कांग्रेस वाकई भाजपा को हराने की कोशिश कर रही है? : विजयन

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तिरुवनंतपुरम, पांच मार्च (भाषा) केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने दावा किया कि वाम दल ‘‘संघ परिवार के नेतृत्व वाले केंद्रीय प्राधिकारियों’’ की जनविरोधी नीतियों का विरोध करने, उन्हें उजागर करने तथा जनता को लामबंद करने में सबसे आगे रहे हैं।

विजयन ने साथ ही कांग्रेस के इस दावे को भी चुनौती दी कि वह भाजपा का मुकाबला करने में सक्षम एकमात्र ताकत है।

उन्होंने केरल में कांग्रेस की प्रमुख सहयोगी ‘इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग’ (आईयूएमएल) जैसी पार्टियों से कांग्रेस के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। विजयन ने कोल्लम में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के प्रदेश सम्मेलन से पहले मीडिया में प्रकाशित एक लेख में ये टिप्पणियां कीं।

कांग्रेस ने माकपा के वरिष्ठ पोलित ब्यूरो सदस्य के लेख पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि लोकसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समर्थक रुख अपना लिया है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने आरोप लगाया, ‘‘चुनावों के दौरान अल्पसंख्यकों की भावनाओं को भड़काने के प्रयासों की विफलता के बाद, मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी दोनों ने अब ऐसा दृष्टिकोण अपना लिया है जो बहुसंख्यक सांप्रदायिकता को बढ़ावा देता है।’’

विजयन ने कहा कि दिल्ली की सड़कों पर बुलडोजरों का विरोध करने से लेकर उच्चतम न्यायालय में धर्म आधारित नागरिकता कानूनों के खिलाफ कानूनी लड़ाई का नेतृत्व करने तक, वाम दल प्रमुख संघर्षों में सबसे आगे रहे हैं, जिनमें ऐतिहासिक किसान प्रदर्शन, जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की लड़ाई और भाजपा की कॉर्पोरेट-वित्त पोषित चुनावी बॉन्ड योजना के खिलाफ चुनौती शामिल है।

उन्होंने लेख में लिखा, ‘‘हर स्तर पर वाम दल भारत के धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताने-बाने को इन लगातार हमलों से बचाने में अग्रणी रहे हैं।’’

माकपा के वरिष्ठ नेता विजयन ने दावा किया कि जनविरोधी नीतियों को खुलेआम उजागर करने और उनके खिलाफ जनता को लामबंद करने में वाम दलों ने इन कदमों का प्रतिरोध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रतिरोध ने लोगों को केंद्र सरकार के बारे में गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर दिया है। यह वास्तविकता है। कांग्रेस दावा करती है कि केवल वे ही संघ परिवार का विरोध कर सकते हैं। लेकिन सच्चाई क्या है?’’

उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले लोकसभा और उसके बाद राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के विधानसभा चुनावों में केंद्रीय नीतियों के खिलाफ किसानों का गुस्सा स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुआ था, लेकिन यह कांग्रेस की रणनीति ही थी जिसने अंततः भाजपा को सत्ता में लाने में मदद की।

विजयन ने दावा किया कि भाजपा को चुनौती देने वाले अन्य विपक्षी दलों के प्रति कांग्रेस का दृष्टिकोण अहंकार से भरा है, जिसका ताजा उदाहरण दिल्ली विधानसभा चुनावों में देखने को मिला।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘2015 और 2020 दोनों में, कांग्रेस दिल्ली विधानसभा में एक भी सीट जीतने में विफल रही। फिर भी, भाजपा को हराने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, कांग्रेस ने अपना प्राथमिक लक्ष्य आम आदमी पार्टी (आप) को हराना बना लिया, जो दिल्ली में मुख्य विपक्षी ताकत है। कांग्रेस नेताओं ने खुले तौर पर कहा कि आप को जिताने में मदद करना उनका काम नहीं है।’’

