सूचना क्रांति व एआई चैटबॉट युग में भी जीवन को रौशन कर रहा है रेडियो

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आज का युग सूचना क्रांति का युग है, एडवांस एआई तकनीक का युग है। विज्ञान ने आज इतनी अधिक तरक्की कर ली है कि सूचना क्रांति और एआई तकनीक के इस आधुनिक युग में आज हमारे पास मनोरंजन के अनेक साधन उपलब्ध हैं।प्राचीन काल में मनोरंजन के साधन आखेट, कथा-कहानी, आपबीती, तैराकी, घुड़सवारी, पर्यटन, चौसर, खेल-तमाशे, कुश्ती, कबड्डी,ताश, शतरंज ,कला, प्रदर्शन, नृत्य, संगीत, बाजे,नाटक, मेले, सामाजिक सभाएं(चौपाल),ढ़ोलक, हारमोनियम पर गाना आदि हुआ करते थे और मनुष्य इन साधनों के द्वारा मनोरंजन किया करता था। पहले के जमाने में आज की तरह न इंटरनेट की उपलब्धता ही थी और न ही स्मार्ट फ़ोन,लैपटॉप, टीवी ही हुआ करता था। कहना ग़लत नहीं होगा कि पहले के जमाने में मनोरंजन के सीमित संसाधन थे। वैसे पुराने जमाने में मनोरंजन का एक बड़ा साधन जो रहा है, वह ‘रेडियो’ है। कहना ग़लत नहीं होगा कि रेडियो जानकारी प्रदान करने, लोगों को शिक्षित करने, संस्कृतियों के बीच अभिव्यक्ति की अनुमति देने और निश्चित रूप से, हमारे सभी पसंदीदा संगीत बजाने का एक शानदार और सशक्त मंच है।

 

चाहे तकनीक कितनी भी उन्नत क्यों न हो जाए, रेडियो एक अपूरणीय माध्यम है, खासकर प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं के दौरान। सच तो यह है कि रेडियो आज प्रसारण का वह माध्यम है जो मनोरंजन, स्थानीय समाचार, खेल अपडेट, चर्चाएँ, बढ़िया संगीत प्रदान करता है, और मार्केटिंग का भी एक प्रभावी तरीका है। आज सोशल नेटवर्किंग साइट्स के इस आधुनिक युग में भी रेडियो की प्रासांगिकता समय के साथ बिल्कुल भी कम नहीं हुई है और आज 13 फरवरी है-‘विश्व रेडियो दिवस।’ पाठकों को बताता चलूं कि पहला रेडियो प्रसारण 1895 में गुग्लिल्मो मार्कोनी द्वारा किया गया था और संगीत और बातचीत का रेडियो प्रसारण, जिसका उद्देश्य व्यापक दर्शकों के लिए था, प्रयोगात्मक रूप से, कभी-कभी 1905-1906 के आसपास अस्तित्व में आया।

 

 यह भी उल्लेखनीय है कि जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने सबसे पहले रेडियो की संभावना का प्रस्ताव रखा था।साल 1920 के दशक की शुरुआत में रेडियो व्यावसायिक रूप से अस्तित्व में आया और लगभग तीन दशक बाद रेडियो स्टेशन अस्तित्व में आए और 1950 के दशक तक रेडियो और प्रसारण प्रणाली दुनिया भर में एक आम वस्तु बन गई। वास्तव में विश्व रेडियो दिवस का उद्देश्य रेडियो के महत्व के बारे में जनता और मीडिया के बीच अधिक जागरूकता बढ़ाना है। इस दिन का उद्देश्य रेडियो स्टेशनों को अपने माध्यम से सूचना तक पहुंच प्रदान करने और प्रसारकों के बीच नेटवर्किंग और अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना भी है। बहरहाल,भले ही आज के युग के बारे में कोई ये समझे कि आज का मल्टीप्लेक्स सिनेमा का युग है या सोशल नेटवर्किंग साइट्स का युग है। लेकिन रेडियो का महत्व आज भी कम नहीं हुआ है। शहरों में सिटी बसें दौड़ रहीं ह़ों या आटो-टैक्सियां आपको इनमें रेडियो बजता हुआ सुन जाएगा। आज स्थान स्थान पर बहुत से कम्युनिटी रेडियो सेंटर्स खुल गये हैं अथवा एफ.एम. की बहार है। सिटी बसेज में तो एफ.एम. का अपना अलग ही आनंद है। आप दिल्ली चले जाइए, जयपुर घूम आइए या किसी अन्य बड़े शहर की सैर कर आइए, आपको रेडियो मिर्ची, समाचार जरूर ट्यून होते मिलेंगे। चाय की थड़ियों में, दुकानों में अखबार पढ़ने के साथ ही आपको रेडियो सुनने का आनंद लेते लोग मिल जाएंगे।

