता है। स्वास्थ्य और सौंदर्य उसी को प्राप्त होता है जो नियमित व्यायाम करता है। सबसे हल्का और उत्तम व्यायाम है प्रातःभ्रमण। यदि आपके पास आज व्यायाम के लिए समय नहीं तो कल को बीमार होने के लिए समय अवश्य निकालना पडे़गा। अच्छा भोजन, चिन्ता रहित जीवन और संतुलित व्यायाम आपकी काया को कुन्दन बना देता है।
खेलना, तैरना, घुड़सवारी करना, साइकिल चलाना, जागिंग करना आम व्यायाम हैं। दण्ड पेलना, कुश्ती करना मुदगर पेलना कुछ कठिन व्यायाम हैं। सूखा-चना खा कर भी सेहत को चंगा रखा जा सकता है। मन चंगा तो कठौती में गंगा। मन से सभी रोग शुरू होते हैंं।
जो लोग बैठ कर कार्य करते हैं जैसे दुकानदार, क्लर्क, प्रोफेसर, अध्यापक, सभी के लिये व्यायाम करना अति आवश्यक है। घूमना, टहलना, जागिंग या साइकिलिंग भी अपनी जगह श्रेष्ठ हैं।
व्यायाम से अतिरिक्त वसा जल कर कम हो जाती है अन्यथा वसा हमारी चमड़ी के नीचे बैठ कर हमारी तोंद बाहर निकाल देती है। गाल व बाजु थुलथुले हो जाते हैं। शरीर के अंदरूनी अंग जैसे गुर्दा, दिल व आंतडि़यों पर वसा जमने लगती है। रूधिर वाहिनियों की दीवारें तंग हो जाती हैं और रक्त का दबाव बढ़ जाता है। शरीर की सुंदरता बिगड़ जाती है। चाल भी प्रभावित होती है। स्फूर्ति कम हो जाती है। डकार, गैस व अपच आदि रोग घेरा डाल लेते हैं जो बाद में भयंकर रूप धारण कर लेते हैं।
घास पर नंगे पांव चलने से नेत्रा-ज्योति में वृद्धि  होती है। चलते समय रीढ़ की हड्डी सीधी और सीना तना हुआ रहना चाहिए। प्रातः हवा में आक्सीजन की मात्रा ज्यादा रहती है। हरे रंग को देखने से मन को स्फूर्ति मिलती है।
सुबह की सैर सभी रोगों की रामबाण संजीवनी है। प्रातः की सैर सायं की सैर से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है क्योंकि प्रातःकाल धूल मिट्टी, वाहन नहीं होते। वायुमण्डल में आक्सीजन की मात्रा ज्यादा रहती है। रक्त शुद्ध होकर जीवन-चेतना में वृद्धि  होती है।
गर्भवती स्त्रिायों, दमा के रोगियों गठिया या जोड़ों के दर्द वाले लोगों के लिए प्रातः भ्रमण रामबाण औषधि है जो न कड़वी है, न ही इसका कोई दाम है। शरीर से फालतू चर्बी घुल कर शरीर का काया-कल्प हो जाता है, शरीर निरोग व दीर्घायु को प्राप्त होता है।
भ्रमण करते समय अपना मन व दिमाग शांत व विचारशून्य रखने की चेष्टा करें । अकेले हों तो अच्छा, यदि मनपसन्द साथी हो तो और भी अच्छा, यदि जीवन साथी साथ भ्रमण करे तो सर्वोत्तम  है।
स्वस्थ शरीर के लिए जितना जरूरी संतुलित भोजन है उतना ही जरूरी संतुलित व्यायाम है। चलते समय आरामदायक कैनवेस शूज़ और ढीले सफेद कपड़े हों तो सात्विकता बढ़ जाती है। डिप्रेशन के मरीज़ों के लिए सैर प्रसन्नता प्रदान करती है।
पहाड़ पर चढ़ना, बरसात में छाता लेकर चलना, ट्रेकिंग, बच्चों बूढ़ों जवानों आदि सब के लिए आनन्ददायक, स्फूर्ति दायक है। बुढ़ापा पास न फटकेगा-यदि आप प्रतिदिन पांच कि.मी. प्रातःभ्रमण करेंगे। सैर की दूरी अपनी शारीरिक क्षमता के अनुरूप करें। यह दूरी प्रतिदिन बढ़ाते रहें।
सैर से आप के चेहरे की चर्बी, वक्ष की अनावश्यक चर्बी, कूल्हों की चर्बी, पेट, कमर की चर्बी घुल जाएगी और आप पुनः नवयौवन को प्राप्त कर सकेंगे। मोटापा दूर भाग जाएगा, शरीर की कैलोरी जलेंगी। आपके चेहरे का निखार बढ़ जाएगा। डायबिटिज और दिल के मरीज़ों के लिए निरंतर प्रातःभ्रमण दीर्घ आयुकारी है क्योंकि इससे रूधिर संचार सुचारू हो जाता है। खून का अतिरिक्त ग्लूकोज जल कर भस्म हो जाता है।
नियमित व्यायाम से शरीर की टूटी-फूटी कोशिकाएं मुरम्मत हो कर ठीक हो जाती हैं। शरीर हष्ट पुष्ट बनता है। शरीर को जिस प्रकार हवा पानी की आवश्यकता है उसी अनुपात में व्यायाम आवश्यक है। इससे शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है।
जो रोग औषधि नहीं ठीक कर सकती, वे तेज चलने से ठीक हो जाते हैं। गठिया, मधुमेह, दिल के रोग , मोटापा, जोड़ों का दर्द, पीठ का दर्द , कमजोर हड्डियां, डिप्रेशन, चिन्ता आदि प्रातः भ्रमण से दूर भाग जाते हैं। आइए हम सब चलें, और इन सब रोगों को दूर भगा कर चिरस्थाई कायाकल्प, चिरयौवन और दीर्घजीवन पाएं और धरती से रोग-प्रदूषण को दूर कर के धरती को स्वर्ग से सुंदर बनाने में अपना योगदान दें। जिस देश के नागरिक स्वस्थ होंगे, वह देश अग्रणी बन सकता है। कमजोर लोग देश को शक्तिशाली नहीं बना सकते।
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *