भागलपुर से मिशन बिहार को लेकर मोदी का चुनावी शंखनाद

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आगामी 24 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिहार के भागलपुर आ रहे हैं । भागलपुर की धरती से प्रधानमंत्री तीन लाख किसानों को सम्मान निधि का वितरण करेंगे। इस दौरान किसान सभा का आयोजन हवाई अड्डा मैदान में होना है। माना यह जा रहा है कि यहीं से मोदी बिहार विधानसभा के चुनाव के लेकर हुंकार भरेंगे। करीब पांच लाख लोगों के जुटने का दावा भाजपा की ओर से किया जा रहा है। 13 जिलों के भाजपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को इसे लेकर जिम्मेवारी सौंपी गयी है। एनडीए के कई मंत्री व दिग्गज नेताओं को टास्क सौंपा गया है।बिहार के भागलपुर  में 11 जिलों के 937 पार्टी पदाधिकारी आए।भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष समेत कई कद्दावर नेताओं की  बैठक में आगे की रणनीति पर विचार किया। दिल्ली में भाजपा की जीत के बाद प्रधानमंत्री का दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत ₹20,000 करोड़ की राशि किसानों के खातों में हस्तांतरण का श्री  गणेश  करेंगे। बिहार में ₹3,000 करोड़ की रेलवे परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे जिसमें अररिया में 9 किलोमीटर ब्रॉड गेज लाइन भी शामिल है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल का कहना है कि,”प्रधानमंत्री मोदी की यह रैली ऐतिहासिक होगी। यह न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए बड़ी सौगात लेकर आ रही है। रेलवे परियोजनाओं से राज्य के विकास को नई गति मिलेगी।”

भागलपुर दौरे को बिहार में एनडीए के चुनाव अभियान की अनौपचारिक शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। बीजेपी-जेडीयू-एलजेपी गठबंधन का लक्ष्य मोदी सरकार की उपलब्धियों और बिहार में विकास कार्यों को उजागर करके एक और कार्यकाल सुरक्षित करना है । राज्य के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का कहना है कि सम्राट चौधरी ने कहा कि यह पूरा इलाका किसानी पर ही निर्भर है। पीएम इससे पहले दरभंगा जा चुके थे। ये पूरा इलाका छूटा हुआ था इसलिए यहां कार्यक्रम कराया जा रहा है।

 

बिहार के भागलपुर में नालंदा की तरह विक्रमशिला महाविहार बौद्ध शिक्षण का अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र रहा है। आठवीं शताब्दी के आरंभ में पालवंशीय राजा धर्मपाल द्वारा स्थापित इस महाविहार  ने अनेक ऐसे विद्वानों को पैदा किया जिन्हें बौद्ध ज्ञान,संस्कृति तथा धर्म के प्रचार के लिए विदेशों में भी आमंत्रित किया गया। कभी महाविहार की बड़ी—बड़ीअट्टालिकाएं,गगनचुंबी स्तूप,अनेक मंदिरों की घंटियों तथा भिक्षुओं की शंखनाद और विद्यार्थियों की ‘बुद्धम शरणम् गच्छामि’ की स्त्रोत ध्वनि देश विदेश से आनेवाले विद्वानों और यात्रियों के आकर्षण था। इतिहास में एक समय ऐसा आया जब यह प्राचीन विक्रमशिला बौद्ध महाविहार काल के गर्त में समा गया। विद्वानों के लिए यह खोज का विषय रहा कि विक्रमशिला कहां है? पटना विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग की ओर से डॉ बी.पी सिन्हा के नेतृत्व में भागलपुर के कहलगांव अनुमंडल स्थित अंतीचक टीले 1960—61 में खुदाई की गयी। फिर भारत सरकार के पुरातत्व विभाग द्वारा 1971 से 1982 के बीच डॉ बी.एस.वर्मा के नेतृत्व में उत्खनन का काम चला। इसके फलस्वरूप तमाम विरोधाभासों का नकारते हुए यह तथ्य सामाने यही विक्रमशिला महाविहार था। खुदाई के लिए 125 एकड़ भूमि संरक्षित तो गयी लेकिन इसकी पूरी खुदाई नहीं हो सकी है।

सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहे विक्रमशिला महाविहार के ऐतिहासिक एवं गौरवशाली अतीत के पुर्नजीवित करने के लिए  पूर्व चुनावी माहौल में प्रधानमंत्री द्वारा विक्रमशिला केन्दीय विश्वविद्यालय स्थापना की न सिर्फ घोषणा की गयी थी, वरन् इसपर त्वरित कार्यवाई करते हुए स्वीकृति-पत्र भी जारी की गयी थी और भूमि-अधिग्रहण सरीखे प्रारंभिक कार्यों के बावत करोड़ों के आबंटन भी मुहैय्या कराये गये थे।भूमि का पेंच अभी तक उलझा हुआ है। इतना ही नहीं राष्ट्रीय तथा अंतराष्ट्रीय बौद्ध जगत में महत्वपूर्ण स्थान रखने तथा गौतम बुद्ध द्वारा विक्रमशिला के निकट बुद्धासन के परिदर्शन के बावजूद विक्रमशिला को अभी तक बौद्ध सर्किट में शामिल नहीं किया गया है जबकि भगवान बुद्ध द्वारा प्रदर्शित अन्य स्थान बौद्ध सर्किट में शामिल हैं।

