सरकार मीडिया उद्योग को तेजी से हो रहे बदलावों के अनुकूल ढलने में मदद करने को तैयार : वैष्णव

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नयी दिल्ली, 27 फरवरी (भाषा) केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार मीडिया उद्योग को तेजी से हो रहे परिवर्तनों के अनुकूल ढलने में मदद करने के वास्ते तैयार है, क्योंकि यह पारंपरिक से डिजिटल मीडिया में बदलाव के दौर से गुजर रहा है।

‘स्टोरीबोर्ड18-डीएनपीए कॉन्क्लेव’ को दिए गए एक वीडियो संदेश में, वैष्णव ने डिजिटल मंचों द्वारा उनकी सामग्री के इस्तेमाल के लिए पारंपरिक मीडिया घरानों को उचित मुआवजा और कॉपीराइट जैसे मुद्दों को उठाया।

वैष्णव ने पारंपरिक मीडिया की भूमिका पर विचार-विमर्श करने के साथ साथ इस बात पर जोर दिया कि नये युग में तेजी से हो रहे बदलावों के अनुकूल ढलने में इसकी कैसे मदद की जा सकती है।

उन्होंने कहा, ‘‘युवा पीढ़ी पूरी तरह से पारंपरिक मीडिया से डिजिटल मीडिया की ओर स्थानांतरित हो गई है।’’

मंत्री ने कहा कि बदलाव के इस चरण में रोजगार, रचनात्मकता, कॉपीराइट मुद्दों और मीडिया उद्योग में सामग्री निर्माताओं (कंटेंट क्रिएटर) और अन्य हितधारकों के लिए उचित मुआवजा सुनिश्चित करने से संबंधित चुनौतियां भी सामने आईं।

वैष्णव ने कहा, ‘‘सरकार के रूप में, हम इस बदलाव के दौरान आवश्यक कोई भी सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।’’

उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि इस बात पर विचार-विमर्श किया जायेगा कि यह बदलाव कैसे सुचारू रूप से और बिना किसी व्यवधान के किया जा सकता है।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव संजय जाजू ने गलत सूचना और ‘क्लिकबेट’ पत्रकारिता के अनियंत्रित प्रसार को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे लोकतांत्रिक मूल्यों को नुकसान पहुंचता है।

‘क्लिकबेट’ पत्रकारिता, ऑनलाइन सामग्री में सनसनीखेज शीर्षक या भ्रामक तथ्यों और छवियों का इस्तेमाल करके पाठकों को क्लिक करने के लिए प्रोत्साहित करने का एक तरीका है।

‘क्लिकबेट’ पत्रकारिता उसे कहा जाता है जिसमें किसी लेख, छवि या वीडियो के लिंक पर क्लिक करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सनसनीखेज शीर्षक का इस्तेमाल किया जाता है।

जाजू ने कहा, ‘‘आईटी अधिनियम के प्रावधान डिजिटल मध्यस्थों की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं। लेकिन कई बार, ये जिम्मेदारी से बचने का बहाना भी बन जाते हैं।’’

उन्होंने कहा कि सरकार वैश्विक विनियामक घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखती है और ऐसे कई देश हैं जिन्होंने समाचार प्रकाशकों के साथ राजस्व साझा करने के लिए डिजिटल मंचों की आवश्यकता वाले कानून लागू किये हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इसके साथ ही, एक पारदर्शी राजस्व-साझाकरण तंत्र की भी आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारी पत्रकारिता आर्थिक रूप से मजबूत बनी रहे।’’

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