व्यक्तित्व के विकास में बाधा लाता है घमंड

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भगवान ने हर किसी को कोई न कोई हुनर, गुण और कला का आशीर्वाद दिया हुआ है और यह भी कहा है मानव के कान में कि तुमसा खूबसूरत और गुणी और कोई नहीं बनाया मैंने। जब हम कुछ बड़े हो जाते हैं तो अपनी सूरत आइने में देख कर इतरा ही जाते हैं और कुछ अहम, घमंड, गर्व मान सा अपने आप पर आने लगता है। तब हमारा झूठा अहंकार हमें कभी कभी दुःख भी देता है जब हमारा अहम दूसरों के गर्व से टकराता है।
यदि हम घमंडी प्रवृत्ति के मालिक हैं। तो हमारे बच्चे भी हमारा अनुकरन अनुसरण करके दंभी एवं अभिमानी बन जाते हैं। घमंडी व्यक्ति अपनी ही हांकता चला जाता है। वह दूसरों की बात नहीं सुनता।
गुणी और सभ्य व्यक्ति कभी भी अपने गुणों पर इतराता नहीं। जिस वृक्ष पर फल लगते हैं वह तो झुक जाता है। फल रहित वृक्ष अकड़े रहते हैं और काट कर समाप्त कर दिए जाते हैं। जवानी में तो अभिमान सर चढ़ के बोलता है। जो लोग ज्यादा डींगें हांकते हैं, वे वक्त पड़ने पर पोलम-पोल होते हैं।
घमंडी का सर सदा नीचा होता है। देखा जाए तो अभिमान व्यक्ति की स्वयं की त्राुटियों का मुखौटा होता है। तब कोई व्यक्ति दोहरा जीवन, जीने लगता है तो झूठी शान के लिए झूठ एवं झूठ को प्रतिस्थापित रखने के लिए उसे घमंड एवं अभिमान का मुखौटा ओढ़ना पड़ता है। बात बात पर गुस्सा करना व्यक्तित्व की कमजोरी होती है जिसके लिए बहुधा हमें बाद में पछताना पड़ता है।
मिथ्या अभिमान,ं झूठी शान व शेखी बघारना जितना स्त्रिायों में होता है, उतना पुरूषों में नहीं होता। स्त्रिायां अक्सर अपने वर्ग में बैठकर झूठी शान एवं झूठ बोल कर अपना बड़प्पन दिखाती दिखाई देंगी। हर बात को बढ़ा चढ़ा कर बताना एक स्त्रिायोचित गुण है जिसके कारण कई बार पोल खुलने पर उन्हें बगले झांकने पड़ते हैं।
नम्रता एक सभ्य व्यक्ति की सजगता का गुण है। सादगी और नम्रता कभी भी आपके लिए दुःख का कारण नहीं बनती। नम्र बनने में कोई मूल्य नहीं लगता। थोड़ा अपनी सोच को बदलना पड़ता है।
शालीनता साैंदर्य का पर्यायवाची है। शांत, नम्र, एवं सभ्य व्यवहार से आपके चेहरे की सुंदरता में वृद्धि होती है आपके चेहरे में निखार आता है। जो जितना कुलीन होता है वह अपने व्यवहार में उतना ही शालीन होता है क्योंकि जो डालियां फूलों एवं फलों से भरी और लदी होती हैं। वे अक्सर अपने रस भरे गुणों से झुक जाती हैं।
समुद्र की भांति गंभीर हो जाएं। अपनी मर्यादा में रहें। छोटी नदी की तरह अपनी मूर्खताओं के कारण अपने जीवन में उफान, तूफान मत लाएं। प्रकृति का भी यह नियम है कि तराजू का जो पलड़ा भारी एवं गुणी होता है, वह नीचे को झुक जाता है।
जब तूफान या बाढ़ आती है तो बड़े, तने सूखे वृक्ष टूट जाते हैं परन्तु नम्र, झुकी हुई छोटी-छोटी घास झुक कर अपने जीवन को नष्ट होने से बचा लेती है। अतः अपना अहम घमंड छोड़ें, झूठी शान छोड़ कर पैसे की होड़ में अपना जीवन सुखी निर्विध्न एवं सुंदर बनाने की चेष्टा करें। वास्तव में नम्रता एवं मीठे वचन ही मनुष्य के आभूषण होते हैं।

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