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आधुनिकता के साजो-सामान ने जीवन में जहां ऊब और नीरसता से बचने के लिए अनेक साधन दिए हैं, वहीं शरीर और मन की सेहत के लिए नई दिक्कतें भी ला खड़ी की हैं। टेलीविजन, वीडियो और कम्प्यूटर-खेलों के इस युग ने आंखों पर जुल्म ढाना शुरू कर दिया है।
कम्प्यूटर चाहे प्रगति की निशानी क्यों न हो, सुबह से शाम तक उस पर काम करते रहना आंखों के साथ ज्यादती ही तो है, लिहाजा आंखें चाहे कम्प्यूटर स्क्रीन पर लगी हों या टेलीविजन स्क्रीन पर, उन्हें बीच-बीच में आराम अवश्य देना चाहिए।
यह अहतियात भी बहुत जरूरी है कि टेलीविजन कम से कम 10-12 फुट की दूरी पर हो। हालांकि शहरों के छोटे-छोटे कमरों में यह मुमकिन नहीं, तब भी इसकी पूरी कोशिश होनी ही चाहिए कि टी. वी. को अधिक से अधिक दूरी से ही देखा जाए। टी. वी. देखते समय कमरे में समुचित रोशनी भी आवश्यक है।
आंखें शरीर का बेहद नाजुक अंग होती हैं, लिहाजा हमें हमेशा सावधान रहना चाहिए। ‘आंखें हैं तो जहान है‘ वाली उक्ति ठीक ही कही गई है क्योंकि आंखों के बिना पूरा संसार अंधेरा ही होता है। इतना ही नहीं, आंखें व्यक्तित्व का आईना भी होती हैं। आंखों का आकर्षण किसी को भी मोह लेने के लिए काफी होता है, तभी तो कवियों एवं शायरों की कविताओं व शायरियों में आंखों को झील-सी गहराई वाला कहा है।
इलाज से अच्छा बचाव होता है, लेकिन बचाव भी तभी संभव होता है जब उसके उपाय ठीक-ठीक मालूम हों। आधुनिकता के साजो-सामान के साथ ही श्रृंगार के अनेक प्रसाधनों के कारण भी आंखें खराब हो रही हैं। धूल, धुआं व धूप भी आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। इन सबसे आंखों को बचाने के लिए निम्नांकित उपायों को करना चाहिए।
आंखों की हिफाजत की खातिर पहली जरूरत है आंखों की सफाई पर पूरा-पूरा ध्यान देना। इससे छूत वाले रोगों से बचा जा सकता है, साथ ही उनमें ताजगी भी बनी रहती है और चेहरा आकर्षक व खिला हुआ दिखता है।
सुबह उठते ही आंखों को साफ पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए ताकि रात-भर का कीचड़ साफ हो जाए। स्नान करते समय शरीर के दूसरे अंगों के साथ-साथ आंखों के इर्द गिर्द की त्वचा को भी साबुन और पानी से अवश्य धोना चाहिए। इसी तरह रात को सोते समय भी आंखों को ठण्डे पानी से साफ कर लेना चाहिए ताकि रात को आंखों को शीतलता मिलती रहे और अच्छी नींद आये।
प्राचीन काल से ही आंखों को सुंदर और मनमोहक बनाने के लिए काजल और सुरमे का प्रचलन रहा है। कई माताओं का मानना है कि इनको लगाने से आंखों की ज्योति तेज होती है। इसमें कोई शक नहीं कि काजल, सुरमा लगाने से आंखें काली-कजरारी और आकर्षक हो जाती हैं लेकिन इससे आंखों को बहुत नुकसान पहुंच सकता है खास तौर से तब अगर पूरा परिवार एक ही सुरमे की सलाई को इस्तेमाल में लाता हो या काजल बहुत बारीक न हो या काजल-सुरमा घटिया क्वालिटी का हो।
अक्सर पटरियों और छोटी दुकानों से खरीदा गया सस्ता काजल लेड सल्फाइड से बना होता है। इसका बुरा असर न सिर्फ आंखों बल्कि पूरे शरीर पर पड़ता है। उसमें मिला सीसा शरीर के लिए जहर होता है।
कई लोग आंखों को धोने के बाद आंखों को साड़ी के पल्लू या कुर्ते के आस्तीन से ही चेहरा पोंछ लेते हैं। इससे आंखों को छूत लग सकती है। इस काम के लिए अपने ही साफ रूमाल, तौलिये या मुलायम कपड़े का इस्तेमाल करना चाहिए। दूसरे के तौलिये या रूमाल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और कभी अंगुली, पैंसिल, सींक डालने की भी भूल नहीं करनी चाहिए।
घटिया किस्म की श्रृंगार सामग्री आंखों को नुकसान पहुंचाती है इसलिए जो महिलाएं नेत्रा श्रृंगार के प्रसाधन इस्तेमाल करने की इच्छुक हों, उन्हें इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए। यूं भी जब जरूरी न हो तो आंखों के मेकअप को धो लेना चाहिए।
