स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में विश्व विख्यात गंगा जी की आरती में किया सहभाग
अद्भुत है माँ गंगा की दिव्यता जो संस्कारों से युक्त जल लेकर निरंतर 2525 किलोमीटर की यात्रा कर हमारे हृदयों को पवित्र करती हैं
महामंडलेश्वर महन्त श्री रामसुन्दर दास जीए पीठाधीश्वर श्री दूधाधारी मठ रायपुर एवं श्री शिवरीनारायण मठ पधारे परमार्थ निकेतन
ऋषिकेशए 4 मार्च। परमार्थ निकेतन में प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी जी का आगमन हुआ। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में गंगा जी की आरती में सहभाग किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि माँ गंगा के पवित्र जल में जो आशीर्वाद हैए वह न केवल शारीरिक शुद्धि के लिए हैए बल्कि यह हमारे मानसिक और आत्मिक शुद्धि का भी मार्ग प्रशस्त करता है। गंगा माँ के पानी में समाहित दिव्यता और पवित्रता न केवल भारतए बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिए एक अमूल्य धरोहर है। स्वामी जी ने कहा कि माँ गंगा की दिव्यता और पवित्रता अनन्त है। गंगा केवल एक नदी नहीं हैए बल्कि यह एक आशीर्वाद हैए जो हमें अपने जीवन में आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करती है। जब हम माँ गंगा से जुड़े रहते हैंए तो हम न केवल अपने शारीरिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करते हैंए बल्कि हमारे जीवन में आध्यात्मिक उन्नति भी होती है। माँ गंगा 2525 किलोमीटर की यात्रा करते हुये अनेकों के जीवन में शुद्धता और नयी ऊर्जा का संचार करती है। यह जल हमें जीवन के प्रत्येक पहलू में संतुलनए शांति और प्रेम की ओर प्रेरित करता है। गंगा माँ का पवित्र जल जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखता हैए और यही कारण है कि हर व्यक्तिए हर समाजए और प्रत्येक राष्ट्र के लिए गंगा माँ का आशीर्वाद अनमोल है। साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि माँं गंगा के तट पर आना ही सौभाग्य का विषय है। हम चाहे कुछ समय के लिये आये या कुछ दिनों के लिये माँ गंगा अपनी दिव्यता से हमारे तनए मन और आत्मा को भी शुद्ध कर देती हैं।
जया किशोरी जी ने कहा कि महाकुम्भ में पूज्य स्वामी जी व साध्वी जी के पावन सान्निध्य में संगम की डुबकी की स्मृतियों का स्मरण करते अद्भुत था व दिव्य दृश्यए संगम की एक डुबकी में जीवन का सार समाहित था। स्वामी जी हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का दिव्य पौधा जया किशोरी जी को देकर उनका अभिनन्दन किया।