 

विडम्बना तो है कि भारत सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा संसद मे सितम्बर 2012 में विक्रमशिला को बौद्ध सर्किट में घोषणा की गयी थी। अपने समय में नालंदा से भी अधिक अहमियत रखनेवाली एवं विरल पुरातत्वविक महत्व की सामग्री सहेजे रखने के बाद भी विक्रमशिला को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल करने की दिशा में भी पहल नहीं की गयी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा अस्सी के दशक में पुराविद् डॉ बी.एस.वर्मा के नेतृत्व में खुदाई के बाद विक्रमशिला की पहचान बनी किंतु उस समय मुख्य स्तूप की ही खुदाई हो पायी और आसपास के महत्वपूर्ण स्थल छूट गए जिसके उत्खनन की दिशा में अब तक कोई पहल नहीं की गयी है। यहां दफन हैं कई राज। दरअसल में इस महत्वपूर्ण स्थल को सरकार ने पूरी तरह से हाशिये पर रखा है। पर्यटन के मानचित्र पर भी उपेक्षित है। पुरातत्व तथा पर्यटन संबधी बिहार सरकार के किसी भी प्रकाशन तथा प्रचार सामग्री में विक्रमशिला की चर्चा नहीं है। विक्रमशिला परिदर्शन को आनेवाले पर्यटकों  तथा बौद्ध धर्मावलंवियों के लिए सड़क, पेयजल, शौचालय, विश्रामागृह, वायुसेवा जैसी सुविधाए नगण्य हैं विक्रमशिला महोत्सव होता है तो सिर्फ खानापुरी।विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय निर्माण समिति का कहना है कि प्रधानमंत्री विक्रमशिला खुदाई स्थल का दौरा करें ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसका प्रचार हो सके। समिति को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगमन से विक्रमशिला का सर्वांगीण विकास हो सकेगा।

 

पूर्व उप जनसम्पर्क निदेशक शिव शंकर सिंह पारिजात के अनुसार विक्रमशिला के अनुसार 80 के दशक में एएसआई के तत्वावधान में पुराविद् डॉ बीएस वर्मा द्वारा खुदाई के बाद विक्रमशिला के अवशेषों के वजूद़ में आने के बाद सम्यक रूप से शोध-अध्ययन नहीं हुए हैं जिसकी नितांत आवश्यकता है।

 

भागलपुर पहुंचे राज्य के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, भागलपुर में बनने वाले ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट को बजट सत्र के दौरान ही वित्त मंत्री  ने घोषित कर दिया है। भागलपुर में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट हम बनाएंगे। वहीं, प्रधानमंत्री  इस कार्यक्रम के दौरान विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय का शिलान्यास करेंगे के सवाल पर  उपमुख्यमंत्री  सम्राट चौधरी ने कहा कि उसके लिए पहले भारत सरकार कानून बनाकर सांसद में बिल लाएगी। इसके बाद ही शिलान्यास होगा। उपमुख्यमंत्री के इस बयान के सामने आने के बाद प्रदेश के लोगों की उम्मीदें फिलहाल बिखर गई।

आगामी बिहार विधान सभा में जीत की नीव डालने प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी भागलपुर आ तो रहे हैं, पर उसके निशाने पर बिहार के एक ऐसा बड़ा वर्ग है, जो भाजपा की तकदीर बदल सकता है। नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद रहेंगे। माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नीतीश कुमार डिमांड की पोटली खोलेंगे और संभवत यह नरेंद्र मोदी घोषणा भी करेंगे। और ये सारी वो योजना होगी जो बिहार के लिए घोषित उन योजनाओं से इतर होगा जिसकी घोषणा केंद्रीय बजट के दौरान हो चुकी होगी।प्रधान मंत्री 8वे वेतन आयोग की घोषणा के तहत अधिकारी और कर्मचारी का समर्थन हासिल करेंगे  वहीं टैक्स में 12 लाख तक की छूट का दिलाएंगे याद।

दिल्ली की तर्ज पर गर्भवती योजना के तहत मिलने वाली 25 हजार की राशि का करेंगे बखान और तेजस्वी के ‘माई-बहन मान योजना’ का करेंगे काट। साथ ही संविधान और आरक्षण पर करेंगे स्थिति स्पष्ट करेंगे।

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