शहरी जीवन में प्रदूषण इस कदर बढ़ गया है कि सड़क पर आते ही आंखें जलने लगती हैं, लाल हो जाती हैं और उनसे पानी निकलने लगता है। इन परिस्थितियों में आंखों को धुएं और गर्द से बचाना चाहिए।
पढ़ाई करते समय भी आंखों को पर्याप्त रोशनी चाहिए। सूर्य की रोशनी सबसे उपयुक्त होती है। बल्ब की पीली रोशनी में आंखों को देखने में अधिक परिश्रम करना पड़ता है जिससे आंखों के खराब होने का भय बना रहता है। ट्यूबलाइट की रोशनी पढ़ने के लिए उपयुक्त होती है। जो भी पढ़ें, उसे आंखों से अधिक दूरी पर रखें। तकरीबन डेढ़ फुट की दूरी से ही पढ़ना चाहिए। नजदीक से पढ़ने पर आंखों की मांसपेशियों पर अनावश्यक जोर पड़ता है और आंखें तनावयुक्त हो जाती हैं।
आंखों के कुछ खास लक्षण कभी नजर-अंदाज नहीं करने चाहिएं। आंखों में असामान्य तनाव, लाली, पानी जाने, बार-बार गुहेरी होने, नजर में धुंधलापन या आंखों के सामने बिजली-सी चमक या धब्बे आने की शिकायत हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
आंखों को असामान्य तनावों से बचाने के लिए हर आधे घंटे बाद दो-तीन मिनट के लिए आंखों को आराम देना चाहिए। खिड़की से बाहर देखकर या पामिंग करके आंखों को विश्राम दिया जा सकता है। पामिंग करने के लिए आराम की मुद्रा में बैठकर शरीर को ढीला छोड़ दें और आंखों को बंद कर लें। अब दोनों हाथों की हथेलियों को अपनी दोनों आंखों पर इस प्रकार रखें कि हथेलियों का मध्य भाग आंखों को पूरी तरह ढक ले। यह ध्यान रखें कि नेत्रागोलक पर जरा भी जोर न पड़े। इस क्रिया को 2 से 5 मिनट तक करने से आंखों की थकान दूर हो जाती है।
विटािमन ‘ए‘ की भरपूर मात्रा को पाने के लिए पालक, पत्तागोभी, चौलाई, मूली के पत्ते, ताजा धनिया, पुदीना, टमाटर, गाजर और सीताफल के साथ ही आम, पपीता, बेर और नारंगी का इस्तेमाल भोजन में करते रहना चाहिए। आंखों को निरोग रखकर ही संसार की सुन्दरता का आनंद उठाया जा सकता है।
कम्प्यूटर चाहे प्रगति की निशानी क्यों न हो, सुबह से शाम तक उस पर काम करते रहना आंखों के साथ ज्यादती ही तो है, लिहाजा आंखें चाहे कम्प्यूटर स्क्रीन पर लगी हों या टेलीविजन स्क्रीन पर, उन्हें बीच-बीच में आराम अवश्य देना चाहिए।
यह अहतियात भी बहुत जरूरी है कि टेलीविजन कम से कम 10-12 फुट की दूरी पर हो। हालांकि शहरों के छोटे-छोटे कमरों में यह मुमकिन नहीं, तब भी इसकी पूरी कोशिश होनी ही चाहिए कि टी. वी. को अधिक से अधिक दूरी से ही देखा जाए। टी. वी. देखते समय कमरे में समुचित रोशनी भी आवश्यक है।
आंखें शरीर का बेहद नाजुक अंग होती हैं, लिहाजा हमें हमेशा सावधान रहना चाहिए। ‘आंखें हैं तो जहान है‘ वाली उक्ति ठीक ही कही गई है क्योंकि आंखों के बिना पूरा संसार अंधेरा ही होता है। इतना ही नहीं, आंखें व्यक्तित्व का आईना भी होती हैं। आंखों का आकर्षण किसी को भी मोह लेने के लिए काफी होता है, तभी तो कवियों एवं शायरों की कविताओं व शायरियों में आंखों को झील-सी गहराई वाला कहा है।
इलाज से अच्छा बचाव होता है, लेकिन बचाव भी तभी संभव होता है जब उसके उपाय ठीक-ठीक मालूम हों। आधुनिकता के साजो-सामान के साथ ही श्रृंगार के अनेक प्रसाधनों के कारण भी आंखें खराब हो रही हैं। धूल, धुआं व धूप भी आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। इन सबसे आंखों को बचाने के लिए निम्नांकित उपायों को करना चाहिए।
आंखों की हिफाजत की खातिर पहली जरूरत है आंखों की सफाई पर पूरा-पूरा ध्यान देना। इससे छूत वाले रोगों से बचा जा सकता है, साथ ही उनमें ताजगी भी बनी रहती है और चेहरा आकर्षक व खिला हुआ दिखता है।
