महत्वपूर्ण, अग्रणी प्रौद्योगिकियां आधुनिक युद्ध में मारक क्षमता के नए आयाम जोड़ रही हैं : राजनाथ

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हैदराबाद, 28 फरवरी (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि महत्वपूर्ण, अत्याधुनिक और अग्रणी प्रौद्योगिकियां आधुनिक युद्ध में मारक क्षमता के साथ-साथ अप्रत्याशितता के नए आयाम जोड़ रही हैं।

उन्होंने कहा, “यदि हम प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मजबूत और सुरक्षित बने रहना चाहते हैं, तो हमें इन प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षित युवाओं की आवश्यकता है, जो महत्वपूर्ण तकनीकी चुनौतियों का समाधान प्रदान कर सकें।”

यहां रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) एवं अन्य द्वारा आयोजित राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह ‘विज्ञान वैभव-2025’ को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में युद्ध के बदलते स्वरूप में अतीत की तुलना में तकनीकी घटक का महत्व बढ़ गया है।

सिंह ने कहा कि युद्ध की परिस्थितियां तेजी से ‘‘हार्डवेयर से सॉफ्टवेयर’’ की ओर परिवर्तित हो रही हैं।

उन्होंने कहा, “यदि आप प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मजबूत और सुरक्षित बने रहना चाहते हैं, तो हमें इन प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षित युवाओं की आवश्यकता है, जो महत्वपूर्ण तकनीकी चुनौतियों का समाधान प्रदान कर सकें।”

सिंह ने कहा, इस दृष्टि से आधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की शिक्षा राष्ट्र की सुरक्षा के लिए और भी अधिक महत्वपूर्ण है।

उपस्थित श्रोताओं, जिनमें अधिकतर स्कूल और कॉलेज के छात्र थे, को संबोधित करते हुए उन्होंने युवा पीढ़ी से आग्रह किया कि वे वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आलोचनात्मक सोच अपनाएं, ताकि वे “कैसे और क्यों” जैसे प्रश्नों पर गहराई से विचार कर सकें और सामान्य से आगे जा सकें।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक युवा में प्रतिभा और दुनिया को हिला देने की क्षमता है। सिंह ने कहा, “बस इसे पहचानने और इसे हासिल करने के लिए खुद को प्रतिबद्ध करने की बात है।”

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार लोगों के कल्याण के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करने को प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अंतर्गत शिक्षा एक समवर्ती विषय है तथा यह केंद्र और राज्यों की संयुक्त जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि हमारी भावी पीढ़ी को सर्वोत्तम शिक्षा मिले।

सिंह ने कहा कि नयी शिक्षा नीति (एनईपी) ने फील्ड वर्क, प्रैक्टिकल और अनुसंधान जैसे गतिशील तत्वों को शामिल करके हमारी शिक्षा प्रणाली की प्रकृति को बदलने का प्रयास किया है।

उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने यही कहा था: शिक्षा का सार तथ्यों को एकत्रित करना नहीं, बल्कि मन की एकाग्रता है।

उन्होंने कहा, “मैं यह भी जानता हूं कि भारतीय संविधान के अंतर्गत शिक्षा एक समवर्ती विषय है। यह केंद्र और राज्यों की संयुक्त जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि हमारी भावी पीढ़ी को सर्वोत्तम शिक्षा मिले, कोई भी बच्चा अच्छी शिक्षा से वंचित न रहे और आने वाली पीढ़ियां न केवल भविष्य के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी (प्रतिस्पर्धा के लिए) तैयार हों।”

उन्होंने कहा कि हमारी युवा पीढ़ी को भविष्य और वैश्विक स्तर पर तैयार करना एक संयुक्त प्रयास, एक राष्ट्रीय प्रयास होना चाहिए।

सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस एक ऐसा अवसर है जो न केवल वैज्ञानिकों की उपलब्धियों का स्मरण कराता है बल्कि युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय विकास के लिए विज्ञान और नवाचार अपनाने के लिए प्रोत्साहित भी करता है।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की गति धीमी थी और उन परिस्थितियों में यह समझा गया कि आर्थिक विकास में सुधार के लिए विज्ञान ही आगे का रास्ता है, जो एक स्व-उत्पादक अर्थव्यवस्था और उद्योग के साथ-साथ कृषि के लिए भी आवश्यक है।

सिंह ने यह भी कहा कि विज्ञान के अनुप्रयोग से भारत में कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भरता आई है।

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