 

आज भागमभाग भरी व दौड़-धूप भरी इस जिंदगी में भी रेडियो की एक अपनी अलग ही महत्ता व खूबी है। गांवों में आज भी बहुत से लोग बड़े चाव से रेडियो सुनते हैं, क्योंकि रेडियो अनपढ़ और पढ़े-लिखे दोनों ही लोगों का परम् मित्र है। रेडियो वह शक्तिशाली माध्यम है जो लोकतान्त्रिक विमर्श के लिए एक शानदार मंच का निर्माण करता है। रेडियो संचार का सबसे अच्छा व बेहतरीन माध्यम है। वास्तव में रेडियो एक ऐसी सेवा है जो दुनियाभर में सूचनाओं का आदान प्रदान करती है। यह बात सत्य है कि आज के समय में अधिकतर लोगों के लिए रेडियो पुराने जमाने की बात हो गई है, परंतु रेडियो बुजुर्गों के लिए आज भी मनोरंजन का एक अत्यंत सशक्त साधन व शानदार माध्यम है। मोबाइल फोन के अधिक प्रयोग से अन्य वर्गों का इससे रुझान पहले से काफी कम हुआ है। लेकिन आज भी रेडियो पर हम सभी समाचार सुनतें हैं, कृषि संबंधी विभिन्न जानकारियां सुनते हैं, सरकार की योजनाओं के बारे में सुनते हैं, रेडियो फोन- इन -प्रोग्राम सुनते हैं, यहाँ तक कि नाटक,कहानी,वार्ता व विज्ञापन तक सुनते हैं। महानगरों में सिटी बसों में रेडियो ही बजता सुनाई देता है और इससे सवारियों का अच्छा खासा मनोरंजन होता है। वास्तव में सूचनाओं को आदान प्रदान करने में रेडियो की जो भूमिका है, वह किसी अन्य साधन की अब तक नहीं है, क्योंकि रेडियो सूचनाओं का प्रसार करने का सबसे शक्तिशाली और सस्ता माध्यम है।

 

वैसे विश्व रेडियो दिवस की शुरुआत वर्ष 2011 में की गई थी।साल 2010 में स्पेन रेडियो अकादमी ने 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाने के लिए पहली बार प्रस्ताव दिया था। साल 2011 में यूनेस्को के सदस्य देशों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाने की घोषणा की। बाद में साल 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भी इसे अपना लिया। फिर उसी साल 13 फरवरी को पहली बार यूनेस्को ने विश्व रेडियो दिवस मनाया। गौरतलब है कि इटली के पीसा विश्वविद्यालय में प्रथम विश्व रेडियो दिवस के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था।पहली बार 13 फरवरी, 2012 को विश्व रेडियो दिवस आयोजन में विश्व की प्रमुख प्रसारक कंपनियों को बुलाया गया था जिसमें 44 भाषाओं में कार्यक्रम प्रसारित करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी एवं पुरानी कंपनी रेडियो रूस भी शामिल हुई थी। भारत में 1936 में ‘इंपीरियल रेडियो ऑफ इंडिया’ की शुरुआत हुई थी जो आजादी के बाद ‘ऑल इंडिया रेडियो’ के नाम से विख्यात हुआ। वर्ष 1957 में ऑल इंडिया रेडियो का नाम बदलकर ‘आकाशवाणी’ कर दिया गया। ‘बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय’ के अपने ध्येय वाक्य के साथ आकाशवाणी 27 भाषाओं में शैक्षिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, सामाजिक, खेलकूद, युवा, बाल एवं महिला तथा कृषि एवं पर्यावरण संबंधी प्रस्तुतियों से संपूर्ण देश को एकता के सूत्र में पिरोते हुए सुवासित परिवेश निर्मित कर रही है। साथ ही शेष विश्व को भारतीय संस्कृति और साहित्य से परिचित भी करा रही है। 2 अक्टूबर, 1957 को स्थापित ‘विविध भारती’ ने 1967 से व्यावसायिक रेडियो प्रसारण शुरू कर नए युग में प्रवेश किया।

 

