कौटिल्य के अर्थशास्त्र और अजन्ता-एलोरा की कलाकृतियों और चित्रों में मिलने वाले केले के विवरण से पता चलता है कि केले का इतिहास काफी पुराना है।
भारत में हर साल औसतन एक करोड़ चालीस लाख टन केले होते है। पूरे विश्व में नौ करोड़ टन। इसका सिर्फ 12 प्रतिशत ही निर्यात होता है, बाकी उत्पादनकर्ता देश खुद ही खा जाते हैं।
भारत में प्रति व्यक्ति वार्षिक खपत औसत साढ़े ग्यारह किलो है। विशेषज्ञ इसे 15 किलो तक पहुंचाना चाहते हैं।
देश में यूं तो हरेक राज्य में केला उगता है, लेकिन बहुतायत में केला उगाने वाले प्रमुख राज्य असम, आंध्रप्रदेश, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल आदि है। भारत के सारे फल उत्पादों में केले की प्रतिशतता 25 से ज्यादा है और यह फल उद्योग में दूसरे नंबर का सबसे बड़ा उद्योग है।
तमिलनाडु में सबसे ज्यादा क्षेत्रफल में केले की खेती होती है, उसके बाद महाराष्ट्र है। लेकिन उन्नत तकनीक से खेती करके गुजरात सर्वाधिक केले उगाता है।
औषणीय गुण- केले के तने के रेशे के उच्च औषधीय उपयोग है। इससे गुर्दे की पथरी गलकर खत्म हो जाती है। इसका तना पशुओं का मनपसंद खाद्य पदार्थ है। इसके अतिरिक्त केले के पाउडर से छोटे बच्चों के लिए स्वादिष्ट भोज्य पदार्थ भी तैयार किया जाता है। यदि इसे दूध या दही के साथ लिया जाये तो भोजन में अन्य कोई चीज खाने की जरूरत नहीं है। इसका मिल्क शेक बनाया जा सकता है और जिन्हें दूध माफिक न आता हो, वह इसे दही के साथ ले सकते हैं। दही में डालकर भी शेक तैयार किया जा सकता है। इस शेक में भूना-पिसा जीरा, काला नमक और काली मिर्च मिलाने से सोने पर सुहागा समझिए। इसका रायता बनता है और चटनी भी।
अतिसार (दस्त) में केला बहुत फायदेमंद है, लेकिन केला खाएं तो कुछ और न खाएं। हां, पाचन क्रिया में गड़बड़ हो तो कच्चे केले की सब्जी बनाकर चावल के साथ लेनी चाहिए। केला हमेशा पका हुआ ही खाएं। आहिस्ता-आहिस्ता खाएं।
बाद में दो इलायची चबा लें। इलायची खाने से केला जल्दी हजम हो जाता है। यह धारणा गलत है कि केला कब्ज करता है। दो केले एक साथ खाने से कब्ज दूर होती है। इसे संतरा, नींबू आदि के साथ खाने से भी यह सुपाच्य हो जाता है।
केले को प्राचीन काल से ही पवित्र फल माना गया है। शादी-ब्याह और अन्य शुभ अवसरों पर केले के तने और उसके पत्तों से सजावट की जाती है। दक्षिण भारत में लोग इसके पत्तों पर खाना खाया करते हैं। उत्तरी भारत के लोग इसे अनेक रोगों में दवा की तरह उपयोग करते हैं।
इस प्रकार भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत में तो कोई भी पारम्परिक शास्त्र क्रिया विधि इसके बिना करने की सोची भी नहीं जा सकती। भारतीय परम्परा व संस्कृति में केले व इसके पत्तों का बड़ा धार्मिक महत्व है।