नयी दिल्ली, दो मार्च (भाषा) भारतीय बायोगैस एसोसिएशन (आईबीए) ने रविवार को कहा कि जैविक उर्वरक के उपयोग को बढ़ावा देने की सरकार की पहल से बायोगैस उद्योग के राजस्व में 2.6 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हो सकती है।
आईबीए ने बयान में कहा कि सरकार ने खेती के तरीकों में जैविक उर्वरक के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए एक संशोधन की घोषणा की है, जो पारिस्थितिक रूप से अधिक अनुकूल हैं।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 1985 के उर्वरक (अकार्बनिक, कार्बनिक या मिश्रित) (नियंत्रण) आदेश में कुछ परिवर्तन किए हैं और संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) संयंत्रों से प्राप्त ‘ऑर्गेनिक कार्बन संवर्द्धक’ को उर्वरक की एक नई किस्म के रूप में शामिल किया है।
इसमें कहा गया है कि फरवरी, 2025 में शुरू किया गया यह बदलाव किसानों और पर्यावरण के लिए फायदेमंद माना जा रहा है क्योंकि इससे देश में कृषि को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
भारतीय बायोगैस एसोसिएशन के अध्यक्ष ए आर शुक्ला ने इस संशोधन की सराहना करते हुए कहा कि इससे मृदा की सेहत सुधारने के साथ-साथ ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में भी मदद मिलेगी।
आईबीए ने कहा कि बायोगैस संयंत्र में किण्वन प्रक्रिया के माध्यम से उत्पादित जैविक उर्वरक उद्योग को अतिरिक्त आय अर्जित करने में मदद करेगा।
आईबीए ने बताया कि भारत में मृदा जैविक कार्बन (एसओसी) की मात्रा पिछले 70 वर्षों में एक प्रतिशत से घटकर 0.3 प्रतिशत रह गई है।