क्या यूसीसी से पहले देश में ’’हिन्दु कोड ऑफ कंडक्ट’’ आने वाला है!

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आज पूरी दुनिया में सनातन का डंका बज रहा है। शायद ही ऐसा कोई देश हो जहां पर दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन यानी महाकुंभ की चर्चा न हो। इस बीच उसी त्रिवेणी की पावन धरती प्रयागराज से एचसीसी  की चर्चा जोर पकड़ रही है। दरअसल ये दावा किया जा रहा है कि प्रयागराज महाकुंभ में हिन्दु कोड ऑफ कंडक्ट की औपचारिक लॉन्चिंग होने वाली है। इस दौरान सनातन धर्म के अनुयायियों से परिचय कराया जाएगा। इस सनातनी कोड को काशी विद्वत परिषद ने तैयार किया है जिसमें बताया गया है कि सनातन को मानने वाले लोग अपने जीवन और परंपराओं का निर्वहन कैसे करें। महाकुंभ में हिन्दु कोड ऑफ कंडक्ट पर चर्चा की जाएगी। चर्चा का आयोजन विश्व हिंदू परिषद करने वाला है। इस चर्चा में सभी वरिष्ठ साधु-संत हिस्सा लेंगे।

   वर्तमान व्यवस्थाओं पर ये कोड क्या कहता है? क्यों दावा किया जा रहा है कि इस कोड से सनातनी परंपराओं का सही निर्वहन होगा। जानकारी के अनुसार महाकुंभ में जिस हिंदू कोड ऑफ कंडक्ट पर चर्चा की जानी है, उसके मुख्य बिंदु है, हिंदू धर्म में घर वापसी किस प्रकार हो। शादी किस समय की जाए? सनातनी वर्ण व्यवस्था क्या होती है? सनातनी जीवन पद्धति क्या है? घर वापसी कैसे की जाए ?

   काशी विद्वत परिषद के अनुसार, घर वापसी के नियम आसान बनाए जाएं। तर्क है कि शास्त्रों के अनुसार जो भी मानव पैदा हुआ है, वो हिंदू है। इसी वजह से उस मानव को हिंदू धर्म को दोबारा स्वीकार करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। पिछले कुछ वक्त में घर वापसी से जुड़े कई समाचार पढने को मिले। इन समाचारों में घर वापसी करने वाले शख्स को कई अनुष्ठानों से गुजरना पड़ा है। इसी प्रक्रिया को हिंदू कोड ऑफ कंडक्ट आसान करना चाहता है। घर वापसी के साथ ही साथ, हिंदू कोड ऑफ कंडक्ट सनातन अनुयायियों के धार्मिक और सामाजिक जीवन पर नया प्रकाश डालेगा। इस कोड ऑफ कंडक्ट में सबसे ज्यादा जोर सनातनी परंपराओं पर दिया गया है।

   प्राप्त जानकारी के अनुसार, विवाह को लेकर हिंदू कोड ऑफ कंडक्ट में कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं। हिंदू कोड ऑफ कंडक्ट में कहा गया है कि रात को शादी नहीं की जाए। शादी का समय दिन का रहे ताकि सूर्य का शुभ प्रभाव इस मंगलकारी आयोजन पर बना रहे। साथ ही ये भी कहा गया है कि विवाह में दहेज जैसी कुप्रथा पूरी तरह बंद होनी चाहिए। संतों का भी मानना है कि सूर्य के प्रभाव में किए जाने वाले आयोजन मंगलकारी होते हैं।

   महाकुंभ में लाए जा रहे हिंदू कोड ऑफ कंडक्ट में महिलाओं को लेकर भी कुछ निर्देश दिए गए हैं। हिंदू कोड ऑफ कंडक्ट कहता है कि महिला भ्रूण  हत्या पर पूरी तरह प्रतिबंध लगना चाहिए क्योंकि ये एक पाप है। साथ ही महिलाओं को यज्ञ करने की भी अनुमति देता है क्योंकि महिला और पुरुष को सनातनी व्यवस्था एक समान अधिकार देती है। काशी विद्वत परिषद ने जो हिंदू कोड ऑफ कंडक्ट तैयार किया है, उसमें धार्मिक के साथ ही साथ सामाजिक पहलुओं पर भी जानकारी दी गई है। सनातन अनुयायियों के लिए इस कोड में वर्ण व्यवस्था को लेकर निर्देश दिए गए हैं। हिंदू कोड ऑफ कंडक्ट में कहा गया है कि समाज में किसी को अछूत नहीं माना जा सकता। वैदिक परंपराओं में अछूत जैसी कोई प्रथा कभी नहीं रही। ये प्रथाएं विदेशी आक्रांताओं की गुलामी की वजह से सनातनी सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा बन गई थीं।

     प्रयागराज में 27 जनवरी को देशभर के संतों ने सनातन बोर्ड की स्थापना की मांग को लेकर धर्म संसद की थीं। उसमें जगद्गुरु विद्या भास्कर जी महाराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम को समाप्त करने का आग्रह करते हुए कहा कि यह कानून हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करके बनाई गई मस्जिदों की रक्षा के लिए बिना परामर्श के लागू किया गया था। उन्होंने कहा, ’’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद में अपने बहुमत का इस्तेमाल कर पूजा स्थल अधिनियम को खत्म कर देना चाहिए। उस समय सरकार ने बिना किसी चर्चा के इस कानून को पारित कर दिया और देश पर थोप दिया।’’ उन्होंने आगे कहा कि सभी जीवों का अस्तित्व सनातन धर्म के संरक्षण पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा, ’’सनातनियों की रक्षा के लिए सनातन बोर्ड की स्थापना समय की मांग है।’’