सुबह उठते ही आंखों को साफ पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए ताकि रात-भर का कीचड़ साफ हो जाए। स्नान करते समय शरीर के दूसरे अंगों के साथ-साथ आंखों के इर्द गिर्द की त्वचा को भी साबुन और पानी से अवश्य धोना चाहिए। इसी तरह रात को सोते समय भी आंखों को ठण्डे पानी से साफ कर लेना चाहिए ताकि रात को आंखों को शीतलता मिलती रहे और अच्छी नींद आये।
प्राचीन काल से ही आंखों को सुंदर और मनमोहक बनाने के लिए काजल और सुरमे का प्रचलन रहा है। कई माताओं का मानना है कि इनको लगाने से आंखों की ज्योति तेज होती है। इसमें कोई शक नहीं कि काजल, सुरमा लगाने से आंखें काली-कजरारी और आकर्षक हो जाती हैं लेकिन इससे आंखों को बहुत नुकसान पहुंच सकता है खास तौर से तब अगर पूरा परिवार एक ही सुरमे की सलाई को इस्तेमाल में लाता हो या काजल बहुत बारीक न हो या काजल-सुरमा घटिया क्वालिटी का हो।
अक्सर पटरियों और छोटी दुकानों से खरीदा गया सस्ता काजल लेड सल्फाइड से बना होता है। इसका बुरा असर न सिर्फ आंखों बल्कि पूरे शरीर पर पड़ता है। उसमें मिला सीसा शरीर के लिए जहर होता है।
कई लोग आंखों को धोने के बाद आंखों को साड़ी के पल्लू या कुर्ते के आस्तीन से ही चेहरा पोंछ लेते हैं। इससे आंखों को छूत लग सकती है। इस काम के लिए अपने ही साफ रूमाल, तौलिये या मुलायम कपड़े का इस्तेमाल करना चाहिए। दूसरे के तौलिये या रूमाल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और कभी अंगुली, पैंसिल, सींक डालने की भी भूल नहीं करनी चाहिए।
घटिया किस्म की श्रृंगार सामग्री आंखों को नुकसान पहुंचाती है इसलिए जो महिलाएं नेत्रा श्रृंगार के प्रसाधन इस्तेमाल करने की इच्छुक हों, उन्हें इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए। यूं भी जब जरूरी न हो तो आंखों के मेकअप को धो लेना चाहिए।
शहरी जीवन में प्रदूषण इस कदर बढ़ गया है कि सड़क पर आते ही आंखें जलने लगती हैं, लाल हो जाती हैं और उनसे पानी निकलने लगता है। इन परिस्थितियों में आंखों को धुएं और गर्द से बचाना चाहिए।
पढ़ाई करते समय भी आंखों को पर्याप्त रोशनी चाहिए। सूर्य की रोशनी सबसे उपयुक्त होती है। बल्ब की पीली रोशनी में आंखों को देखने में अधिक परिश्रम करना पड़ता है जिससे आंखों के खराब होने का भय बना रहता है। ट्यूबलाइट की रोशनी पढ़ने के लिए उपयुक्त होती है। जो भी पढ़ें, उसे आंखों से अधिक दूरी पर रखें। तकरीबन डेढ़ फुट की दूरी से ही पढ़ना चाहिए। नजदीक से पढ़ने पर आंखों की मांसपेशियों पर अनावश्यक जोर पड़ता है और आंखें तनावयुक्त हो जाती हैं।
आंखों के कुछ खास लक्षण कभी नजर-अंदाज नहीं करने चाहिएं। आंखों में असामान्य तनाव, लाली, पानी जाने, बार-बार गुहेरी होने, नजर में धुंधलापन या आंखों के सामने बिजली-सी चमक या धब्बे आने की शिकायत हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
आंखों को असामान्य तनावों से बचाने के लिए हर आधे घंटे बाद दो-तीन मिनट के लिए आंखों को आराम देना चाहिए। खिड़की से बाहर देखकर या पामिंग करके आंखों को विश्राम दिया जा सकता है। पामिंग करने के लिए आराम की मुद्रा में बैठकर शरीर को ढीला छोड़ दें और आंखों को बंद कर लें। अब दोनों हाथों की हथेलियों को अपनी दोनों आंखों पर इस प्रकार रखें कि हथेलियों का मध्य भाग आंखों को पूरी तरह ढक ले। यह ध्यान रखें कि नेत्रागोलक पर जरा भी जोर न पड़े। इस क्रिया को 2 से 5 मिनट तक करने से आंखों की थकान दूर हो जाती है।
विटािमन ‘ए‘ की भरपूर मात्रा को पाने के लिए पालक, पत्तागोभी, चौलाई, मूली के पत्ते, ताजा धनिया, पुदीना, टमाटर, गाजर और सीताफल के साथ ही आम, पपीता, बेर और नारंगी का इस्तेमाल भोजन में करते रहना चाहिए। आंखों को निरोग रखकर ही संसार की सुन्दरता का आनंद उठाया जा सकता है।