ऐसे हुआ साकार हवा में उड़ने का स्वप्न

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आदिकाल से ही मनुष्य आकाश में उड़ने की कल्पना करता रहा है। कल्पना का आधार आकाश में उड़ने वाले पक्षी रहे हैं। मनुष्य ने आज पक्षी के समान उड़ने में सफलता प्राप्त कर ली है लेकिन आपने कभी सोचा है कि इस सफलता के पीछे कितनी लम्बी कहानी है?
पंद्रहवीं शताब्दी में अनेकों लोगों ने आसमान में उड़ने की चाह में ऊंचे स्थानों जैसे पहाड़ों, भवनों आदि से कूदकर अपनी जान दे दी। वे इस प्रश्न का उत्तर नहीं खोज पाए थे कि पक्षी हवा में कैसे उड़ पाता है? इस प्रश्न का उत्तर खोजा एक अंग्रेज ने। उसका नाम था-सर जॉर्ज केली।
केली ने सिद्ध किया कि पक्षी हवा में उड़ने के लिए क्रमशः सर्वप्रथम नीचे ही उड़ानें भरते हैं और धीरे-धीरे ऊंचाई पकड़ते हैं अर्थात् हवा को काटकर ही पक्षी आकाश में उड़ पाते हैं। इस सिद्धांत पर आधारित कई नमूने केली ने बनाए और उन्हें आकाश में उड़ाने में सफलता प्राप्त की किन्तु वह स्वयं कभी हवा में उड़ नहीं सका। केली ने अपना सारा जीवन हवा में उड़ सकने वाली मोटर की खोज करने में बिता दिया।
केली के बाद भी लोग अपनी-अपनी समझ और सोच के आधार पर प्रयोग करते रहे। हवा में उड़ने में सर्वप्रथम सफलता मिली अमरीका के राइट बंधुओं को। सन् 1903 में आरविल राइट और बिल्वर राइट विश्व का प्रथम हवाई जहाज बनाकर उसमें उड़ सकने में सफल हुए। बारह सेकंड की प्रथम उड़ान भरने वाला उनका हवाई जहाज हवा में उड़ने के स्वप्न को साकार कर गया।
इस प्रयोग से वायु पर मनुष्य को अकल्पनीय विजय प्राप्त हो चुकी थी। इसके बाद तो निरन्तर परीक्षणों, प्रयोगों का दौर चलता रहा। सन् 1909 में फ्रांस के पुश्त ब्लेरियोट ने उस समय का अत्यन्त विकसित विमान बनाया और पहली बार इंग्लिश चैनल को उड़ते हुए पार किया।
हवाई जहाज में पर्याप्त सुधार होते रहे और प्रथम विश्वयुद्ध में पहली बार बमवर्षकों के रूप में प्रयोग हुआ। इस युद्ध की समाप्ति के उपरान्त सन् 1919 के मई मास में प्रथम विमान यात्रा सेवा का आरंभ  हुआ। यह यात्रा सेवा न्यूयार्क से अतलांतक नगर न्यू जर्सी तक शुरू की गई थी।
द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी और इंग्लैंड द्वारा निर्मित किये गए जेट विमान बमवर्षक के रूप में प्रयुक्त किये गए। जेट इंजन युक्त यह विमान क्रमशः कम वजन के और अधिक शक्तिशाली विमान थे। इसके बाद भी विमान-विकास यात्रा अनवरत जारी रही और विमान आकार में विशाल, ऊंचाई में और अधिक ऊंचे, गति में तेज और तेज होते चले गए।
आज मिराज 2000ए, जगुयार, बोइंग इत्यादि असंख्या विमान मनुष्य सेवा में लगे हुए हैं। इस सदी तक उड़ने वाली कारों का निर्माण कर लिया जाएगा। तब सड़क पर चलती फिरती कारों के समान, आकाश में उड़ती हुई कारें दिखा करेंगी।

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