आतिशी ने आप की आबकारी नीति का बचाव करने के लिए कैग रिपोर्ट का हवाला दिया

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नयी दिल्ली, 25 फरवरी (भाषा) आम आदमी पार्टी (आप) की वरिष्ठ नेता और दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने मंगलवार को पूर्ववर्ती आप सरकार की अब समाप्त कर दी गई आबकारी नीति का बचाव करते हुए कैग रिपोर्ट का हवाला दिया और दावा किया कि पुरानी नीति भ्रष्टाचार और तस्करी से ग्रस्त थी।

राष्ट्रीय राजधानी में शराब के विनियमन और आपूर्ति पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की निष्पादन लेखापरीक्षा रिपोर्ट में आबकारी विभाग के कामकाज और उसकी नीति में खामियां सामने आई हैं, जिसके कारण 2,026.91 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व घाटा हुआ है।

कैग की रिपोर्ट – ‘दिल्ली में शराब के विनियमन और आपूर्ति पर निष्पादन लेखापरीक्षा रिपोर्ट’ – मंगलवार को नवनिर्वाचित दिल्ली विधानसभा के पहले सत्र के दौरान पेश की गई।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, आतिशी ने भाजपा द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल (एलजी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर नयी शराब नीति के कार्यान्वयन में बाधा डालने का आरोप लगाया, जिससे दिल्ली को सालाना 8,900 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ।

आतिशी ने कहा कि कैग रिपोर्ट के आठ अध्यायों में से सात में पुरानी आबकारी नीति की कमियों को उजागर किया गया है, जबकि केवल एक अध्याय में नयी नीति पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “आप सरकार ने हमेशा पुरानी आबकारी नीति में भ्रष्टाचार के बारे में चिंता जताई, जिससे अवैध शराब की तस्करी को बढ़ावा मिला। रिपोर्ट से पता चलता है कि शराब की दुकान के मालिक भ्रष्ट आचरण में लिप्त थे, कीमतें बढ़ा रहे थे और दिल्ली के खजाने को भारी नुकसान पहुंचा रहे थे।”

उन्होंने यह भी दावा किया कि कैग रिपोर्ट से पता चलता है कि आप सरकार द्वारा प्रस्तुत नयी आबकारी नीति अधिक पारदर्शी थी और इससे दिल्ली के राजस्व संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती थी, ठीक उसी तरह जैसे पंजाब में इसी नीति के कार्यान्वयन के बाद आबकारी राजस्व में कथित तौर पर 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

हालांकि, आतिशी ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय के हस्तक्षेप के कारण नीति ठीक से लागू नहीं हुई।

उन्होंने दावा किया, “भाजपा के उपराज्यपाल ने इस नीति के क्रियान्वयन को रोक दिया, जिससे इसमें बाधाएं पैदा हो गईं। नीति के लागू होने के एक साल के भीतर ही सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज कर ली और उसके तुरंत बाद ईडी ने प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज कर ली। इससे ऐसी स्थिति पैदा हो गई कि कोई भी अधिकारी कानूनी कार्रवाई के डर से नीति पर हस्ताक्षर करने या उसे लागू करने को तैयार नहीं था। नतीजतन, दिल्ली को अपेक्षित राजस्व में 2,000 करोड़ रुपये और सालाना 8,900 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।”

आतिशी ने नीति में बाधा डालने में उपराज्यपाल, सीबीआई और ईडी की भूमिका की जांच की मांग की।

उन्होंने उद्योगपति गौतम अदाणी पर भी आरोप लगाए और उन पर कई राज्यों में बिजली दरों में वृद्धि के मामले में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।

उन्होंने दावा किया कि इससे 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

उन्होंने कहा कि 2024 में, राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के तहत अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) ने जांच शुरू की थी, जिसमें अदाणी पर सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 25 करोड़ अमेरिकी डॉलर (लगभग 2,100 करोड़ रुपये) से अधिक की रिश्वत देने की योजना बनाने का आरोप लगाया गया था।

इन लेन-देन को कथित तौर पर अमेरिकी निवेशकों से छुपाया गया था।

आतिशी ने अधिकारियों से बिजली की कीमतों में कथित भ्रष्टाचार की जांच करने और जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने का आग्रह किया।

दिल्ली की पिछली सरकार और भाजपा के बीच आबकारी नीति को लेकर टकराव था। आप नेताओं का कहना है कि इसका उद्देश्य राजस्व बढ़ाना था, जबकि भाजपा ने अरविंद केजरीवाल सरकार पर अनियमितताओं का आरोप लगाया था

राजधानी में यह विवाद एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है।

 

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