    सनातन धर्म संसद (सनातन धार्मिक संसद) की अध्यक्षता करने वाले निम्बार्क पीठाधीश्वर श्याम शरण देवाचार्य ने कहा कि बोर्ड सनातन धर्म की रक्षा करेगा और भावी पीढ़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा, ’’तिरुपति बालाजी जैसे मंदिरों में बाहरी लोगों की घुसपैठ और हमारी आस्था को भ्रष्ट करने से रोकने के लिए यह बोर्ड बहुत महत्वपूर्ण है। एक समय ईरान, अफगानिस्तान, नेपाल और भूटान जैसे देश सांस्कृतिक रूप से भारत के साथ जुड़े हुए थे। अगर हम कार्रवाई नहीं करेंगे तो भारत भी हिंदुओं के हाथों से निकल सकता है।’’ इस्कॉन नेता गौरांग दास जी महाराज ने ’’सनातनियों’’ के लिए एक एकीकृत निकाय की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शांति, सुरक्षा और न्याय के लिए सभी सनातनियों को सनातन बोर्ड के बैनर तले एकजुट होना होगा।

उपदेशक देवकीनंदन ठाकुर ने ’’सनातन संस्कृति’’ के कथित पतन को मैकाले की शिक्षा नीतियों से जोड़ा जिसने भारतीय परंपराओं की जगह अंग्रेजी भाषा को जगह दी। उन्होंने वक्फ बोर्ड के माध्यम से भारत पर कब्जा करने की ’’साजिश’’ की भी चेतावनी थी। उन्होंने कहा, ’’यदि सनातन बोर्ड का गठन किया जाता है तो प्रत्येक मंदिर की अपनी गौशाला, गुरुकुल और अस्पताल होगा तथा सभी दान सनातन धर्म के अंतर्गत ही रहेंगे।’’

     सनातन धर्म संसद में शामिल हरिद्वार से चिन्मयानंद बापू, महामंडलेश्वर आशुतोष नंद महाराज, राघवाचार्य जी महाराज, जैन संत विवेक मुनि जी महाराज, हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास और वल्लभाचार्य जी महाराज समेत अनेक संतों और धार्मिक नेताओं ने सनातन बोर्ड की स्थापना के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया था।

    कुछ दिन पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इंदौर में कहा था। ’’भारत स्वतंत्र हुआ, 15 अगस्त को राजनीतिक स्वतंत्रता आपको मिल गई. हमारा भाग्य निर्धारण करना हमारे हाथ में है। हमने एक संविधान भी बनाया, एक विशिष्ट दृष्टि जो भारत के अपने स्व से निकलती है, उसमें से वह संविधान दिग्दर्शित हुआ लेकिन उसके जो भाव हैं, उसके अनुसार चला नहीं और इसलिए,- हो गए हैं स्वप्न सब साकार कैसे मान लें, टल गया सर से व्यथा का भार, कैसे मान लें।’’

  भागवत ने कहा, ऐसी परिस्थिति  है समाज की क्योंकि जो आवश्यक स्वतंत्रता में स्व का अधिष्ठान होता है, वह लिखित रूप में संविधान से पाया है लेकिन हमने अपने मन को उसकी पक्की नींव पर आरूढ़ नहीं किया है। हमारा स्व क्या है? राम, कृष्ण और शिव, यह क्या केवल देवी देवता हैं या केवल विशिष्ट उनकी पूजा करने वालों के हैं? ऐसा नहीं है। राम उत्तर से दक्षिण भारत को जोड़ते हैं। भागवत ने हिंदुओं को सावचेत किया कि राम मंदिर के बाद आई सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की लहर की वजह से ही भाजपा को चुनावी सफलता मिली है। इसलिए एक तरह से हिंदुत्व समर्थकों को ये भी बताना है कि अगर उन्हें इस देश में अपनी सरकार चाहिए तो इस हिंदुत्व की लहर और सनातन के भाव को धीमा न पड़ने दें।

     इस संबंध में जानकार लोगों का कहना है कि जिस प्रकार धर्म संसद के माध्यम से सनातन बोर्ड की स्थापना की मांग की गई है, उसी प्रकार हिन्दु कोड ऑफ कंडक्ट की भी चर्चा होगी। विश्व हिंदू परिषद ने जो योजना बनाई है उसके अनुसार, महाकुंभ में साधु-संतों से परामर्श के बाद इस कोड की 1 लाख प्रतियां छापी जाएंगी। जो महाकुंभ में आने वाले सनातन अनुयायियों को दी जाएंगी ताकि हर सनातनी तक हिंदू कोड ऑफ कंडक्ट का प्रचार प्रसार हो सके। इससे हिंदु संगठित होने के साथ साथ ’’हमारी संस्कृति हमारा स्वाभिमान ’’ का भाव भी प्रबल होगा जैसा कि राम मन्दिर निर्माण के बाद हिंदुत्व को लेकर मुखरता आई है। जब बहुसंख्यक समाज अपने ’’स्व’’ को लेकर मुखर होता है, वहां किसी भी प्रकार के संविधान परिवर्तन की आवश्यकता नहीं रहती। वहां राजनीतिक जमात स्वमेव ही बहुसंख्यक की भाषा बोलने के लिए बाध्य हो जाती है। जानकारों का कहना है कि महाकुंभ में उमड़ रहे जनसैलाब में हिंदुत्व के भाव की प्रबलता को देखते हुए संत समाज, विश्व हिंदु परिषद तथा आरएसएस सनातन बोर्ड व हिन्दु कोड ऑफ कंडक्ट की बात को आगे बढा रहे है।
 

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