यह भी बताना बड़ा रूचिकर होगा कि आजादी के समय भारत में केवल 6 रेडियो स्टेशन थे और आज बहुत से रेडियो स्टेशन उपलब्ध हैं। बताता चलूं कि हर साल रेडियो दिवस पर एक खास थीम तैयार की जाती है और इस साल यानी कि वर्ष 2022 की थीम ‘विकास’ थी। विश्व रेडियो दिवस 2023 का विषय ‘रेडियो और शांति’ रखा गया था। वहीं पर वर्ष 2024 में इसकी थीम ‘रेडियो: सूचना देने, मनोरंजन करने और शिक्षित करने वाली एक सदी’ रखी गई थी। पाठकों को बताता चलूं कि इस वर्ष यानी कि 2025 में रेडियो दिवस की थीम ‘रेडियो और जलवायु परिवर्तन’ रखी गई है।हमें यह भी जानना चाहिए कि डॉयचै वैले जर्मन अंतरराष्ट्रीय प्रसारणकर्ता है जो तीस भाषाओं में प्रसारण करता है। इसके अलावा वॉइस आफ अमेरिका, बीबीसी अन्य प्रमुख प्रसारणकर्ता हैं। एक दौर था जब देश में टेलीविजन नहीं हुआ करते थे और उस जमाने में हर कोई रेडियो सुनना पसंद करता था। आज तो टीवी है, टीवी भी नहीं एल ई डी टीवी आ गए हैं, स्मार्टफोन का जमाना है, स्मार्टफोन ही नहीं स्मार्ट घड़ियां भी आ चुकीं हैं लेकिन रेडियो का महत्व कम नहीं हुआ है। यह बात अलग है कि पहले के जमाने की तुलना में रेडियो आज कम ही सुना जाता है लेकिन अब धीरे धीरे देश दुनिया रेडियो की और लौट रही है। आज कम्यूनिटी रेडियो आ गए हैं जो बीस पच्चीस किलोमीटर के एरिया में सुने जाते हैं। कम्यूनिटी रेडियो अपने एप तैयार कर रहे हैं, जिससे उन्हें दुनिया के किसी भी कोने में सुना जा सकता है। दूर-दराज के क्षेत्रों, पहाड़ों, दुर्गम क्षेत्रों, रेगिस्तान आदि में रेडियो सुनने का जो आनंद है, वह कहीं भी नहीं है। रेडियो की पहुंच शहरों ही नहीं कस्बों व गांवों तक है और आप कहीं भी बैठे आसानी से रेडियो सुन सकते हैं।

 

आजकल तो विभिन्न मोबाइल कंपनियां की बोर्ड वाले फोन में “रेडियो” का ऑप्शन जरूर देतीं हैं, जिसे इयरफोन का इस्तेमाल कर कभी भी सुना जा सकता है। एंड्रॉयड फोन में तो आप कभी भी रेडियो एप इंस्टाल करके रेडियो सुनने का आनंद ले सकते हैं। रेडियो का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे आपकी आंखों की सेहत हमेशा अच्छी बनी रहती है, हम सभी घरों में बैठे बैठे टेलीविजन देखना अधिक पसंद करते हैं, कलर टेलिविजन आंखों पर बुरा प्रभाव डालता है, जबकि रेडियो पॉरटेबल होता है, उसे आप खेतों में पानी लगाते वक्त, वॉक करते समय, रसोई या कहीं भी काम करते करते भी सुन सकते हैं। वास्तव में रेडियो की प्रासांगिकता हमेशा हमेशा के लिए कायम रहेंगी, क्योंकि रेडियो से हम भावात्मक रूप से जुड़ाव महसूस करते हैं। वास्तव में बहुत बार हमारी आंखें वह काम नहीं कर पातीं हैं जो हमारे कान कर पाते हैं, भगवान ने हमें दो कान ज्यादा से ज्यादा सुनने के लिए ही दिए हैं। जो चीज आंखें देख नहीं पाती हैं, उसे हमारे कान सुन लेते हैं, रेडियो में यह क्षमता है कि वह हमें सुनना सिखाता है, हमारा ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करता है।

 