उन्होंने दलील दी कि यदि कांग्रेस ने अपनी सीमाओं को पहचाना होता और स्पष्ट राजनीतिक दृष्टि के साथ धर्मनिरपेक्ष एकता को प्राथमिकता दी होती, तो परिणाम पूरी तरह से अलग हो सकते थे।

विजयन ने आरोप लगाया, ‘‘इसके बजाय उन्होंने भाजपा के लिए राष्ट्रीय राजधानी पर हावी होने का अवसर तैयार किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे समय में जब हमारे धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक मूल्य ऐसी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, कांग्रेस के कृत्य अक्षम्य हैं। आप के साथ यदि कोई मतभेद थे भी तो भी कांग्रेस को उन्हें दूर करने और भाजपा की हार सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना चाहिए था।’’

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव सहित ‘इंडिया’ गठबंधन के कई नेताओं ने पहले ही कांग्रेस के “गलत दृष्टिकोण” की आलोचना की है।

उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ महीने पहले ही कांग्रेस ने हरियाणा में भी इसी तरह की रणनीति अपनाई थी, जिससे वहां भी क्षेत्रीय सहयोगी अलग-थलग पड़ गए थे।

विजयन ने कहा, ‘‘तो क्या कांग्रेस वाकई भाजपा को हराने की कोशिश कर रही है या सिर्फ उसकी जीत सुनिश्चित कर रही है? उनकी कथनी और करनी में अंतर है। क्या धर्मनिरपेक्ष दल ऐसी कांग्रेस पर वाकई भरोसा कर सकते हैं? लीग जैसी पार्टियां अपने रुख पर गंभीरता से पुनर्विचार करें।’’

विपक्ष के नेता सतीशन ने विजयन पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस ने हमेशा संघ परिवार के खिलाफ समझौता न करने वाला रुख अपनाया है।

उन्होंने कहा, ‘‘क्या गांधी ने भाजपा से कभी समझौता किया है? वह पिनराई विजयन की माकपा है जिसने भाजपा के साथ समझौता किया है। माकपा की ताजा खोज यह प्रतीत होती है कि भाजपा कोई फासीवादी पार्टी नहीं है। कांग्रेस समेत विपक्षी दल जहां मोदी सरकार को फासीवादी कहते हैं, वहीं माकपा अब दावा करती है कि वह ‘नव-फासीवादी’ भी नहीं है, बल्कि इसमें ‘नव-फासीवादी’ होने की क्षमता है। कांग्रेस नेता ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह सीताराम येचुरी के रुख से पूरी तरह अलग है, जिनके कई लेख आज भी इसके सबूत हैं। अपने नये रुख को समझाने के बजाय, मुख्यमंत्री को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उन्होंने येचुरी के पिछले रुख को क्यों त्याग दिया है। जो लोग अब दावा करते हैं कि भाजपा फासीवादी नहीं है, वे ही हमें उपदेश देने की कोशिश कर रहे हैं।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव के बाद, मुख्यमंत्री ने मुस्लिम लीग के खिलाफ टिप्पणी की, उस पर एसडीपीआई और जमात-ए-इस्लामी के साथ नजदीकी बनाने का आरोप लगाया।

सतीशन ने कहा कि लीग प्रमुख पनक्कड़ थंगल ने यह स्पष्ट कर दिया था कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) के साथ खड़े होने के एक हजार कारण थे, लेकिन माकपा के नेतृत्व वाले एलडीएफ का साथ देने के लिए एक भी नहीं।

उन्होंने कहा, ‘‘लीग का समर्थन हासिल करने के बार-बार के असफल प्रयासों के बाद ही माकपा ने उन्हें सांप्रदायिक करार देना शुरू किया। यह पूरी तरह से बहुसंख्यक समुदाय को खुश करने का एक कृत्य था। लीग इस चाल से पूरी तरह वाकिफ है।’’

केरल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के सुधाकरन ने विजयन पर “भाजपा की बयानबाजी दोहराने’’ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें आरएसएस का प्रचारक बना देना चाहिए।’’

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