
आज के इस तेज़ और भागमभाग जीवन में तनाव है, तनाव है तो बीमारी हैं, कोई तन का रोगी, कोई मन का रोगी, कोई धन का रोगी है। कभी आप भी तनाव में आए होंगे क्योंकि एक आम समस्या बन चुका है। गुप्ति सागर धाम गन्नौर में जैन मुनि महायोगी राष्ट्र संत उपाध्याय डॉ. गुप्ति सागर महाराज विराजमान थे मै उनके पास जाता हूं जिज्ञासा होती बात करते महाराज श्री सवालों का जवाब देते। आज हमने पूछ लिया कि तनाव से मुक्ति कैसे मिले? महाराज श्री कुछ मार्गदर्शन कीजिए। जो लंबी वार्ता हुई उसका सार आप तक पहुंचा रहा हूं। बस सात आठ मिनट का समय निकाल लीजिए इसको पढेंगे तो आनंद ही आनंद आएगा चिंता, गम, फिक्र, तनाव सब दूर हो जाएंगे। तो आओ चले खुशहाली की ओर..
हां तो गुप्ति सागर महाराज बताते हैं कि हम सभी किसी न किसी रूप में तनाव का सामना करते हैं, और यह हमारे मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालता है। परंतु यह भी सच है कि तनाव मुक्त जीवन न केवल हमारी भलाई के लिए आवश्यक है, बल्कि यह हमारे व्यक्तित्व को भी निखारता है। तनाव रहित जीवन जीने के लिए हमें अपनी सोच, दृष्टिकोण और जीवनशैली में बदलाव लाने की आवश्यकता है।
स्वच्छ चिंतन और व्यक्तित्व का विकास : जब व्यक्ति का मन हल्का और शुद्ध होता है, तब उसका व्यक्तित्व भी सकारात्मक और प्रेरणादायक बनता है। चिंतन की शुद्धता ही जीवन को दिशा देती है और व्यक्ति को आत्मसंतुष्टि प्राप्त होती है। गांवों में रहने वाले लोग आमतौर पर स्वच्छ वायु, स्वच्छ जलवायु और प्राकृतिक भोजन ग्रहण करते हैं, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। शहरों में बढ़ते हुए प्रदूषण, तनाव और अनियमित जीवनशैली ने लोगों को तनावग्रस्त बना दिया है। इसलिए हमें अपनी सोच को सकारात्मक और स्वच्छ बनाने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। जब चिंतन शुद्ध होगा, तब व्यक्तित्व भी विराट होगा।
प्रकृति से जुड़ाव:तनाव मुक्ति का उपाय: प्रकृति के साथ तालमेल बैठाना व्यक्ति को मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति दिलाता है। आजकल बच्चों और युवाओं में भी तनाव की समस्या बढ़ रही है, जो उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित करती है। हम सभी को यह समझने की आवश्यकता है कि तनाव केवल बाहरी परिस्थितियों का परिणाम नहीं होता, बल्कि यह हमारे मानसिक दृष्टिकोण और जीवनशैली पर भी निर्भर करता है। महापुरुषों ने अपनी जिंदगी में कभी भी प्रकृति से विचलित नहीं होने दिया। उन्होंने हमेशा प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाकर अपनी जीवन यात्रा पूरी की। इससे उनका व्यक्तित्व विकसित हुआ और वे समाज के मार्गदर्शक बने।
सकारात्मक दृष्टिकोण से व्यक्तित्व का निर्माण: आज के समय में तनाव केवल शारीरिक ही नहीं, मानसिक रूप से भी बढ़ रहा है। इससे मुक्ति पाने के लिए सबसे पहला कदम यह है कि हम अपनी इच्छाओं और वस्तुओं के प्रति आकर्षण को नियंत्रित करें। भारतीय संस्कृति में हमेशा से जीवन को संतुलित और शांतिपूर्ण बनाने की दिशा में मार्गदर्शन दिया गया है। जब हम जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हैं, तो हमारी मानसिक स्थिति भी मजबूत होती है और व्यक्तित्व का विकास सहज रूप से होता है। शिकवा-शिकायत और दूसरों के मामलों में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए।
निष्कर्ष-मानसिक शांति और संतुलन बनाएं: तनाव मुक्त जीवन एक तरह से हमारे व्यक्तित्व का आईना है। यदि हम मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखते हैं, तो हमारा व्यक्तित्व भी चमकता है। हमें अपनी सोच, जीवनशैली और दृष्टिकोण को इस तरह से बदलना चाहिए कि हम न केवल तनाव से मुक्त रहें, बल्कि अपने व्यक्तित्व के विकास में भी सफलता प्राप्त करें। प्रकृति से जुड़कर, स्वच्छ चिंतन अपनाकर और सकारात्मक दृष्टिकोण से जीवन जीकर हम एक आदर्श और संतुष्ट जीवन जी सकते हैं।