रेडियो की खास बात यह है कि यह हमारी कल्पनाशीलता को हमेशा बढ़ावा देता है, टेलीविजन में वह बात नहीं है, जो रेडियो में है। बहुत कम लोगों को यह जानकारी होगी कि पहले के जमाने में रेडियो रखने व सुनने के लिए लाइसेंस लेना पड़ता था। आज की युवा पीढ़ी को यह बात आश्चर्यचकित कर सकती है लेकिन यह सत्य है। आज सोशल नेटवर्किंग साइट्स के इस जमाने में लोग यह बात कह सकते हैं कि रेडियो ने दिन-ब-दिन अपनी पहचान व महत्व खो दिया है, आज शहरों में भी रेडियो को ठीक करने की दुकानें नहीं मिलतीं, जैसा कि आज से बीस-पच्चीस बरस पहले मिलती थी। यहाँ तक कि नया रेडियो तक बाजार में उपलब्ध नहीं हो पाता है क्योंकि युवा पीढ़ी का अधिक रूझान एंड्रॉयड मोबाइल की ओर है लेकिन, नये माध्यम के आने के बावजूद रेडियो प्रचलन से बाहर कतई नहीं हुआ है, रेडियो हमारे एंड्रॉयड व साधारण मोबाइल में हमेशा उपलब्ध है। जिस प्रकार से घड़ी पहनना पसंद करने वाले लोग मोबाइल आने के बाद भी घड़ी पहनना नहीं छोड़ते,ठीक उसी प्रकार से रेडियो के प्रति भी लोगों का मोह आज तक बना हुआ है। रेडियो के साथ जो आत्मीयता आदमी की होती है, शायद किसी ओर माध्यम के साथ कभी नहीं हो सकती। पुराने जमाने में रेडियो गांव की चौपालों में,गांव के घरों में बजता था, यह हमारे सैनिकों के मनोरंजन व समाचार प्राप्त करने का सच्चा साथी था।

 

 नये माध्यम आने से पुराने माध्यम कभी भी अपना दम नहीं खोते,बल्कि वे उभरते जाते हैं। आज गांव-गांव कम्युनिटी रेडियो हैं तो शहर शहर एफ.एम.स्टेशन। रेडियो मिर्ची प्रोग्राम आदमी को जो खुशी व आनंद प्रदान करता है, वह कभी भी मल्टीप्लेक्स संस्कृति में हमें प्राप्त नहीं हो सकती है। जिस प्रकार से सोशल नेटवर्किंग साइट्स, इंटरनेट, कम्प्यूटर युग आने से प्रिंट मीडिया का महत्व कम नहीं हुआ है, ठीक उसी प्रकार से रेडियो का महत्व भी कभी कम नहीं होगा,क्योंकि रेडियो हमारी ‘आत्मा और हमारे मन’ से जुड़ा है और जो चीज हमारी ‘आत्मा और मन’ से जुड़ी हुई होती है वह न तो कभी आउटडेटेड हो सकती है और न ही हमसे परे। रेडियो की आवाज गति हमेशा त्वरित होती है। आपने क्रिकेट कमेंट्री के वक्त अक्सर टेलीविजन पर देखा होगा कि रेडियो पर जब प्लेयर द्वारा चौका-छक्का लगाने की बात हम सुनते हैं, तब तक टेलीविजन पर बॉलर द्वारा बॉल फेंकने की तस्वीर आ रही होती है। मतलब यह है कि रेडियो में गति है। रेडियो आपको दृश्य जगत की कल्पनीय दुनिया में तुरंत ले जाता है और रेडियो से हम भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं। आकाशवाणी केन्द्र बिजली द्वारा ध्वनि को बिजली की लहरों में परिवर्तित कर देता है।फिर इन लहरों को आकाश में छोड़ दिया जाता है। इन लहरों को रेडियो रिसीवर पकड़ लेते हैं और सुनने वाले रेडियों के बटन दबाकर मनचाहे कार्यक्रम सुन सकते हैं। आज रेडियो क्षण भर में विश्व में घटित महत्वपूर्ण सूचनाएं हम तक तुरन्त पहुँचा देता है । व्यापारी वर्ग व विभिन्न कंपनियों के विज्ञापन भी रेडियों से प्रसारित होते हैं। रेडियो पर विभिन्न सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक परिस्थितियों की जानकारी, पर्वों पर विशेष कार्यक्रम, बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ आदि अनेक कार्यक्रम प्रसारित होते हैं।इसके अतिरिक्त पुराने नए फिल्मी गाने, विभिन्न कलाकारों से वार्तालाप, शास्त्रीय संगीत, नाटक, महत्वपूर्ण वार्ताएं, स्त्रियों के घरेलू कार्यक्रम, जिनमें उन्हें-खाना बनाने की रेसिपी, कपड़ों,बच्चों की देखभाल, घरेलू चिकित्सा के उपाय आदि के बारे में भरपूर जानकारी दी जाती है। कृषि, मौसम संबंधी अनेक जानकारियां हमें रेडियो से मिलती हैं। रेडियो में हर कला का दृष्टिकोण इस में समाहित है।मनोरंजन का यह साधन पहले भी लोकप्रिय था, आज भी लोकप्रिय है और भविष्य में भी रहेगा। रेडियो की महत्ता कभी भी कम नहीं होगी।

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